indore-news:-दिव्यांग-बच्चों-के-लिए-बने-21-करोड़-के-होस्टल-मेें-आई-दरारें,-दीवारों-में-भी-रिसाव
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Mon, 19 Aug 2024 08: 43 PM IST इंदौर के युग पुरुष धाम में बीमारी से हुई छह बच्चों की मौत के बाद भी बच्चों की सुविधा के लिए खिलवाड़ इस बिल्डिंग मेें देखने को मिल रहा है। बिल्डिंग में नेत्रहीन छात्र-छात्राएं रहेंगी, लेकिन छत के पानी को चैंबर में डालने के बजाए खुला छोड़ दिया गया। नए होस्टल में दरारें। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us राऊ मेें दिव्यांग बच्चों के लिए बनाए 21 करोड़ के होस्टल में अभी बच्चे रहने भी नहीं आए है, लेकिन उससे पहले ही बिल्डिंग मेें मरम्मत की जरुरत आ गई है। लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गए होस्टल में तीन ब्लाॅक बनाए गए है। पहले ब्लाॅक में घटिया निर्माण के कारण पिलर के आसपास दरारें आ गई है। वहीं बिल्डिंग के लिए बिजली घर बनाया है। उसकी दीवारों में पानी का रिसाव होने लगा है। सामाजिक कल्याण विभाग के अफसर लगातार बिल्डिंग की खामियों को लेकर शिकायतें कर रहे हैै। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने मरम्मत का काम शुरू कर दिया है। इंदौर के युग पुरुष धाम में बीमारी से हुई छह बच्चों की मौत के बाद भी बच्चों की सुविधा के लिए खिलवाड़ इस बिल्डिंग मेें देखने को मिल रहा है। बिल्डिंग में नेत्रहीन छात्र-छात्राएं रहेंगी, लेकिन छत के पानी को चैंबर में डालने के बजाए परिसर में उस जगह खुला छोड़ दिया गया, जो बच्चों के खेलने व प्रार्थना के लिए बनी है। छत पर भी ठीक से वाटर प्रुफिंग नहीं होने से जगह-जगह रिसाव हो रहा है। यह बिल्डिंग सालभर पहले तैयार हो चुकी थी। युग पुरुष धाम में हुई घटना के बाद आनन-फानन में परदेशीपुरा सामाजिक कल्याण परिसर की दो संस्थाअेां के बच्चों को यहां शिफ्ट कर दिया गया,क्योकि पुराने भवन भी काफी जर्जर स्थिति मेें थे, लेकिन नई बिल्डिंग के घटिया निर्माण के कारण वहां पर परेशानी कम नहीं है। इसके अलावा होस्टल तक जाने के लिए सड़क नहीं बनी है। वार्डन भी होस्टल मेें नियुक्त नहीं हो पाए है। इस कारण बच्चों के परिजन भी होस्टल मेें भेजने से बच रहे है। मरम्मत करा रहे है जिस एजेंसी के बिल्डिंग का निर्माण किया है। उसे तीन साल तक उसका रखरखाव भी करना होता हैै। साल भर पहले बिल्डिंग का पजेशन हमने विभाग को दे दिया था, लेकिन अब वहां होस्टल का संचालन हो रहा हैै।-एमएस रावत, चीफ इंजीनियर, लोक निर्माण विभाग रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Mon, 19 Aug 2024 08: 43 PM IST

इंदौर के युग पुरुष धाम में बीमारी से हुई छह बच्चों की मौत के बाद भी बच्चों की सुविधा के लिए खिलवाड़ इस बिल्डिंग मेें देखने को मिल रहा है। बिल्डिंग में नेत्रहीन छात्र-छात्राएं रहेंगी, लेकिन छत के पानी को चैंबर में डालने के बजाए खुला छोड़ दिया गया। नए होस्टल में दरारें। – फोटो : अमर उजाला

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राऊ मेें दिव्यांग बच्चों के लिए बनाए 21 करोड़ के होस्टल में अभी बच्चे रहने भी नहीं आए है, लेकिन उससे पहले ही बिल्डिंग मेें मरम्मत की जरुरत आ गई है। लोक निर्माण विभाग द्वारा बनाई गए होस्टल में तीन ब्लाॅक बनाए गए है।

पहले ब्लाॅक में घटिया निर्माण के कारण पिलर के आसपास दरारें आ गई है। वहीं बिल्डिंग के लिए बिजली घर बनाया है। उसकी दीवारों में पानी का रिसाव होने लगा है। सामाजिक कल्याण विभाग के अफसर लगातार बिल्डिंग की खामियों को लेकर शिकायतें कर रहे हैै। इसके बाद लोक निर्माण विभाग ने मरम्मत का काम शुरू कर दिया है।

इंदौर के युग पुरुष धाम में बीमारी से हुई छह बच्चों की मौत के बाद भी बच्चों की सुविधा के लिए खिलवाड़ इस बिल्डिंग मेें देखने को मिल रहा है। बिल्डिंग में नेत्रहीन छात्र-छात्राएं रहेंगी, लेकिन छत के पानी को चैंबर में डालने के बजाए परिसर में उस जगह खुला छोड़ दिया गया, जो बच्चों के खेलने व प्रार्थना के लिए बनी है। छत पर भी ठीक से वाटर प्रुफिंग नहीं होने से जगह-जगह रिसाव हो रहा है।

यह बिल्डिंग सालभर पहले तैयार हो चुकी थी। युग पुरुष धाम में हुई घटना के बाद आनन-फानन में परदेशीपुरा सामाजिक कल्याण परिसर की दो संस्थाअेां के बच्चों को यहां शिफ्ट कर दिया गया,क्योकि पुराने भवन भी काफी जर्जर स्थिति मेें थे, लेकिन नई बिल्डिंग के घटिया निर्माण के कारण वहां पर परेशानी कम नहीं है। इसके अलावा होस्टल तक जाने के लिए सड़क नहीं बनी है। वार्डन भी होस्टल मेें नियुक्त नहीं हो पाए है। इस कारण बच्चों के परिजन भी होस्टल मेें भेजने से बच रहे है।

मरम्मत करा रहे है

जिस एजेंसी के बिल्डिंग का निर्माण किया है। उसे तीन साल तक उसका रखरखाव भी करना होता हैै। साल भर पहले बिल्डिंग का पजेशन हमने विभाग को दे दिया था, लेकिन अब वहां होस्टल का संचालन हो रहा हैै।-एमएस रावत, चीफ इंजीनियर, लोक निर्माण विभाग

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