किसान संतोष – फोटो : अमर उजाला, इंदौर
विस्तार खंडवा से इलाज के लिए इंदौर लाए गए एक किसान की मौत हो गई। उसे टाइगर ने गाल पर पंजा मार दिया था। नाखून की वजह से इन्फेक्शन फैला और डॉक्टर उसे बचा नहीं सके। डॉक्टरों ने बताया कि टाइगर के नाखून में जहर होता है और यह शरीर में जाने के बाद बहुत तेजी से फैलता है। घटना खंडवा-खरगोन सीमा से लगे झिरन्या के पास गवला गांव में हुई।
घटना बुधवार की है। किसान संतोष (30) पिता रमेश भास्करे बुधवार शाम खेत पर काम कर रहा था तभी उस पर टाइगर ने अटैक कर दिया। संतोष ने मौत से पहले दिए बयान में बताया था कि दिन में खेत के आसपास मुझे टाइगर दिखा तो मैंने ध्यान नहीं दिया। शाम को मैं खेत पर काम कर रहा था तभी टाइगर ने अचानक हमला कर दिया। उसने पूरी ताकत से मेरे मुंह पर वार किया। मैंने उसे झिडक़ा तो वह दूर चला गया। मैं बहुत मुश्किल से उससे बचा। किसान को गंभीर हालत में पंधाना के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर भर्ती कराया और इसके बाद यहां से खंडवा जिला अस्पताल रेफर कर दिया। हालांकि, यहां उसकी हालत स्थिर थी लेकिन गुरुवार को शरीर में इन्फेक्शन फैल गया और फिर उसे इंदौर लाना पड़ा। यहां उसने दम तोड़ दिया।
बचाव किया लेकिन इन्फेक्शन बहुत तेज फैला
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डॉ. संजय पाराशर ने कहा कि किसान को बचाने के पूरे प्रयास किए लेकिन जहर बहुत तेजी से फैला। टाइगर ने मुंह पर पंजा मारा था जिससे गंभीर घाव हुआ। उसके नखून में बहुत जहर होता है।
रेस्क्यू करने इंदौर से गई टीम, ग्रामीणों ने खूब दौड़ाया, वीडियो भी बनाए
टाइगर का रेस्क्यू करने के लिए इंदौर के रालामंडल की टीम गई है। अफसरों ने छैंडिया गांव के पास टाइगर के विचरण की पुष्टि की है। टीम ने 4 जगह जाल बिछाया और एक जगह पिंजरा लगाया है। 20 लोगों की टीम को रेस्क्यू ऑपरेशन में लगाया गया है। आसपास के गांवों में अलर्ट जारी किया है। वहीं वन विभाग के अफसरों का मानना है कि महाराष्ट्र की सेंचुरी से बाघ झिरन्या के खेत तक आया। ग्रामीणों ने बताया कि करीब 60 साल बाद झिरन्या क्षेत्र में बाघ नजर आया है। गांव वालों ने सुबह से लेकर शाम तक बाघ को करीब 10 किलोमीटर दौड़ाया। इस दौरान कई वीडियो भी बनाए गए। वीडियो भी बनाया। बाघ को देखने के लिए भीड़ लग गई।
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