indore-news:-खेती-की-जमीन-पर-पेट्रोकेमिकल-प्लांट-मंजूर-नहीं,-मप्र-सरकार-को-किसानों-की-चेतावनी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Wed, 28 Aug 2024 01: 15 PM IST मप्र के सीहोर जिले के आष्टा में देश की सबसे बड़ी एथेन क्रैकर (पेट्रोकेमिकल) प्लांट को मप्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के लिए सरकार को बड़ी जमीन चाहिए। जमीन का कुछ हिस्सा सरकारी जमीनों से लिया जाएगा और बाकि का हिस्सा किसानों की खेती की जमीन से लिया जाएगा। किसान अपनी खेती की जमीन नहीं देना चाहते और इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा लगाया जा रहा है। पिछले छह महीने से किसान लगातार आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस भी किसानों के समर्थन में है। अमर उजाला ने इस मौके पर किसानों से बातचीत की।  Trending Videos खेती की जमीन किसी कीमत पर नहीं देंगे आष्टा के गांव में रहने वाले लक्ष्मीनारायण परमार और देवराज परमार ने बताया कि हम किसी भी कीमत पर जमीन सरकार को नहीं देंगे। हम यहां कई पीढ़ीयों से खेती कर रहे हैं और हम खेती के अलावा और कुछ भी नहीं करना चाहते। हमारी उपजाऊ जमीन पर प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल की इंडस्ट्री नहीं लगेगी। हम सैकड़ों किसान इसके लिए एकमत हैं। कुछ दिन में हम सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे।  सीएम बोले जल्द लेंगे जमीन मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जल्द ही हम जमीनों का अधिग्रहण शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री ने दो महीने पहले गेल के अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें विश्वास दिलाया कि जल्द ही प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा।  कांग्रेस बोली आंदोलन के लिए तैयार रहे भाजपा सरकार प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि सरकारी की इस दादागिरी का कांग्रेस विरोध करती है। हम सरकार से मांग करते हैं कि जबरन जमीन अधिग्रहण किसी भी कीमत पर नहीं किया जाए। मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी सीधे मांग करता हूं कि सरकार अपने एक तरफा निर्णय पर तत्काल पुनर्विचार करें या फिर कांग्रेस की ओर से एक निर्णायक आंदोलन के लिए तैयार रहे। जमीन अधिग्रहण में ली जाएगी खेती की जमीन मप्र सरकार के मुताबिक इस परियोजना के लिए कुल 700 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इसमें से 470 हेक्टेयर सरकारी जमीन दी जाएगी और बाकि किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि प्रोजेक्ट के लिए 1200 एकड़ सरकारी और 743 एकड़ किसानों की खेती की जमीन को चिह्नित किया गया है। 

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Wed, 28 Aug 2024 01: 15 PM IST

मप्र के सीहोर जिले के आष्टा में देश की सबसे बड़ी एथेन क्रैकर (पेट्रोकेमिकल) प्लांट को मप्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के लिए सरकार को बड़ी जमीन चाहिए। जमीन का कुछ हिस्सा सरकारी जमीनों से लिया जाएगा और बाकि का हिस्सा किसानों की खेती की जमीन से लिया जाएगा। किसान अपनी खेती की जमीन नहीं देना चाहते और इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। यह प्रोजेक्ट गेल (इंडिया) लिमिटेड द्वारा लगाया जा रहा है। पिछले छह महीने से किसान लगातार आंदोलन और प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस भी किसानों के समर्थन में है। अमर उजाला ने इस मौके पर किसानों से बातचीत की। 

Trending Videos

खेती की जमीन किसी कीमत पर नहीं देंगे
आष्टा के गांव में रहने वाले लक्ष्मीनारायण परमार और देवराज परमार ने बताया कि हम किसी भी कीमत पर जमीन सरकार को नहीं देंगे। हम यहां कई पीढ़ीयों से खेती कर रहे हैं और हम खेती के अलावा और कुछ भी नहीं करना चाहते। हमारी उपजाऊ जमीन पर प्लास्टिक और पेट्रोकेमिकल की इंडस्ट्री नहीं लगेगी। हम सैकड़ों किसान इसके लिए एकमत हैं। कुछ दिन में हम सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन भी करेंगे। 

सीएम बोले जल्द लेंगे जमीन
मप्र के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जल्द ही हम जमीनों का अधिग्रहण शुरू करेंगे। मुख्यमंत्री ने दो महीने पहले गेल के अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें विश्वास दिलाया कि जल्द ही प्रोजेक्ट का काम शुरू हो जाएगा। 

कांग्रेस बोली आंदोलन के लिए तैयार रहे भाजपा सरकार
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा है कि सरकारी की इस दादागिरी का कांग्रेस विरोध करती है। हम सरकार से मांग करते हैं कि जबरन जमीन अधिग्रहण किसी भी कीमत पर नहीं किया जाए। मैं मुख्यमंत्री मोहन यादव से भी सीधे मांग करता हूं कि सरकार अपने एक तरफा निर्णय पर तत्काल पुनर्विचार करें या फिर कांग्रेस की ओर से एक निर्णायक आंदोलन के लिए तैयार रहे।

जमीन अधिग्रहण में ली जाएगी खेती की जमीन
मप्र सरकार के मुताबिक इस परियोजना के लिए कुल 700 हेक्टेयर जमीन चाहिए। इसमें से 470 हेक्टेयर सरकारी जमीन दी जाएगी और बाकि किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा। वहीं कांग्रेस का आरोप है कि प्रोजेक्ट के लिए 1200 एकड़ सरकारी और 743 एकड़ किसानों की खेती की जमीन को चिह्नित किया गया है। 

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