indore-news:-आर्मी-के-नए-जूते,-कदमों-से-बिजली-पैदा-होगी,-रियल-टाइम-लोकेशन-पता-चलेगी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Tue, 06 Aug 2024 04: 47 PM IST डीआरडीओ के साथ आईआईटी इंदौर का नवाचार, बुजुर्गों, मरीजों, बच्चों के लिए भी काम आएंगे ये जूते। स्पोर्ट्स और उद्योगों में भी होगी मदद।    आईआईटी ने जूतों का सफल परीक्षण किया। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us आईआईटी ने डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को नए जूते बनाकर दिए हैं। भारतीय सेना के लिए यह नए जूते बेहद काम आएंगे। इनमें आईआईटी के युवाओं ने कई तकनीकों का इस्तेमाल किया है।  आईआईटी इंदौर ने भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ को इन जूते की 10 जोड़ी सौंपी है। यह जूते ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनोजेनरेटर (टीईएनजी) आधारित हैं। इन जूतों की मदद से एडवांस ट्रैकिंग के साथ बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर आई. ए. पलानी ने बताया कि यह जूते, मानव गति से बिजली बनाते हैं र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने में मदद करते हैं।  सेना को कैसे मिलेगी मदद आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा कि इस तकनीक से सेना को बड़ी मदद मिलेगी। इससे रियल टाइम लोकेशन पता चल सकेगी, ट्रैकिंग की क्षमताएं बढ़ेंगी और सैन्य कर्मियों की सुरक्षा और दक्षता बेहतर होगी। टीईएनजी-संचालित जूते आवश्यक जीपीएस और आरएफआईडी सिस्टम से बने हैं, जो विभिन्न सैन्य जरूरतों के लिए एक आत्मनिर्भर और विश्वसनीय समाधान प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे कुशल और पोर्टेबल बिजली स्रोतों की मांग बढ़ती जा रही है, आईआईटी इंदौर के नवाचार पर इसी पर आधारित होते जा रहे हैं।  क्या है तकनीक वहीं, प्रोफेसर पलानी ने कहा कि इन जूतों में टीईएनजी प्रणाली प्रत्येक कदम के साथ बिजली उत्पादन करती है। इसमें उन्नत ट्राइबो-जोड़े, फ्लोरिनेटेड एथिलीन प्रोपलीन (एफईपी) और एल्यूमीनियम का उपयोग किया गया है। यह बिजली जूते के सोल के भीतर एक केंद्रीय उपकरण में संग्रहीत होती है। छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के लिए यह एक विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत बनती है। इसके अतिरिक्त, जूतों में परिष्कृत ट्रैकिंग तकनीक की सुविधा है, जिसमें 50 मीटर की रेंज के साथ आरएफआईडी और सटीक लाइव लोकेशन ट्रैकिंग के लिए सैटेलाइट-आधारित जीपीएस मॉड्यूल शामिल है। बुजुर्गों और मरीजों के भी काम आएंगे ये जूते बुजुर्ग सदस्यों वाले परिवारों के लिए, विशेष रूप से अल्जाइमर रोग वाले लोगों के लिए ये जूते रियल टाइम लोकेशन बताएंगे और मानसिक शांति प्रदान करेंगे। कामकाजी माता-पिता स्कूल के दिन अपने बच्चों के लोकेशन की निगरानी कर सकते हैं और स्कूल सटीक उपस्थिति रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए आरएफआईडी तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। औद्योगिक सेटिंग में, जूते उपस्थिति ट्रैकिंग और कर्मचारी निगरानी के लिए उपयोगी होते हैं। स्पोर्ट्स में भी आएंगे काम एथलीटों के पैरों की गतिविधियों का विश्लेषण करके एथलेटिक उद्योग भी इन जूतों से लाभ उठा सकता है, जो प्रदर्शन और प्रशिक्षण तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकीनों के लिए, जूते अपने स्व-संचालित जीपीएस फीचर के साथ अभियानों के दौरान विश्वसनीय ट्रैकिंग प्रदान करते हैं, जिससे सुरक्षा और कुशल नेविगेशन सुनिश्चित होता है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Tue, 06 Aug 2024 04: 47 PM IST

डीआरडीओ के साथ आईआईटी इंदौर का नवाचार, बुजुर्गों, मरीजों, बच्चों के लिए भी काम आएंगे ये जूते। स्पोर्ट्स और उद्योगों में भी होगी मदद। 
  आईआईटी ने जूतों का सफल परीक्षण किया। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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आईआईटी ने डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) को नए जूते बनाकर दिए हैं। भारतीय सेना के लिए यह नए जूते बेहद काम आएंगे। इनमें आईआईटी के युवाओं ने कई तकनीकों का इस्तेमाल किया है। 

आईआईटी इंदौर ने भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के डीआरडीओ को इन जूते की 10 जोड़ी सौंपी है। यह जूते ट्राइबो-इलेक्ट्रिक नैनोजेनरेटर (टीईएनजी) आधारित हैं। इन जूतों की मदद से एडवांस ट्रैकिंग के साथ बिजली की जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा। आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर आई. ए. पलानी ने बताया कि यह जूते, मानव गति से बिजली बनाते हैं र इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को चार्ज करने में मदद करते हैं। 

सेना को कैसे मिलेगी मदद
आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी ने कहा कि इस तकनीक से सेना को बड़ी मदद मिलेगी। इससे रियल टाइम लोकेशन पता चल सकेगी, ट्रैकिंग की क्षमताएं बढ़ेंगी और सैन्य कर्मियों की सुरक्षा और दक्षता बेहतर होगी। टीईएनजी-संचालित जूते आवश्यक जीपीएस और आरएफआईडी सिस्टम से बने हैं, जो विभिन्न सैन्य जरूरतों के लिए एक आत्मनिर्भर और विश्वसनीय समाधान प्रदान करते हैं। जैसे-जैसे कुशल और पोर्टेबल बिजली स्रोतों की मांग बढ़ती जा रही है, आईआईटी इंदौर के नवाचार पर इसी पर आधारित होते जा रहे हैं। 

क्या है तकनीक
वहीं, प्रोफेसर पलानी ने कहा कि इन जूतों में टीईएनजी प्रणाली प्रत्येक कदम के साथ बिजली उत्पादन करती है। इसमें उन्नत ट्राइबो-जोड़े, फ्लोरिनेटेड एथिलीन प्रोपलीन (एफईपी) और एल्यूमीनियम का उपयोग किया गया है। यह बिजली जूते के सोल के भीतर एक केंद्रीय उपकरण में संग्रहीत होती है। छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के लिए यह एक विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत बनती है। इसके अतिरिक्त, जूतों में परिष्कृत ट्रैकिंग तकनीक की सुविधा है, जिसमें 50 मीटर की रेंज के साथ आरएफआईडी और सटीक लाइव लोकेशन ट्रैकिंग के लिए सैटेलाइट-आधारित जीपीएस मॉड्यूल शामिल है।

बुजुर्गों और मरीजों के भी काम आएंगे ये जूते
बुजुर्ग सदस्यों वाले परिवारों के लिए, विशेष रूप से अल्जाइमर रोग वाले लोगों के लिए ये जूते रियल टाइम लोकेशन बताएंगे और मानसिक शांति प्रदान करेंगे। कामकाजी माता-पिता स्कूल के दिन अपने बच्चों के लोकेशन की निगरानी कर सकते हैं और स्कूल सटीक उपस्थिति रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए आरएफआईडी तकनीक का उपयोग कर सकते हैं। औद्योगिक सेटिंग में, जूते उपस्थिति ट्रैकिंग और कर्मचारी निगरानी के लिए उपयोगी होते हैं।

स्पोर्ट्स में भी आएंगे काम
एथलीटों के पैरों की गतिविधियों का विश्लेषण करके एथलेटिक उद्योग भी इन जूतों से लाभ उठा सकता है, जो प्रदर्शन और प्रशिक्षण तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के शौकीनों के लिए, जूते अपने स्व-संचालित जीपीएस फीचर के साथ अभियानों के दौरान विश्वसनीय ट्रैकिंग प्रदान करते हैं, जिससे सुरक्षा और कुशल नेविगेशन सुनिश्चित होता है।

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