indore-news:-आईआईटी-इंदौर-में-मणिपुर-के-स्टूडेंट्स-ने-किया-माओ-नृत्य,-देखा-महाकाल-लोक-का-वैभव
न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Fri, 24 Mar 2023 06: 07 PM IST सार लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम के तहत इंदौर पहुंचे मणिपुर के छात्र   मणिपुर के छात्र - फोटो : अमर उजाला, इंदौर विस्तार भारत सरकार के 'एक भारत श्रेष्ठ भारत' कार्यक्रम के तहत मध्यप्रदेश और मणिपुर के बीच परस्पर संपर्क एवं संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए मणिपुर के 30 छात्रों का दल इंदौर पहुंचा। शुक्रवार को आईआईटी इंदौर में मणिपुर का छात्रों के लिए विशेष रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित की गई थी। आईआईटी इंदौर के म्यूजिक और डांस क्लब द्वारा प्रस्तुतियां दी गई जिसके बाद मणिपुर के छात्रों ने भी अपने क्षेत्र में माओ नृत्य और आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति दी। अपने दौरे के आखिरी दिन शनिवार को प्रतिभागियों द्वारा मां अहिल्या के दरबार महेश्वर यात्रा की जाएगी, और रात को दल वापस मणिपुर के लिए रवाना होगा। छात्रों का दल सोमवार को इंदौर पहुंचा जहां पारंपरिक अंदाज में उनका स्वागत और अभिनंदन किया गया। आईआईटी इंदौर की एक भारत श्रेष्ठ भारत की टीम, आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर, अधिकारियों और छात्र जिमखाना के सदस्यों ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया। मंगलवार को दौरे के दूसरे दिन की शुरुआत आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी की उपस्थिति में प्रतिनिधियों के औपचारिक स्वागत के साथ हुई। प्रोफेसर सुहास जोशी ने अपने स्वागत उद्बोधन में दोनों राज्यों के बीच समृद्ध सांस्कृतिक और पारंपरिक आदान-प्रदान बढ़ाने पर जोर दिया गया। साथ ही इस कार्यक्रम के तहत पर्यटन, परम्परा, प्रगति, प्रौद्योगिकी और परस्पर संपर्क को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने विचार साझा करने, अच्छी प्रथाओं को नोट करने और अपने समकक्षों के साथ जुडऩे और बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद सभी को इन्फैंट्री संग्रहालय और कैडेट्स ट्रेनिंग विंग, एमसीटीई का दौरा करवाया गया। इसके बाद लालबाग पैलेस और राजवाड़ा का भी दौरा किया गया। उन्होंने अपशिष्ट सेग्रीगेशन और प्रोसेसिंग की प्रक्रिया को देखने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र, देवगुराडिया का भी दौरा किया। महाकाल लोक में सीखी धर्म की गहराई यात्रा के दूसरे दिन महाकाल लोक जाकर अपने दिन की शुरुआत की। उन्होंने महाकाल लोक की विश्व स्तरीय वास्तुकला और विरासत संरचनाओं को देखा। उन्होंने 108 स्तंभों (खंभों) वाले महाकाल पथ को समझा, जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाता है। उन्होंने भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां भी देखी। इसके बाद प्रतिनिधियों ने सांदीपनी आश्रम और विश्वविद्यालय का दौरा भी किया और महर्षि सांदीपनि, श्रीकृष्ण और बलराम के वैदिक इतिहास के बारे में जाना। प्रतिनिधियों ने महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन का भी दौरा किया। उन्हें वैदिक अध्ययन की मौखिक परंपरा के संरक्षण और विकास, पाठशालाओं के माध्यम से वेदों के अध्ययन, अनुसंधान सुविधाओं के निर्माण और प्रचार के बारे में बताया गया ताकि वेदों में निहित ज्ञान के समृद्ध धन को बाहर लाया जा सके। यात्रा का अंतिम भाग वराहमीरा खगोलीय वेधशाला, डोंगला था। प्रतिनिधियों ने इस वेधशाला का दौरा किया और कर्क रेखा और प्राचीन समय के मध्याह्न रेखा के प्रतिच्छेदन का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया। इसके अलावा, उन्होंने वेधशाला में लगे टेलीस्कोप के माध्यम से विभिन्न सितारों, ग्रहों और चंद्रमा को भी देखा। मणिपुर से आई छात्रा निकिता केत्रिमयुं ने अपना अनुभव सांझा करते हुए कहा कि उनके द्वारा उज्जैन में जो वैदिक मंत्रोच्चार को अनुभव किया गया वो अपने आप में अनूठा था। साथ ही वेधशाला पर जो तारों और भूगोल की जानकारी को प्रत्यक्ष रूप से देखा उसका अनुभव भी बेहद ख़ास रहा।   रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Fri, 24 Mar 2023 06: 07 PM IST

सार

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‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत इंदौर पहुंचे मणिपुर के छात्र
  मणिपुर के छात्र – फोटो : अमर उजाला, इंदौर

विस्तार भारत सरकार के ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ कार्यक्रम के तहत मध्यप्रदेश और मणिपुर के बीच परस्पर संपर्क एवं संवाद को प्रोत्साहित करने के लिए मणिपुर के 30 छात्रों का दल इंदौर पहुंचा। शुक्रवार को आईआईटी इंदौर में मणिपुर का छात्रों के लिए विशेष रंगारंग सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी आयोजित की गई थी। आईआईटी इंदौर के म्यूजिक और डांस क्लब द्वारा प्रस्तुतियां दी गई जिसके बाद मणिपुर के छात्रों ने भी अपने क्षेत्र में माओ नृत्य और आदिवासी नृत्य की प्रस्तुति दी। अपने दौरे के आखिरी दिन शनिवार को प्रतिभागियों द्वारा मां अहिल्या के दरबार महेश्वर यात्रा की जाएगी, और रात को दल वापस मणिपुर के लिए रवाना होगा। छात्रों का दल सोमवार को इंदौर पहुंचा जहां पारंपरिक अंदाज में उनका स्वागत और अभिनंदन किया गया। आईआईटी इंदौर की एक भारत श्रेष्ठ भारत की टीम, आईआईटी इंदौर के प्रोफेसर, अधिकारियों और छात्र जिमखाना के सदस्यों ने प्रतिनिधियों का स्वागत किया।

मंगलवार को दौरे के दूसरे दिन की शुरुआत आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी की उपस्थिति में प्रतिनिधियों के औपचारिक स्वागत के साथ हुई। प्रोफेसर सुहास जोशी ने अपने स्वागत उद्बोधन में दोनों राज्यों के बीच समृद्ध सांस्कृतिक और पारंपरिक आदान-प्रदान बढ़ाने पर जोर दिया गया। साथ ही इस कार्यक्रम के तहत पर्यटन, परम्परा, प्रगति, प्रौद्योगिकी और परस्पर संपर्क को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया। उन्होंने प्रतिभागियों को अपने विचार साझा करने, अच्छी प्रथाओं को नोट करने और अपने समकक्षों के साथ जुडऩे और बातचीत करने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके बाद सभी को इन्फैंट्री संग्रहालय और कैडेट्स ट्रेनिंग विंग, एमसीटीई का दौरा करवाया गया। इसके बाद लालबाग पैलेस और राजवाड़ा का भी दौरा किया गया। उन्होंने अपशिष्ट सेग्रीगेशन और प्रोसेसिंग की प्रक्रिया को देखने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र, देवगुराडिया का भी दौरा किया।

महाकाल लोक में सीखी धर्म की गहराई
यात्रा के दूसरे दिन महाकाल लोक जाकर अपने दिन की शुरुआत की। उन्होंने महाकाल लोक की विश्व स्तरीय वास्तुकला और विरासत संरचनाओं को देखा। उन्होंने 108 स्तंभों (खंभों) वाले महाकाल पथ को समझा, जो भगवान शिव के आनंद तांडव स्वरूप (नृत्य रूप) को दर्शाता है। उन्होंने भगवान शिव के जीवन को दर्शाने वाली कई धार्मिक मूर्तियां भी देखी। इसके बाद प्रतिनिधियों ने सांदीपनी आश्रम और विश्वविद्यालय का दौरा भी किया और महर्षि सांदीपनि, श्रीकृष्ण और बलराम के वैदिक इतिहास के बारे में जाना। प्रतिनिधियों ने महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेदविद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन का भी दौरा किया। उन्हें वैदिक अध्ययन की मौखिक परंपरा के संरक्षण और विकास, पाठशालाओं के माध्यम से वेदों के अध्ययन, अनुसंधान सुविधाओं के निर्माण और प्रचार के बारे में बताया गया ताकि वेदों में निहित ज्ञान के समृद्ध धन को बाहर लाया जा सके। यात्रा का अंतिम भाग वराहमीरा खगोलीय वेधशाला, डोंगला था। प्रतिनिधियों ने इस वेधशाला का दौरा किया और कर्क रेखा और प्राचीन समय के मध्याह्न रेखा के प्रतिच्छेदन का प्रत्यक्ष ज्ञान प्राप्त किया। इसके अलावा, उन्होंने वेधशाला में लगे टेलीस्कोप के माध्यम से विभिन्न सितारों, ग्रहों और चंद्रमा को भी देखा। मणिपुर से आई छात्रा निकिता केत्रिमयुं ने अपना अनुभव सांझा करते हुए कहा कि उनके द्वारा उज्जैन में जो वैदिक मंत्रोच्चार को अनुभव किया गया वो अपने आप में अनूठा था। साथ ही वेधशाला पर जो तारों और भूगोल की जानकारी को प्रत्यक्ष रूप से देखा उसका अनुभव भी बेहद ख़ास रहा।
 

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