हुकमचंद मिल - फोटो : amar ujala digital विस्तार 32 सालों से बंद बड़ी हुकमचंद मिल की बेशकीमती जमीन के लिए हाऊसिंग बोर्ड 173 करोड रुपये देने के लिए तैयार है। इसे लेकर शुक्रवार को बैठक भी हुई और हाऊसिंग बोर्ड के अफसर मिल की जमीन देखने पहुंचे। मंडल के अफसरों ने श्रमिकों से कहा कि यदि वे बोर्ड केे प्रस्ताव पर सहमति दें तो फिर अगली सुनवाई पर मंडल अपना जवाब पेश कर सकता है। उधर श्रमिक संघर्ष समिति ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है। रविवार को श्रमिकों की बैठक में चर्चा के बाद श्रमिक अपनी बात रखेंगे। मंडल ने एक पत्र भी श्रमिकों के वकीलों को सौंपा है। आपको बता देें कि शासन ने जमीन नगर निगम को सौंपी है। पहले नगर निगम ने 42 एकड़ जमीन पर एमपीआइडीसी के साथ प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना तैयार की थी, लेकिन बात नहीं बनी। अब हाउसिंग बोर्ड मिल की जमीन पर हाऊसिंग प्रोजेक्ट लाना चाहता है। बोर्ड 15 दिन में जमीन के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को सौंपेगा। मजूदरों, बैंकों और अन्य देनदारियां देने के बाद भी प्रोजेक्ट से जो मुनाफा होगा, उसे निगम और बोर्ड आपस में बांटेगा। नगर निगम की तरफ से पहले 50 करोड़ रुपये मजदूरों को दिए जा चुके है। हाऊसिंग बोर्ड के आयुक्त चंद्रमौलि शुक्ला ने बताया कि हमने श्रमिकों से चर्चा की है। हमने उन्हें जो आफर दिया है। यदि वे उसकेे लिए तैयार है तो हम अगली सुनवाई में योजना के साथ जवाब प्रस्तुत कर देंगे। श्रमिक नेता नरेंद्र श्रीवंश का कहना है कि जो प्रस्ताव बोर्ड नेे दिया है, उसे लेकर हमारा कोई विरोध नहीं है, लेकिन सभी श्रमिकों से चर्चा के बाद ही हम फैसला लेंगे। अब मिल के मामले में 9 मई को सुनवाई होगी। 32 साल पहले हुई थी बंद हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हुआ था। उस समय पांच हजार से मजूदर काम करते थे। मिल बंद होने के बाद मजदूर सड़क पर आ गए। कई मजदूरों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली। मजदूरों ने अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी। बकाया वेतन और अन्य भुगतान के लिए न्यायालय में गुहार लगाई। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मिल के मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। यह भुगतान मिल की 42.5 एकड़ जमीन बेचकर दिया जाना है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मिल की जमीन नहीं बिक पा रही हैै। निगम 50 करोड़ की राशि मिल श्रमिकों और उनके वारिसों को बांट चुका हैै।

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हुकमचंद मिल – फोटो : amar ujala digital

विस्तार 32 सालों से बंद बड़ी हुकमचंद मिल की बेशकीमती जमीन के लिए हाऊसिंग बोर्ड 173 करोड रुपये देने के लिए तैयार है। इसे लेकर शुक्रवार को बैठक भी हुई और हाऊसिंग बोर्ड के अफसर मिल की जमीन देखने पहुंचे। मंडल के अफसरों ने श्रमिकों से कहा कि यदि वे बोर्ड केे प्रस्ताव पर सहमति दें तो फिर अगली सुनवाई पर मंडल अपना जवाब पेश कर सकता है। उधर श्रमिक संघर्ष समिति ने अभी कोई फैसला नहीं लिया है।

रविवार को श्रमिकों की बैठक में चर्चा के बाद श्रमिक अपनी बात रखेंगे। मंडल ने एक पत्र भी श्रमिकों के वकीलों को सौंपा है। आपको बता देें कि शासन ने जमीन नगर निगम को सौंपी है। पहले नगर निगम ने 42 एकड़ जमीन पर एमपीआइडीसी के साथ प्रोजेक्ट शुरू करने की योजना तैयार की थी, लेकिन बात नहीं बनी।

अब हाउसिंग बोर्ड मिल की जमीन पर हाऊसिंग प्रोजेक्ट लाना चाहता है। बोर्ड 15 दिन में जमीन के लिए एक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट को सौंपेगा। मजूदरों, बैंकों और अन्य देनदारियां देने के बाद भी प्रोजेक्ट से जो मुनाफा होगा, उसे निगम और बोर्ड आपस में बांटेगा। नगर निगम की तरफ से पहले 50 करोड़ रुपये मजदूरों को दिए जा चुके है। हाऊसिंग बोर्ड के आयुक्त चंद्रमौलि शुक्ला ने बताया कि हमने श्रमिकों से चर्चा की है। हमने उन्हें जो आफर दिया है।

यदि वे उसकेे लिए तैयार है तो हम अगली सुनवाई में योजना के साथ जवाब प्रस्तुत कर देंगे। श्रमिक नेता नरेंद्र श्रीवंश का कहना है कि जो प्रस्ताव बोर्ड नेे दिया है, उसे लेकर हमारा कोई विरोध नहीं है, लेकिन सभी श्रमिकों से चर्चा के बाद ही हम फैसला लेंगे। अब मिल के मामले में 9 मई को सुनवाई होगी।

32 साल पहले हुई थी बंद

हुकमचंद मिल 12 दिसंबर 1991 को बंद हुआ था। उस समय पांच हजार से मजूदर काम करते थे। मिल बंद होने के बाद मजदूर सड़क पर आ गए। कई मजदूरों ने आर्थिक तंगी के कारण आत्महत्या कर ली। मजदूरों ने अपने हक के लिए लड़ाई लड़ी। बकाया वेतन और अन्य भुगतान के लिए न्यायालय में गुहार लगाई। वर्ष 2007 में हाई कोर्ट ने मिल के मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया था। यह भुगतान मिल की 42.5 एकड़ जमीन बेचकर दिया जाना है, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मिल की जमीन नहीं बिक पा रही हैै। निगम 50 करोड़ की राशि मिल श्रमिकों और उनके वारिसों को बांट चुका हैै।

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