काॅरिडोर के लिए मिट्टी परीक्षण हो चुका है। – फोटो : अमर उजाला
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इंदौर में बीआरटीएस के एलिवेटेड काॅरिडोर पर असमजंस गहराने लगा है। मुख्यमंत्री के भूमिपूजन के बाद लोक निर्माण विभाग ने इसका ठेका गुजरात की एक कंपनी को दे डाला, लेकिन सर्वे में काॅरिडोर अनुपयोगी साबित हुआ। एलआाईजी से नवलखा तक पूरे काॅरिडोर का चार प्रतिशत ट्रैफिक भी नहीं जाता है।
यह काॅरिडोर इन दोनो चौराहों के बीच बनना हैै। इस कारण अब तक काॅरिडोर की ड्राइंग डिजाइन ही तय नहीं हो पाई। यह प्रोजेक्ट पांच साल पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने मंजूर किया था। तय अनुबंध के तहत विभाग को ठेकेदार कंपनी को तय समय तक ड्राइंग डिजाइन नहीं देने के कारण जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
सात किलोमीटर लंबाई में तीन भुजाएं
इस काॅरिडोर की लंबाई सात किलोमीटर हैै। केंद्र सरकार की तरफ से इसके लिए विभाग को राशि भी मिल चुकी है। प्लानिंग में इसकी एक भुजा गिटार चौराहे,दूसरी भुजा गीताभवन चौराहा अौर तीसरी भुजा शिवाजी वाटिका की तरफ दी गई है, लेकिन पलासिया तिराहा और गीता भवन की तरफ भुजा नहीं दी गई।
दरअसल पूर्वी रिंग रोड पर पांच ब्रिज बन चुके हैै। जिन्हें सीधे भंवरकुआ तक जाना होता है। वे अाजकल रिंग रोड अपना रहे है,क्योकि ब्रिज के कारण समय कम लगाता है। ट्रैफिक के जानकार अतुल शेठ का कहना है कि ताजा ट्रैफिक सर्वे में एलिवेटेड काॅरिडोर पर ट्रैफिक लोड चार प्रतिशत ही आया है। इस कारण इस काॅरिडोर का ज्यादा उपयोग फिलहाल नजर नहीं आ रहा है।
बीआरटीएस काॅरिडोर भी कई हिस्सों में टूटता
एलिवेटेड काॅरिडोर बनने के कारण छह किलोमीटर लंबाई में बीआरटीएस काॅरिडोर के कुछ बस स्टेशन भी टूट रहे है। इसके अलावा इंदौर विकास प्राधिकरण भंवरकुआ और लोक निर्माण विभाग निरंजनपुर चौराहे पर ब्रिज बना रहा है। इस कारण भी बस लेन कुछ हिस्सों में हटाई गई है।
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