पप्पूू यादव पहलवान। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us ओलंपिक में विनेश फोगाट का 100 ग्राम वजन ज्यादा होने से मुकाबले से वंचित रहने की चर्चा देशभर में है, लेकिन 28 साल पहले अटलांटा मेें हुए ओलंपिक मेें इंदौर के पहलवान पप्पू यादव को कोच के बगैर ही भेज दिया था। इस कारण वे वजन कराने ही नहीं जा पाए। वाइल्ड कार्ड एंट्री से मुकाबले में शामिल हुए यादव को तब 48 किलो वर्ग ग्राम के बजाए दूसरे दिन 52 किलोग्राम वर्ग में खेलना पड़ा था। ओलंपिक के ट्रायल्स में जिस तरह नियमों को थिथिल कर मध्य प्रदेश की पहलवान शिवानी पंवार को कम अंक देने का मामला उठा था। वैसा ही वर्ष 1996 मेें पप्पू यादव के साथ भी हुआ था,लेकिन तब मामला गरमाने पर ओलंपिक कमेटी ने वाइल्ड कार्ड एंट्री से पप्पू को ओलंपिक भेजा था। इंदौर के पहलवान पप्पू यादव उभरते हुए पहलवा थे। वे एशियाड खेल में चैंपियन रहे। तब खेल की राजनीति में महाराष्ट्र का दबदबा था। तब पप्पू को कुछ अन्य पहलवानों के साथ प्रशिक्षण लेने के लिए रूस भेज दिया था और ओलंपिक के लिए महाराष्ट्र के काके पहलवान को ओलंपिक में भेज दिया गया। जब पप्पू को इसका पता चला तो उन्होंने इसका जर्बजस्त विरोध किया। इसके बाद काके पहलवान और पप्पू की दिल्ली मेें कुश्ती कराई गई। तब काके पहललवान का वजन 50 किलो से ज्यादा था। उसे वजन कम करने के लिए सात दिन का समय दिया गया। इसके बाद मुकाबले में पप्पू जीते और उन्हें ओलंपिक मेें भेजा गया, लेकिन वीजा संबंधी अड़चनों के कारण उनके साथ कोच नहीं जा पाए। पप्पूू खेलगांव में रुके थे।वे वजन करने के बाद की औपचारिकता कोच के बगैर नहीं कर पाए और 48 किलो वर्ग में कुश्ती नहीं लड़ पाए थे। तब दूसरे दिन कोच पहुंचे और फिर उन्हें 52 किलो वर्ग में खेलना पड़ा था। पप्पू कहते है कि मुकाबले के समय वजन का काफी ध्यान रखना पड़ता है। 100 ग्राम वजन के कारण मुकाबले से विनेश के बाहर होने के दुख मुझे भी है। वह अच्छा खेल रही थी।

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पप्पूू यादव पहलवान। – फोटो : अमर उजाला

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ओलंपिक में विनेश फोगाट का 100 ग्राम वजन ज्यादा होने से मुकाबले से वंचित रहने की चर्चा देशभर में है, लेकिन 28 साल पहले अटलांटा मेें हुए ओलंपिक मेें इंदौर के पहलवान पप्पू यादव को कोच के बगैर ही भेज दिया था। इस कारण वे वजन कराने ही नहीं जा पाए।

वाइल्ड कार्ड एंट्री से मुकाबले में शामिल हुए यादव को तब 48 किलो वर्ग ग्राम के बजाए दूसरे दिन 52 किलोग्राम वर्ग में खेलना पड़ा था।

ओलंपिक के ट्रायल्स में जिस तरह नियमों को थिथिल कर मध्य प्रदेश की पहलवान शिवानी पंवार को कम अंक देने का मामला उठा था। वैसा ही वर्ष 1996 मेें पप्पू यादव के साथ भी हुआ था,लेकिन तब मामला गरमाने पर ओलंपिक कमेटी ने वाइल्ड कार्ड एंट्री से पप्पू को ओलंपिक भेजा था। इंदौर के पहलवान पप्पू यादव उभरते हुए पहलवा थे। वे एशियाड खेल में चैंपियन रहे। तब खेल की राजनीति में महाराष्ट्र का दबदबा था।

तब पप्पू को कुछ अन्य पहलवानों के साथ प्रशिक्षण लेने के लिए रूस भेज दिया था और ओलंपिक के लिए महाराष्ट्र के काके पहलवान को ओलंपिक में भेज दिया गया। जब पप्पू को इसका पता चला तो उन्होंने इसका जर्बजस्त विरोध किया। इसके बाद काके पहलवान और पप्पू की दिल्ली मेें कुश्ती कराई गई। तब काके पहललवान का वजन 50 किलो से ज्यादा था। उसे वजन कम करने के लिए सात दिन का समय दिया गया।

इसके बाद मुकाबले में पप्पू जीते और उन्हें ओलंपिक मेें भेजा गया, लेकिन वीजा संबंधी अड़चनों के कारण उनके साथ कोच नहीं जा पाए। पप्पूू खेलगांव में रुके थे।वे वजन करने के बाद की औपचारिकता कोच के बगैर नहीं कर पाए और 48 किलो वर्ग में कुश्ती नहीं लड़ पाए थे।

तब दूसरे दिन कोच पहुंचे और फिर उन्हें 52 किलो वर्ग में खेलना पड़ा था। पप्पू कहते है कि मुकाबले के समय वजन का काफी ध्यान रखना पड़ता है। 100 ग्राम वजन के कारण मुकाबले से विनेश के बाहर होने के दुख मुझे भी है। वह अच्छा खेल रही थी।

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