indore:-14साल-से-झूल-रहा-था-एलिवेटेड-काॅरिडोर-प्रोजेक्ट,-अब-छह-फ्लाओवर-बनेंगे-बीआरटीएस-पर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Tue, 10 Sep 2024 07: 53 PM IST एलिवेटेड काॅरिडोर का ठेका गुजरात की एक कंपनी को 2020 मेें दिया गया था, लेकिन ट्रैफिक लोड 4 प्रतिशत आने के कारण मामला अटका रहा।  यदि लोक निर्माण विभाग ब्रिज बनाने की योजना रद्द करता हैै तो कंपनी को 30 करोड़ रुपये चुकाना होंगे। काॅरिडोर के प्रोजेक्ट परीक्षण पर पांच करोड़ खर्च। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us आखिरकार इंदौर के बीआरटीएस मार्ग पर एलिवेटेड काॅरिडोर प्रोजेक्ट से राज्य सरकार ने हाथ खींच लिए। यह योजना 14 साल पहले यूपीए सरकार के शासनकाल में बनी थी, लेकिन तब बीआरटीएस का निर्माण लगभग हो चुका था। एलिवेटेड काॅरिडोर का पैसा मंजूर होने के बावजूद प्रोजेक्ट जमीन पर नहीं आ पाया। अब बीआरटीएस के प्रमुख चौराहों पर फ्लॉयओवर बनाने का फैसला लिया गया है। पलासिया, गीताभवन, व्हाइट चर्च, रसोमा लेबोरेटरी और नवलखा ब्रिज पर ये ब्रिज बनेंगे। सत्यसांई और भंवरकुआ पर ब्रिजों बनाने का काम पहले से जारी है। सर्वे, प्लानिंग में ही पांच करोड़ से ज्यादा खर्च बीआरटीएस पर एलिवेटेड काॅरिडोर के पहले भी कई प्रयोग करने का फैसला लिया गया। एलिवेटेड काॅरिडोर की प्लानिंग, ट्रैफिक, मिट्टी परीक्षण पर ही पांच करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गई। इससे पहले शिवाजी प्रतिमा पर अंडरपास की प्लानिंग के लिए भी इंदौर विकास प्राधिकरण डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। 20 साल पहले पलासिया तिराहे पर ग्रेड सेपरेटर की योजना भी बनी थी, लेकिन वह आकार नहीं ले पाई। सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि चौराहों पर ट्रैफिक के दबाव को ध्यान रखते हुए ब्रिज बनाए जाएंगे। कंपनी को चुकाना होंगे 30 करोड़ एलिवेटेड काॅरिडोर का ठेका गुजरात की एक कंपनी को 2020 में दिया गया था। यह काॅरिडोर 2024 तक बन जाना था, लेकिन ट्रैफिक लोड 4 प्रतिशत आने के कारण मामला अटका रहा। तय अनुबंध के तहत यदि लोक निर्माण विभाग ब्रिज बनाने की योजना रद्द करता है तो उसे कंपनी को 30 करोड़ रुपये चुकाना होंगे। रिंग रोड पर डायवर्ट हो गया ट्रैफिक पहले बीआरटीएस पर काफी यातायात का दबाव था, लेकिन रिंग रोड पर बंगाली चौराहा, पिपलियाहाना चौराहा, पालदा चौराहा पर ब्रिज बनने के बाद एलआईजी चौराहा से भंवरकुआ की तरफ जाने वाले लोगों के लिए रिंग रोड मार्ग ज्यादा सुविधाजनक हो गया है। इस साल खजराना चौराहे पर ब्रिज बन जाएगा। मूसाखेड़ी चौराहे पर भी ब्रिज का निर्माण हो रहा है। इसके चलते आने वाले सालों में बीआरटीएस का ट्रैफिक रिंग रोड पर बंट जाएगा। यदि एलिवेटेड काॅरिडोर बनता तो समय के साथ इसकी उपयोगिता और कम हो जाती। हाल ही में आई एलिवेटेड कॉरिडोर की फिजिबिलिटी रिपोर्ट में यह अनुपयोगी पाया गया है। इसके बाद दो दिन पहले इंदौर में हुई बैठक में सीएम व जिले के प्रभारी डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को निरस्त करने का एलान किया। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Tue, 10 Sep 2024 07: 53 PM IST

एलिवेटेड काॅरिडोर का ठेका गुजरात की एक कंपनी को 2020 मेें दिया गया था, लेकिन ट्रैफिक लोड 4 प्रतिशत आने के कारण मामला अटका रहा।  यदि लोक निर्माण विभाग ब्रिज बनाने की योजना रद्द करता हैै तो कंपनी को 30 करोड़ रुपये चुकाना होंगे। काॅरिडोर के प्रोजेक्ट परीक्षण पर पांच करोड़ खर्च। – फोटो : अमर उजाला

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आखिरकार इंदौर के बीआरटीएस मार्ग पर एलिवेटेड काॅरिडोर प्रोजेक्ट से राज्य सरकार ने हाथ खींच लिए। यह योजना 14 साल पहले यूपीए सरकार के शासनकाल में बनी थी, लेकिन तब बीआरटीएस का निर्माण लगभग हो चुका था। एलिवेटेड काॅरिडोर का पैसा मंजूर होने के बावजूद प्रोजेक्ट जमीन पर नहीं आ पाया। अब बीआरटीएस के प्रमुख चौराहों पर फ्लॉयओवर बनाने का फैसला लिया गया है। पलासिया, गीताभवन, व्हाइट चर्च, रसोमा लेबोरेटरी और नवलखा ब्रिज पर ये ब्रिज बनेंगे। सत्यसांई और भंवरकुआ पर ब्रिजों बनाने का काम पहले से जारी है।

सर्वे, प्लानिंग में ही पांच करोड़ से ज्यादा खर्च
बीआरटीएस पर एलिवेटेड काॅरिडोर के पहले भी कई प्रयोग करने का फैसला लिया गया। एलिवेटेड काॅरिडोर की प्लानिंग, ट्रैफिक, मिट्टी परीक्षण पर ही पांच करोड़ से ज्यादा की राशि खर्च कर दी गई। इससे पहले शिवाजी प्रतिमा पर अंडरपास की प्लानिंग के लिए भी इंदौर विकास प्राधिकरण डेढ़ करोड़ रुपये खर्च कर चुका है। 20 साल पहले पलासिया तिराहे पर ग्रेड सेपरेटर की योजना भी बनी थी, लेकिन वह आकार नहीं ले पाई। सांसद शंकर लालवानी का कहना है कि चौराहों पर ट्रैफिक के दबाव को ध्यान रखते हुए ब्रिज बनाए जाएंगे।

कंपनी को चुकाना होंगे 30 करोड़
एलिवेटेड काॅरिडोर का ठेका गुजरात की एक कंपनी को 2020 में दिया गया था। यह काॅरिडोर 2024 तक बन जाना था, लेकिन ट्रैफिक लोड 4 प्रतिशत आने के कारण मामला अटका रहा। तय अनुबंध के तहत यदि लोक निर्माण विभाग ब्रिज बनाने की योजना रद्द करता है तो उसे कंपनी को 30 करोड़ रुपये चुकाना होंगे।

रिंग रोड पर डायवर्ट हो गया ट्रैफिक
पहले बीआरटीएस पर काफी यातायात का दबाव था, लेकिन रिंग रोड पर बंगाली चौराहा, पिपलियाहाना चौराहा, पालदा चौराहा पर ब्रिज बनने के बाद एलआईजी चौराहा से भंवरकुआ की तरफ जाने वाले लोगों के लिए रिंग रोड मार्ग ज्यादा सुविधाजनक हो गया है। इस साल खजराना चौराहे पर ब्रिज बन जाएगा। मूसाखेड़ी चौराहे पर भी ब्रिज का निर्माण हो रहा है। इसके चलते आने वाले सालों में बीआरटीएस का ट्रैफिक रिंग रोड पर बंट जाएगा। यदि एलिवेटेड काॅरिडोर बनता तो समय के साथ इसकी उपयोगिता और कम हो जाती। हाल ही में आई एलिवेटेड कॉरिडोर की फिजिबिलिटी रिपोर्ट में यह अनुपयोगी पाया गया है। इसके बाद दो दिन पहले इंदौर में हुई बैठक में सीएम व जिले के प्रभारी डॉ. मोहन यादव ने इस योजना को निरस्त करने का एलान किया।

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