indore:-हरियाली-अमावस्या-विशेष-इंदौर-का-सबसे-पुराना-पेड़-संवाद-नगर-में,-ढाई-सौ-साल-है-उम्र
इंदौर का सबसेे पुराना पेड़ संवाद नगर मेें। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us इंदौर में पेड़ों का अभी अपना एक इतिहास है। शहर के सबसे पुराना बरगद का पेड़ संवाद नगर पुलिया के समीप है, जो आज भी हरा भरा है। यह उम्रदराज बरगद परिंदों को आशियाना और राहगिरों को छाया देता है। इस पेड़ की जड़े प्राणी संग्रहालय तक फैली हुई है। इंदौर के ज्यादातर पुराने पेड़ रेसीडेंसी एरिया में है। इंदौर हरियाली को लेकर भी इस साल चर्चा में है। शहरवासियों ने एक साथ 12 लाख पेड़ एक दिन में लगाकर विश्व रिकार्ड बनाया। इसके अलावा 51 लाख पौधे लगाने का अभियान भी जारी है। आजादी के पहले इंदौर काफी हरा भरा रहता था। इंदौर के सबसे पुराने पेड़ की पड़ताल कुछ समय पहले शहर के पर्यावरणविदों ने की थी तो पता चला कि संवाद नगर का पेड़ सबसेे पुराना है। दो साल पहले इसकी एक शाखा टूट कर गिर भी चुकी है। इस बरगद के पेड़ का तना भी काफी चौड़ा और मोटा है। क्रांतिकारी बैैठकर रखते थे निगाहें पर्यावरणविद ओ पी जोशी बताते है कि यह पेड़ 1857 की क्रांति का गवाह हैै। कर्नल डोरेंट को इंदौर से भगाने की योजना बनाई थी। तब क्रांतिकारी इस पेड़ के पीछे छुप कर रेसीडेंसी कोठी पर नजर रखते थे। इंदौर में तब क्रांतिकारियों ने गदर मचाया था। तब कर्नल इंदौर छोड़कर महू चले गए थे। जोशी बताते है कि पढ़रीनाथ थाना परिसर में लगा पेड़ भी काफी पुराना है। इसके अलावा इंदौर में मांडू की इमली के नाम से रेसीडेंसी कोठी में लगा पेड़ भी काफी पुराना है।

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इंदौर का सबसेे पुराना पेड़ संवाद नगर मेें। – फोटो : अमर उजाला

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इंदौर में पेड़ों का अभी अपना एक इतिहास है। शहर के सबसे पुराना बरगद का पेड़ संवाद नगर पुलिया के समीप है, जो आज भी हरा भरा है। यह उम्रदराज बरगद परिंदों को आशियाना और राहगिरों को छाया देता है। इस पेड़ की जड़े प्राणी संग्रहालय तक फैली हुई है। इंदौर के ज्यादातर पुराने पेड़ रेसीडेंसी एरिया में है।

इंदौर हरियाली को लेकर भी इस साल चर्चा में है। शहरवासियों ने एक साथ 12 लाख पेड़ एक दिन में लगाकर विश्व रिकार्ड बनाया। इसके अलावा 51 लाख पौधे लगाने का अभियान भी जारी है।

आजादी के पहले इंदौर काफी हरा भरा रहता था। इंदौर के सबसे पुराने पेड़ की पड़ताल कुछ समय पहले शहर के पर्यावरणविदों ने की थी तो पता चला कि संवाद नगर का पेड़ सबसेे पुराना है। दो साल पहले इसकी एक शाखा टूट कर गिर भी चुकी है। इस बरगद के पेड़ का तना भी काफी चौड़ा और मोटा है।

क्रांतिकारी बैैठकर रखते थे निगाहें

पर्यावरणविद ओ पी जोशी बताते है कि यह पेड़ 1857 की क्रांति का गवाह हैै। कर्नल डोरेंट को इंदौर से भगाने की योजना बनाई थी। तब क्रांतिकारी इस पेड़ के पीछे छुप कर रेसीडेंसी कोठी पर नजर रखते थे।

इंदौर में तब क्रांतिकारियों ने गदर मचाया था। तब कर्नल इंदौर छोड़कर महू चले गए थे। जोशी बताते है कि पढ़रीनाथ थाना परिसर में लगा पेड़ भी काफी पुराना है। इसके अलावा इंदौर में मांडू की इमली के नाम से रेसीडेंसी कोठी में लगा पेड़ भी काफी पुराना है।

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