बच्चों के साथ डॉक्टर और परिजन – फोटो : अमर उजाला
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जानलेवा ब्लड कैंसर से पीड़ित गर्भवती युवती ने इंदौर शहर के सबसे बड़े गायनिक एमटीएच हॉस्पिटल में बिना ऑपरेशन के जुड़वां बच्चों को दिया है। जुड़वा शिशुओं जन्म के बाद, जहां नवजात बालिका और बालक दोनों स्वस्थ हैं तो वहीं इनकी मां सहित परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है।
परिजनों का कहना है कि जानलेवा बीमारी के दौरान सामान्य डिलीवरी से जुड़वा बच्चों का जन्म और तीनों का सही सलामत होना यकीनन हमारे परिवार के लिए तो यह किसी चमत्कार या वरदान से कम नहीं है। ब्लड कैंसर से पीड़ित गर्भवती महिला को हॉस्पिटल में भर्ती किए बिना इलाज किया गया। इलाज वाले सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल अधीक्षक डॉक्टर सुमित शुक्ला सहित मेडिकल कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर अक्षय लाहौटी ने बताया कि पीथमपुर इलाके की 22 वर्षीय महिला को जब परिजन पहली बार इलाज कराने लाए, तब पीड़िता को लगभग 25 सप्ताह का गर्भ था। वह क्रोनिक माइलॉयड ल्यूकेमिया नाम के ब्लड कैंसर से पीड़ित है।
सबसे बड़ा चैलेंज बिना भर्ती किए इलाज करना
सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के डाक्टर्स के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यह था कि गर्भवती होने के चलते गर्भवती महिला के इलाज में न ज्यादा गर्म दवाइयां दे सकते थे न ही कीमोथैरेपी या रेडिएशन से संबंधित किसी अन्यथेरेपी का इस्तेमाल कर सकते थे। आखिरकार, सीनियर सर्जन डॉक्टर शुक्ला और डॉक्टर लाहौटी ने निर्णय लिया कि गर्भवती पीड़िता को हॉस्पिटल में बिना भर्ती किए उसकी डिलीवरी तक न सिर्फ इलाज करना है। बल्कि निगरानी रखते हुए हर दिन की मेडिकल रिपोर्ट पर सुबह शाम नजर रखना है। यह निर्णय लेने के बाद क्लीनिकल हेमेटोलॉजी की टीम ने इलाज शुरू कर दिया।
कैंसर पीड़ित महिलाओं में मां बनने की उम्मीद जागी
बिना भर्ती किए ब्लड कैंसर से पीड़ित गर्भवती युवती के तीन महीने तक चले सफल इलाज का सकारात्मक परिणाम तब सामने आया। जब एमटीएच हॉस्पिटल की सीनियर गायनेकोलजिस्ट डॉक्टर सुमित्रा यादव की निगरानी में गर्भवती पीड़िता ने बिना ऑपरेशन के प्राकृतिक तरीके से स्वस्थ जुड़वां बालक, बालिका को जन्म दिया। यकीनन यह मामला मेडिकल साइंस में किसी चमत्कार से कम नहीं है।
इलाज करने वाली क्लीनिकल हेमेटोलॉजी टीम का कहना है कि जानलेवा ब्लड कैंसर बीमारी से पीड़ित गर्भवती युवती का संपूर्ण रूप से जुड़वा स्वस्थ बच्चों को जन्म देना कैंसर से पीड़ित उन महिलाओं के लिए आशा की नई किरण है, जिन्होंने इस बीमारी के डर से मां बनने की उम्मीद छोड़ दी है।
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