indore:-बरसते-पानी-में-मकान-तोड़ने-पहुंचे-निगम-के-अमले-का-इंदौर-में-भारी-विरोध
विरोध के बीच इंदौर में तोड़े मकान - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us इंदौर में न्याय नगर की सात एकड़ जमीन पर बने 77 मकानों को बरसते पानी में हटाने पहुंचे नगर निगम के अमले को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। सैकड़ों महिलाएं सड़क पर आ गई और बुलडोजर के सामने खड़ी हो गई। Trending Videos कुछ ने अफसरों से धक्का-मुक्की की कोशिश भी की। उनका कहना था कि वर्षाकाल में अतिक्रमण विरोधी मुहिम नहीं चलाई जाती है। फिर क्यों अभी मकान तोड़े जा रहे है। विरोध के दौरान कुछ युवकों ने पथराव कर जेसीबी के कांंच भी फोड़ दिए। अफसर कोर्ट के आदेश का हवाला देकर मकान तोड़ने पर आमदा थे। आखिरकार निर्माणाधीन मकानों को हटाने पर सहमति बनी। जिन मकानों में लोग रह रहे है,फिलहाल उन्हें नहीं तोड़ा गया, लेकिन उन्हें स्वेच्छा से मकान हटाने के नोटिस नगर निगम द्वारा पहले ही दिए जा चुके है। शुक्रवार को आठ मकान तोड़े गए।   शुक्रवार सुबह सात बजे नगर निगम का अमला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गया था। मुहिम शुरू करने से पहले महिलाएं विरोध करने लगी। कुछ युवक जेसीबी के सामने खड़े हो गए। महिलाएं चीखने के अलावा  अफसरों के सामने रोने लगी। उनका कहना था कि हमने कर्ज लेकर मकान बनाए। सभी मध्यमवर्गीय परिवार है। मकान टूट गए तो कहां जाएंगे? अफसरों ने कहा कि जमीन को कब्जे से मुक्त कराने के निर्देश कोर्ट ने दिए है। हमें तो कोर्ट आदेश का पालन करना हैै। आखिरकार निर्माणाधीन मकानों को तोडने का फैसला लिया गया। इस जमीन का मामला कई वर्षों से कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के मामले में श्रीराम बिल्डर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है और कब्जे हटाने के निर्देश दिए है। इस जमीन पर बीते 10 सालों में मकान बने है। 97 मकानों पर स्टे खजराना क्षेत्र के समीप न्याय नगर की सात एकड़ जमीन का विवाद 20 साल पुराना हैै। पहले यह जमीन इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम में शामिल थी। फिर जमीन मुक्त हो गई। इस जमीन में छोटे प्लाॅट बेचने के लिए कई भूूमाफिया सक्रिय रहे। रहवासियों ने भी कोर्ट मेें याचिकाएं लगा रखी है। 97 मकानों पर कोर्ट स्टे है। जिन 77 मकानों पर स्टे नहीं था। उन्हेें नोटिस दिए गए थे। उन्हें तोड़ने ही सुबह अमला गया था, लेकिन विरोध के चलते खानापूर्ति कर अफसर चले आए।

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विरोध के बीच इंदौर में तोड़े मकान – फोटो : अमर उजाला

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इंदौर में न्याय नगर की सात एकड़ जमीन पर बने 77 मकानों को बरसते पानी में हटाने पहुंचे नगर निगम के अमले को भारी विरोध का सामना करना पड़ा। सैकड़ों महिलाएं सड़क पर आ गई और बुलडोजर के सामने खड़ी हो गई।

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कुछ ने अफसरों से धक्का-मुक्की की कोशिश भी की। उनका कहना था कि वर्षाकाल में अतिक्रमण विरोधी मुहिम नहीं चलाई जाती है। फिर क्यों अभी मकान तोड़े जा रहे है। विरोध के दौरान कुछ युवकों ने पथराव कर जेसीबी के कांंच भी फोड़ दिए।

अफसर कोर्ट के आदेश का हवाला देकर मकान तोड़ने पर आमदा थे। आखिरकार निर्माणाधीन मकानों को हटाने पर सहमति बनी। जिन मकानों में लोग रह रहे है,फिलहाल उन्हें नहीं तोड़ा गया, लेकिन उन्हें स्वेच्छा से मकान हटाने के नोटिस नगर निगम द्वारा पहले ही दिए जा चुके है। शुक्रवार को आठ मकान तोड़े गए।  

शुक्रवार सुबह सात बजे नगर निगम का अमला पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंच गया था। मुहिम शुरू करने से पहले महिलाएं विरोध करने लगी। कुछ युवक जेसीबी के सामने खड़े हो गए। महिलाएं चीखने के अलावा  अफसरों के सामने रोने लगी। उनका कहना था कि हमने कर्ज लेकर मकान बनाए। सभी मध्यमवर्गीय परिवार है।

मकान टूट गए तो कहां जाएंगे? अफसरों ने कहा कि जमीन को कब्जे से मुक्त कराने के निर्देश कोर्ट ने दिए है। हमें तो कोर्ट आदेश का पालन करना हैै। आखिरकार निर्माणाधीन मकानों को तोडने का फैसला लिया गया। इस जमीन का मामला कई वर्षों से कोर्ट में है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन के मामले में श्रीराम बिल्डर्स के पक्ष में फैसला सुनाया है और कब्जे हटाने के निर्देश दिए है। इस जमीन पर बीते 10 सालों में मकान बने है।

97 मकानों पर स्टे

खजराना क्षेत्र के समीप न्याय नगर की सात एकड़ जमीन का विवाद 20 साल पुराना हैै। पहले यह जमीन इंदौर विकास प्राधिकरण की स्कीम में शामिल थी। फिर जमीन मुक्त हो गई।

इस जमीन में छोटे प्लाॅट बेचने के लिए कई भूूमाफिया सक्रिय रहे। रहवासियों ने भी कोर्ट मेें याचिकाएं लगा रखी है। 97 मकानों पर कोर्ट स्टे है। जिन 77 मकानों पर स्टे नहीं था। उन्हेें नोटिस दिए गए थे। उन्हें तोड़ने ही सुबह अमला गया था, लेकिन विरोध के चलते खानापूर्ति कर अफसर चले आए।

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