शहर में 300 रुपये है जलकर। – फोटो : अमर उजाला
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इंदौर नगर निगम नेे इस बार बजट में जलकर 200 रुपये से बढ़ाकर तीन सौ रुपये कर दिया। इंदौर में जलकर प्रदेश के दूसरे शहरों की तुलना में पहले से ज्यादा था और इसमें 100 रुपये प्रतिमाह का इजाफा कर शहरवासियों की जेंब पर बोझ और बढ़ा दिया है।
जलकर में इजाफे का कांग्रेस के अलावा शहरवासी भी विरोध कर रहे हैै। उनका कहना है कि जलकर बढ़ाने से पहले जल वितरण व्यवस्था भी नगर निगम को ठीक करना चाहिए। अवैध नल कनेक्शनों पर सख्ती नहीं है, जो ईमानदार उपभोक्ता है, उनके यहां कम दबाव से पानी आता है। इसके अलावा गंदे पानी की समस्या भी बरकरार है। पहले उसमें सुधार होना चाहिए।
नगर निगम को सबसे ज्यादा बिजली जलूद से इंदौर तक 70 किलोमीटर की दूरी तय कर पानी लाने में खर्च करना पड़ती है। हर साल डेढ़ सौ करोड़ रुपये बिजली बिल के चुकाना पड़ रहे है। शहर में पांच लाख से ज्यादा नल कनेक्शन है, लेकिन ज्यादातर समय पर जलकर नहीं भरते है। इस कारण नगर निगम पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
राजधानी में 180 रुपये जलकर
प्रदेश की राजधानी भोपाल में जलकर 180 रुपये प्रतिमाह लिया जाता है, जबकि जबलपुर में 170 रुपये प्रतिमाह नगर निगम वसूलती है। ग्वालियर में 150 रुपये जलकर है, जबकि सबसे ज्यादा इंदौर में 300 रुपये है। सामाजिक कार्यकर्ता किशोर कोडवानी का कहना हैै कि नगर निगम को पानी चोरी पर लगाम लगाना चाहिए।
पुराने पाइपों के कारण उपचारित किया गया पानी व्यर्थ बहता है। जलकर उपभोक्ता पर बिल का बोझ बढ़ाना उचित नहीं है। मेयर पुष्य मित्र भार्गव ने कहा कि अवैध नल कनेक्शनों को वैध करने का अभियान अौर तेज होगा। गंदे पानी की समस्या पर काफी हद तक लगाम लगाया गया है।
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