indore:-दो-तीन-दिन-में-दिल्ली-से-स्वच्छता-का-सर्वेक्षण-करने-आएगी-टीम,-बारिश-में-सर्वे-बना-चुनौती
सातवीं बार स्वच्छता में नंबर वन आने की कोशिश - फोटो : amar ujala digital विस्तार Follow Us इंदौर ने सातवीं बार स्वच्छता में नबंर वन आने के लिए कमर कस ली है। दो तीन दिन में स्वच्छता सर्वेक्षण टीम इंदौर आ जाएगी। यह पहला मौका है, जब बारिश में सर्वे हो रहा है। बारिश के कारण शहर की कई सड़कों पर जलजमाव, नालों में गाद है। इसके चलते इस बार स्वच्छता का सरताज बनना इंदौर नगर निगम के लिए आसान नहीं होगा, हालांकि पूरे शहर में नगर निगम की टीमें तैनात है। बेकलाइन साफ की जा रही है। डिवाइडरों को धोकर साफ किया जा रहा है। बारिश में हो रहे सर्वे को लेकर निगमायुक्त हर्षिका सिंह का कहना है कि इस मौसम में सर्वे होना इंदौर ही नहीं देश के अन्य शहरों के लिए भी बड़ा चैलेंज है। स्वच्छता सर्वेक्षण में सिटी प्रोफाइल के हिसाब से अलग- अलग पाइंट रहते है। सर्वेक्षण के मापदंडों के हिसाब से जोनल स्तर पर हमने टीमें तैयार की है। माइक्रो प्लान बनाया है। बारिश के समय जो टीमें सर्वे के लिए आ रही है, मुझे लगता है कि उन्हें बारिश के दौरान किन पहलूअेां का ध्यान रखना है, यह ब्रीफ किया है। बारिश में जलजमाव हो सकता है, नालें अभी सूखे नहीं है। यह स्थिति इंदौर ही नहीं दूसरे शहरों के साथ भी है। सर्वे के दौरान इन बातों का भी टीम जरुर ध्यान रखेगी। ये है इंदौर की स्वच्छता की ताकत - डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का सिस्टम पूरे शहर में शत प्रतिशत काम करता है। शहर में कचरा पेटियां नहीं है। कचरा भी पांच प्रकार से संग्रहित हो रहा है। - कचरे से खाद, सीएनजी गैस, ईधन बनाया जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरे का निपटान व्यवस्थित हो रहा है। - कचरे के पुर्नउपयोग में इंदौर आ गे, कचरे के लिए थ्री आर (रिसायकल, रियूस और रिड्यूज) सिस्टम शहर में लागू है। यहां हम कमजोर हो रहे साबित - शहर में हर दिन 900 मीटर सीवरेज लाइन बिछाई जा रही है। नर्मदा पेयजल और स्टार्म वाटर लाइन के काम के कारण शहर के कई मार्गों पर खुदाई है। शहर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के कारण भी धूल और मलबा है। - पिछली बार इंदौर को वाटर प्लस सिटी के लिए सेवन स्टाॅर रेटिंग सर्टिफिकेट मिला था,लेकिन इस साल के लिए उसकी वैधता खत्म हो गई है। शहर का नाला टेपिंग प्रोजेक्ट लगभग फ्लाॅप साबित हुआ । नालों में अभी भी सीवरेज का पानी मिल रहा है। गाद भी ठीक से नहीं निकल पाई। - सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए इंदौर में अभियान तो चले, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह से रोकथाम नहीं लग पाई। - शहर के सार्वजनिक शौचालयों की सफाई भी ठीक तरह से नहीं हो पा रही है। कई शौचालय खराब पड़े है।

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सातवीं बार स्वच्छता में नंबर वन आने की कोशिश – फोटो : amar ujala digital

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इंदौर ने सातवीं बार स्वच्छता में नबंर वन आने के लिए कमर कस ली है। दो तीन दिन में स्वच्छता सर्वेक्षण टीम इंदौर आ जाएगी। यह पहला मौका है, जब बारिश में सर्वे हो रहा है। बारिश के कारण शहर की कई सड़कों पर जलजमाव, नालों में गाद है। इसके चलते इस बार स्वच्छता का सरताज बनना इंदौर नगर निगम के लिए आसान नहीं होगा, हालांकि पूरे शहर में नगर निगम की टीमें तैनात है। बेकलाइन साफ की जा रही है। डिवाइडरों को धोकर साफ किया जा रहा है।

बारिश में हो रहे सर्वे को लेकर निगमायुक्त हर्षिका सिंह का कहना है कि इस मौसम में सर्वे होना इंदौर ही नहीं देश के अन्य शहरों के लिए भी बड़ा चैलेंज है। स्वच्छता सर्वेक्षण में सिटी प्रोफाइल के हिसाब से अलग- अलग पाइंट रहते है। सर्वेक्षण के मापदंडों के हिसाब से जोनल स्तर पर हमने टीमें तैयार की है। माइक्रो प्लान बनाया है। बारिश के समय जो टीमें सर्वे के लिए आ रही है, मुझे लगता है कि उन्हें बारिश के दौरान किन पहलूअेां का ध्यान रखना है, यह ब्रीफ किया है। बारिश में जलजमाव हो सकता है, नालें अभी सूखे नहीं है। यह स्थिति इंदौर ही नहीं दूसरे शहरों के साथ भी है। सर्वे के दौरान इन बातों का भी टीम जरुर ध्यान रखेगी।

ये है इंदौर की स्वच्छता की ताकत

– डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का सिस्टम पूरे शहर में शत प्रतिशत काम करता है। शहर में कचरा पेटियां नहीं है। कचरा भी पांच प्रकार से संग्रहित हो रहा है।

– कचरे से खाद, सीएनजी गैस, ईधन बनाया जा रहा है। ट्रेंचिंग ग्राउंड पर कचरे का निपटान व्यवस्थित हो रहा है।

– कचरे के पुर्नउपयोग में इंदौर आ गे, कचरे के लिए थ्री आर (रिसायकल, रियूस और रिड्यूज) सिस्टम शहर में लागू है।

यहां हम कमजोर हो रहे साबित

– शहर में हर दिन 900 मीटर सीवरेज लाइन बिछाई जा रही है। नर्मदा पेयजल और स्टार्म वाटर लाइन के काम के कारण शहर के कई मार्गों पर खुदाई है। शहर में मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के कारण भी धूल और मलबा है।

– पिछली बार इंदौर को वाटर प्लस सिटी के लिए सेवन स्टाॅर रेटिंग सर्टिफिकेट मिला था,लेकिन इस साल के लिए उसकी वैधता खत्म हो गई है। शहर का नाला टेपिंग प्रोजेक्ट लगभग फ्लाॅप साबित हुआ । नालों में अभी भी सीवरेज का पानी मिल रहा है। गाद भी ठीक से नहीं निकल पाई।

– सिंगल यूज प्लास्टिक के लिए इंदौर में अभियान तो चले, लेकिन अभी भी इस पर पूरी तरह से रोकथाम नहीं लग पाई।

– शहर के सार्वजनिक शौचालयों की सफाई भी ठीक तरह से नहीं हो पा रही है। कई शौचालय खराब पड़े है।

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