indore:-दवा-दुकान-खोलने-के-लिए-20-हजार-रुपए-में-दी-फार्मेसी-की-फर्जी-डिग्रियां,-मप्र-फार्मेसी-काउंसिल-में-जांच
INDORE NEWS - फोटो : अमर उजाला, इंदौर विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल में बड़ा कांड उजागर हुआ है। इंदौर पुलिस ने भोपाल जाकर वहां के दो बाबुओं को गिरफ्तार किया है। इन्हें डी फार्मा, बी फार्मा और एम फार्मा जैसे डिग्रियों की फर्जी मार्कशीट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच इन बाबुओं पर आकर नहीं थमी है। पुलिस को शक है कि इसमें कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। इंदौर में दर्ज मामले की जांच के दौरान पुलिस को अब तक 200 से अधिक फर्जी मार्कशीट बनाने की जानकारी मिली है, लेकिन पुलिस को शक है कि असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है।  विजय नगर थाना पुलिस ने बताया कि डी फार्मा, बी फार्मा और एम फार्मा जैसे डिग्रियों की फार्मसी कोर्स की फर्जी मार्कशीट बनाने की शिकायत मिली थी। यह मार्कशीट दवा दुकान खोलने के साथ फार्मा इंडस्ट्री में काम करने के लिए जरूरी होती है। इसके बाद पुलिस ने इसकी तफ्तीश अपने स्तर पर शुरू की। जब पुलिस ने सुराग जुटाए तो शक की सुई मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल के ही दो बाबूओं पर आकर टिक गई। मामला इंदौर का था और आरोपी भोपाल के लिहाजा पुलिस ने पूरी जांच और सबूत जुटाने के बाद फर्जी मार्कशीट घोटाले के सूत्रधार विजय शर्मा और सत्य नारायण पांडे को भोपाल जाकर हिरासत में ले लिया। जानकारी के मुताबिक, ये दोनों एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में LDC और UDC के पद पर कार्यरत हैं। दोनों क्लर्क लगभग 20 सालों से फार्मेसी काउंसिल में काम कर रहे हैं। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक दोनों ने विगत दो सालों में 200 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट्स बनाकर 50 लाख रुपए की काली कमाई की है।  हूबहू असली मार्कशीट बनाकर देते थे पुलिस के मुताबिक यह दोनों महज कुछ दिनों के भीतर ही ऐसी फर्जी मार्कशीट बनाकर दे देते थे, जो दिखने में हूबहू असली जैसी लगती थी। दोनों बाबू जरूरतमंद लोगों से फर्जी मार्कशीट के लिए अलग अलग राशि लेते थे। वे मार्कशीट खरीदने वाले का स्तर देखकर उसे पैसे बताते थे।  किसी को केवल 20 हजार रुपए में तो किसी को 40 हजार रुपए तक में फर्जी मार्कशीट बनाकर दी।  

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मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल में बड़ा कांड उजागर हुआ है। इंदौर पुलिस ने भोपाल जाकर वहां के दो बाबुओं को गिरफ्तार किया है। इन्हें डी फार्मा, बी फार्मा और एम फार्मा जैसे डिग्रियों की फर्जी मार्कशीट बनाने के आरोप में गिरफ्तार किया है। पुलिस की जांच इन बाबुओं पर आकर नहीं थमी है। पुलिस को शक है कि इसमें कुछ बड़े अधिकारी भी शामिल हैं। इंदौर में दर्ज मामले की जांच के दौरान पुलिस को अब तक 200 से अधिक फर्जी मार्कशीट बनाने की जानकारी मिली है, लेकिन पुलिस को शक है कि असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। 

विजय नगर थाना पुलिस ने बताया कि डी फार्मा, बी फार्मा और एम फार्मा जैसे डिग्रियों की फार्मसी कोर्स की फर्जी मार्कशीट बनाने की शिकायत मिली थी। यह मार्कशीट दवा दुकान खोलने के साथ फार्मा इंडस्ट्री में काम करने के लिए जरूरी होती है। इसके बाद पुलिस ने इसकी तफ्तीश अपने स्तर पर शुरू की। जब पुलिस ने सुराग जुटाए तो शक की सुई मध्य प्रदेश स्टेट फार्मेसी काउंसिल के ही दो बाबूओं पर आकर टिक गई। मामला इंदौर का था और आरोपी भोपाल के लिहाजा पुलिस ने पूरी जांच और सबूत जुटाने के बाद फर्जी मार्कशीट घोटाले के सूत्रधार विजय शर्मा और सत्य नारायण पांडे को भोपाल जाकर हिरासत में ले लिया। जानकारी के मुताबिक, ये दोनों एमपी स्टेट फार्मेसी काउंसिल में LDC और UDC के पद पर कार्यरत हैं। दोनों क्लर्क लगभग 20 सालों से फार्मेसी काउंसिल में काम कर रहे हैं। प्रारंभिक जानकारी के मुताबिक दोनों ने विगत दो सालों में 200 से ज्यादा फर्जी मार्कशीट्स बनाकर 50 लाख रुपए की काली कमाई की है। 

हूबहू असली मार्कशीट बनाकर देते थे
पुलिस के मुताबिक यह दोनों महज कुछ दिनों के भीतर ही ऐसी फर्जी मार्कशीट बनाकर दे देते थे, जो दिखने में हूबहू असली जैसी लगती थी। दोनों बाबू जरूरतमंद लोगों से फर्जी मार्कशीट के लिए अलग अलग राशि लेते थे। वे मार्कशीट खरीदने वाले का स्तर देखकर उसे पैसे बताते थे।  किसी को केवल 20 हजार रुपए में तो किसी को 40 हजार रुपए तक में फर्जी मार्कशीट बनाकर दी।
 

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