मंत्री नागर सिंह चौहान ने ग्रेफाइड को लेकर दिया बयान। – फोटो : अमर उजाला
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मध्य प्रदेश में जोबट के खट्टाली गांव में जमीन के भीतर ग्रेफाइट के भंडार की संभावना के चलते केंद्र सरकार ने कोल इंडिया कंपनी को खोज और खनन के लिए एक ब्लाॅक देने का फैसला लिया है। कंपनी ने इस ब्लाॅक की बोली लगाई थी। कंपनी को खनन के लिए लाइसेंस भी देने की प्रक्रिया शुरू हो गई है।इसे लेकर आदिवासी ग्रामीणों को लग रहा है कि कंपनी उनकी जमीन ले लेगी। इसे लेकर आदिम जाति मंत्री कल्याण मंत्री नागर सिंह चौहान ने आश्वस्त किया कि ग्रामीणों को घबराने की जरूरत नहीं है। उनकी मुख्यमंत्री मोहन यादव से चर्चा हो चुकी है। उन्होंने कहा कि जोबट के लोगों की एक इंच भी जमीन किसी कंपनी द्वारा नहीं ली जाएगी।
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चौहान ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के 89 आदिवासी विकासखंडों में पेसा एक्ट कानून लागू किया है। इसके तहत कोई भी कंपनी बगैर ग्राम सभा और स्थानीय लोगों की सहमति के बगैर कोई फैक्ट्री, कारखाना नहीं लगा सकती है, इसलिए ग्रामीणों को किसी के बहाकावे में आने की जरुरत नहीं है। आलीराजपुर, जोबट का भाजपा संगठन ग्रामीणों के साथ है।
कोल इंडिया कंपनी ने लगाई थी बोली
ग्रेफाइट खनन को लेकर 9 जुलाई को नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी। कोयले के क्षेत्र में काम करने वाली कोल इंडिया कंपनी ने पहली बार ग्रेफाइट की खोज और खनन में दिलचस्पी ली है और आलीराजपुर जिले के खट्टाली के छोटे ग्रेफाइट ब्लाॅक को पसंद किया और खनिज प्रेषण मूल्य का न्यूनतम 150 प्रतिशत प्रीमियम निर्धारित करते हुए बोली लगाई है।
लिथियम आयन बैटरी में होता है ग्रेफाइट का उपयोग
ग्रेफाइट का उपयोग लिथियम आयन बैटरी के लिए होता है। अभी इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए इससे बनी रिचार्जेबल बैटरियों के लिए काफी डिमांड है। केंद्रीय खान मंत्रालय ने देश में 14 ब्लाॅकों की नीलामी की है।
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