कब बारिश के कारण बिलावली तालाब भी पूरा नहीं भर पाया। - फोटो : amar ujala digital विस्तार Follow Us जुलाई में बादलों ने ज्यादा बरस कर जहां दस सालों का रिकार्ड बनाया, वही अगस्त में सबसे कम बारिश का रिकार्ड बना है। इस साल अगस्त में सिर्फ तीन इंच बारिश हुई है। इसका असर इंदौर में बारिश के कोटे पर भी पड़ा है। आमतौर पर इंदौर में 40 इंच तक पानी बरसता है, लेकिन अब तक कुल 24.7 इंच बारिश ही हो पाई। इंदौर के अलावा आसपास के शहर भी इस बार सूखे रहे। मानसून की ट्रफ लाइन मध्य प्रदेश के बजाए हिमलाय के तराई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरी। इसलिए इस बार उत्तराखंड और हिमाचल में ज्यादा बारिश हुई है। सितंबर में भी ज्यादा बारिश के आसार नहीं है। आमतौर पर अगस्त में आठ से दस इंच बारिश होती है। दो साल पहले छ इंच बारिश हुई थी, लेकिन इस बार तो तीन इंच बारिश ही हुई है। इतनी कम बारिश बीते दस वर्षों में नहीं हुई है। इंदौर में कुल 24.7 इंच बारिश हुई,जबिक 28 अगस्त में तीन इंच पानी ही बरसता है। मौसम वैज्ञानिक ममता यादव के अनुसार मध्य प्रदेश में कोई सिस्टम सक्रिय नहीं है। इस बार मानसून की टर्फ लाइन हिमालय के तराई वाले क्षेत्र के उपर है। मानसून गतिविधियां भी उत्तराखंड, हिमाचाल, दिल्ली वाले हिस्से में ज्यादा हुई है। मध्य प्रदेश में कब दबाव के क्षेत्र भी नहीं बने। इस कारण से अगस्त में बारिश कम हुई है। सितंबर माह में वर्षा का मौसम समाप्त हो जाता है। यदि लोकल सिस्टम बनता है तब बारिश के अासार बनेंगे। 18 इंच कम बारिश इस बार अगस्त माह सूखा रहने के कारण इंदौर में मानसून सीजन में 18 से 20 इंच बारिश कम हुई है। इंदौर में मानसून सीजन में 40 इंच तक बारिश होती है। सबसे ज्यादा 17 इंच बारिश जुलाई माह में इंदौर में हुई। पूरे अगस्त में एक दिन एक इंच बारिश हुई। महीने भर हल्की बूंदाबादी होती रही। अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश 79 साल पहले 1944 को हुई थी। तब 27 इंच पानी गिरा था। अगस्त माह में सबसे ज्यादा बारिश वर्ष 2020 में हुई थी। तब एक दिन में दस इंच बारिश हुई थी। बारिश के पूरे सीजन में जुलाई में एक दिन में सर्वाधिक तीन इंच बारिश हुई।

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कब बारिश के कारण बिलावली तालाब भी पूरा नहीं भर पाया। – फोटो : amar ujala digital

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जुलाई में बादलों ने ज्यादा बरस कर जहां दस सालों का रिकार्ड बनाया, वही अगस्त में सबसे कम बारिश का रिकार्ड बना है। इस साल अगस्त में सिर्फ तीन इंच बारिश हुई है। इसका असर इंदौर में बारिश के कोटे पर भी पड़ा है। आमतौर पर इंदौर में 40 इंच तक पानी बरसता है, लेकिन अब तक कुल 24.7 इंच बारिश ही हो पाई।

इंदौर के अलावा आसपास के शहर भी इस बार सूखे रहे। मानसून की ट्रफ लाइन मध्य प्रदेश के बजाए हिमलाय के तराई वाले क्षेत्रों से होकर गुजरी। इसलिए इस बार उत्तराखंड और हिमाचल में ज्यादा बारिश हुई है। सितंबर में भी ज्यादा बारिश के आसार नहीं है।

आमतौर पर अगस्त में आठ से दस इंच बारिश होती है। दो साल पहले छ इंच बारिश हुई थी, लेकिन इस बार तो तीन इंच बारिश ही हुई है। इतनी कम बारिश बीते दस वर्षों में नहीं हुई है। इंदौर में कुल 24.7 इंच बारिश हुई,जबिक 28 अगस्त में तीन इंच पानी ही बरसता है।

मौसम वैज्ञानिक ममता यादव के अनुसार मध्य प्रदेश में कोई सिस्टम सक्रिय नहीं है। इस बार मानसून की टर्फ लाइन हिमालय के तराई वाले क्षेत्र के उपर है। मानसून गतिविधियां भी उत्तराखंड, हिमाचाल, दिल्ली वाले हिस्से में ज्यादा हुई है। मध्य प्रदेश में कब दबाव के क्षेत्र भी नहीं बने। इस कारण से अगस्त में बारिश कम हुई है। सितंबर माह में वर्षा का मौसम समाप्त हो जाता है। यदि लोकल सिस्टम बनता है तब बारिश के अासार बनेंगे।

18 इंच कम बारिश

इस बार अगस्त माह सूखा रहने के कारण इंदौर में मानसून सीजन में 18 से 20 इंच बारिश कम हुई है। इंदौर में मानसून सीजन में 40 इंच तक बारिश होती है। सबसे ज्यादा 17 इंच बारिश जुलाई माह में इंदौर में हुई। पूरे अगस्त में एक दिन एक इंच बारिश हुई। महीने भर हल्की बूंदाबादी होती रही।

अगस्त में सबसे ज्यादा बारिश 79 साल पहले 1944 को हुई थी। तब 27 इंच पानी गिरा था। अगस्त माह में सबसे ज्यादा बारिश वर्ष 2020 में हुई थी। तब एक दिन में दस इंच बारिश हुई थी। बारिश के पूरे सीजन में जुलाई में एक दिन में सर्वाधिक तीन इंच बारिश हुई।

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