न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Tue, 13 Aug 2024 07: 48 PM IST
आलोक बताते हैै कि उनके पास सबसे बेशकीमती वस्तु महात्मा गांधी का चश्मा है। इसके पीछे की कहानी वे बताते है कि वर्ष1947 में आजादी के बाद प्रधानंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दंगों को शांत करने के लिए उनके दादा को राजस्थान के अजमेर में भेजा था।
संग्रह में महात्मा गांधी की वस्तुएं। – फोटो : अमर उजाला
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इंदौर में रहने वाले 53 वर्षीय आलोक खादीवाला के पास स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित एक हजार से ज्यादा डाक टिकट और महात्मा गांधी द्वारा उपहार में दिया गया एक चश्मा है। इन्हें आजादी से जुडी चीजों को सहेजने का शौक है। आलोक स्वतंत्रता सेनानी स्व. कन्हैयालाल खादीवाला के पोते हैं। वे बचपन से ही डाक टिकट का संग्रह कर रहे हैं।
आलोक बताते हैं कि स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार ने जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, चंद्रशेखर आजाद और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे नेताओं के योगदान को सम्मानित करने के लिए डाक टिकट जारी किए। ये टिकट उनके संग्रह का हिस्सा हैं। संयुक्त राष्ट्र और यूके, यूएस, जर्मनी और इंडोनेशिया जैसे देशों ने भी महात्मा गांधी और कुछ अन्य प्रतिष्ठित भारतीय हस्तियों को समर्पित टिकट और सिक्के जारी किए हैं। वे भी उनके पास मिल जाएंगे।
आजादी के बाद पं. नेहरू ने भेजा था अजमेर दंगे शांत कराने
आलोक बताते हैं कि उनके पास सबसे बेशकीमती वस्तु महात्मा गांधी का चश्मा है। इसके पीछे की कहानी वे बताते हैं कि वर्ष 1947 में आजादी के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने दंगों को शांत करने के लिए उनके दादा कन्हैयालाल खादीवाला को राजस्थान के अजमेर में भेजा था। शांति बहाल होने के बाद वे महात्मा गांधी से मिलने दिल्ली गए और स्थिति से अवगत कराया। बापू ने अपना चश्मा उन्हें उपहार स्वरूप दे दिया, जिसे उन्होंने अभी तक सहेज कर रखा है। कई लोग इसे देखने आते हैं। खादीवाला परिवार इंदौर में समाजसेवा से जुड़े कई काम भी करता है।
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