इंदौर में अब तक आठ मकान तोड़े गए। – फोटो : अमर उजाला
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इंदौर के कई परिवार वर्षो पुराने खतरनाक मकानों में रहकर अपनी जान दांव पर लगा रहे है। इसके पीछे मंशा यह है कि मकान पर कब्जा बना रहे और किराया ज्यादा न लगे। इंदौर में अब ऐसे मकानों को तोड़ने का अभियान छेड़ दिया गया है।
फिलहाल खतरनाक मकानों की सूची में 99 मकान शामिल किए गए है,लेकिन उन्हें तोड़ना इतना भी अासान नहीं है। खतरनाक मकानों में रहने वाले ज्यादातर परिवार 30-40 सालों से किराए से रह रहे है।
लंबे समय से किराएदार रहने के कारण वे कोर्ट में केस लगा देते है। मकान खाली करने के एवज में वे मकान मालिक से राशि भी मांगते हैै। कई बार मकान मालिक भी उन्हें पैसा देने के बजाए मकान के खतरनाक होकर खुद ब खुद गिरने का इंतजार करते है। इस कारण वे मकान की मरम्मत भी नहीं कराते है। सागर में दीवार गिरनेे से बच्चों की मौत के मामले में भी संपत्ति विवाद ही था।
वे खतरनाक दीवार को हटा नहीं रहते थे, लेकिन सागर केे हादसे के बाद इंदौर नगर निगम ने खतरनाक मकानों को लेकर सख्ती शुरू कर दी है। बजाज खाना क्षेत्र में 80 साल पुराने दो मकान तोड़े गए। इन मकानों में परिवार भी रह रहे थे।पहले मकान खाली कराया गया। नीचे दुकानें भी संचालित हो रही थी। आपको बता दे कि अब तक आठ मकान तोड़े गए है। इस माह 20 से ज्यादा मकान तोड़े जाएंगे।
ज्यादातर मकानों के मामले कोर्ट में
आमतौर पर निगम बारिश शुरू होने से पहले अभियान चलता है, लेकिन इस बार नही चलाया। मकानों को नोटिस देकर स्वेच्छा से हटाने को कहा जाता है। शहर में खतरनाक मकान, जूनी इंदौर, राजवाड़ा, सराफा, बाराभाई, बजाजखाना चौक वाले इलाके में ज्यादा है। ज्यादातर मकानों के मामले कोर्ट में है। अब नगर निगम के अफसर इन खतरनाक मकानों की वीडियोग्राफी भी करा रहे है, ताकि वे भी कोर्ट के समक्ष मकानों की स्थिति बता सके।
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