indore:-इंदौर-में-चार-मंजिला-बंगले-में-रहता-है-बूढ़ा-पीपल,-पेड़-के-लिए-बदला-मकान-का-नक्शा
बंगले में जीवित रखा 80 साल पुराना पीपल - फोटो : अमर उजाला विस्तार वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें बेशकीमती प्लाॅट पर जब मकान बनाने की बारी आती है तो लोग हरियाली से समझौता कर लेते है। जमीन समतल करने के लिए सारे पेड़ काट दिए जाते है, लेकिन इंदौर के एक बंगले में बूढ़ा पीपल भी रहता है। 1800 वर्गफीट क्षेत्रफल में बने बंगलेे के मालिक किशोर पंवार ने 80 साल पुराने पेड़ को नहीं काटा, बल्कि उसे जिंदा और हरा भरा रखने के लिए अपने घर के नक्शे में बदलाव किया। अब पीपल भी इस परिवार का सदस्य है। उसे रोज पूजा भी जाता है और जल भी चढ़ाया जाता है। इस वट वृक्ष की ऊंचाई 15 मीटर से ज्यादा है और तना काफी मोटा है। पुराना होने के कारण उसकी जटाएं भी निकलने लगी है। दो बेडरुमों से निकलकर छत तक गई शाखाएं पंवार बताते है हमारे माता-पिता जब एमआर-9 मार्ग पर रहने आए थे। तब यह पीपल का पेड़ काफी छोटा था। मां इसे रोज जल चढ़ाती थी और पूजा करती थी। जब हमने बंगला बनाने का सोचा तो कई रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि इस पेड़ को काट दो, इसकी जड़े मकान को नुकसान पहुंचाएगी, लेकिन हमने सोचा कि यह बूढ़ा पीपल हमने अपने माता-पिता की याद दिलाता रहेगा। इसका आशीर्वाद तो होना चाहिए। इंजीनियर को इसे बचाकर नक्शा तैयार करने को कहा। इस पेड़ का मोटा तना और शाखाएं दो बेडरुमों से होकर गुजरती है। हमने भी पेड़ के साथथ रहना अच्छा लगता है। किशोर बताते है कि जब वे जवान थे तो पेड़ का तना काफी पतला था,लेकिन अब ताना काफी मोटा हो चुका है। उसके हिसाब से हमने छत में बदलाव किया। शुद्ध हवा और छाया मिलती है पंवार परिवार ने बंगले के सामने के मार्ग के ग्रीन बेल्ट पर भी छायादार पेड़ लगाए है। परिजनों का कहना है कि हमें इस बात की खुशी है कि हमने अपनी सुविधा के लिए किसी पेड को नहीं काटा। पीपल हमें आक्सीजन युक्त हवा देता है और गर्मियों के दिनों में उसकी छाया भी सुकून देती है।

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बंगले में जीवित रखा 80 साल पुराना पीपल – फोटो : अमर उजाला

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बेशकीमती प्लाॅट पर जब मकान बनाने की बारी आती है तो लोग हरियाली से समझौता कर लेते है। जमीन समतल करने के लिए सारे पेड़ काट दिए जाते है, लेकिन इंदौर के एक बंगले में बूढ़ा पीपल भी रहता है।

1800 वर्गफीट क्षेत्रफल में बने बंगलेे के मालिक किशोर पंवार ने 80 साल पुराने पेड़ को नहीं काटा, बल्कि उसे जिंदा और हरा भरा रखने के लिए अपने घर के नक्शे में बदलाव किया। अब पीपल भी इस परिवार का सदस्य है। उसे रोज पूजा भी जाता है और जल भी चढ़ाया जाता है। इस वट वृक्ष की ऊंचाई 15 मीटर से ज्यादा है और तना काफी मोटा है। पुराना होने के कारण उसकी जटाएं भी निकलने लगी है।

दो बेडरुमों से निकलकर छत तक गई शाखाएं

पंवार बताते है हमारे माता-पिता जब एमआर-9 मार्ग पर रहने आए थे। तब यह पीपल का पेड़ काफी छोटा था। मां इसे रोज जल चढ़ाती थी और पूजा करती थी। जब हमने बंगला बनाने का सोचा तो कई रिश्तेदारों ने सुझाव दिया कि इस पेड़ को काट दो, इसकी जड़े मकान को नुकसान पहुंचाएगी, लेकिन हमने सोचा कि यह बूढ़ा पीपल हमने अपने माता-पिता की याद दिलाता रहेगा। इसका आशीर्वाद तो होना चाहिए।

इंजीनियर को इसे बचाकर नक्शा तैयार करने को कहा। इस पेड़ का मोटा तना और शाखाएं दो बेडरुमों से होकर गुजरती है। हमने भी पेड़ के साथथ रहना अच्छा लगता है। किशोर बताते है कि जब वे जवान थे तो पेड़ का तना काफी पतला था,लेकिन अब ताना काफी मोटा हो चुका है। उसके हिसाब से हमने छत में बदलाव किया।

शुद्ध हवा और छाया मिलती है

पंवार परिवार ने बंगले के सामने के मार्ग के ग्रीन बेल्ट पर भी छायादार पेड़ लगाए है। परिजनों का कहना है कि हमें इस बात की खुशी है कि हमने अपनी सुविधा के लिए किसी पेड को नहीं काटा। पीपल हमें आक्सीजन युक्त हवा देता है और गर्मियों के दिनों में उसकी छाया भी सुकून देती है।

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