बस अब नारों में साफ नजर आता है इंदौर। – फोटो : अमर उजाला
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लगातार सात बार से स्वच्छता में नंबर वन का ताज पहनने वाले इंदौर को इस बार सूरत से कड़ी टक्कर मिल रही है। पिछली बार सूरत ने इंदौर के साथ स्वच्छता का पुरस्कार साझा किया था।
सूरत लगातर दूसरी रैंक पर था, लेकिन पिछली बार डोर टू डोर कचरा संग्रहण सिस्टम को मजबूत कर सूरत इंदौर के समकक्ष खड़ा हो गया। इस बार आधुनिक मशीनों से सडकों की सफाई, कचरे से बिजली व खाद बनाने के काम में वह इंदौर से आगे है। डेढ़ माह बाद रैंकिंग परखने के लिए सर्वे शुरू हो सकता है, लेकिन अभी इंदौर की कुछ तैयारी नहीं है।
पिछली बार सिटीजन वाइस स्कोर में सूरत को इंदौर से छह अंक ज्यादा मिले थे। इस बार इंदौर में 311 एप से शिकायतों का निराकरण ठीक से नहीं हो पा रहा है। रैंकिंग सर्वे के लिए आने वाली टीम शहर के लोगों से भी फीडबैक लेती है। इस बार इसमे नंबर कम होने का खतरा इंदौर को हो सकता है, क्योकि शहरवासी भी मान रहे है कि पहले की तुलना में सफाई व्यवस्था कमजोर हुई है।
छह तरह से कचरा संग्रहण इंदौर की ताकत
इंदौर की सफाई व्यवस्था की सबसे बड़ी ताकत डोर टू डोर कचरा संग्रहण है। इसमें शहरवासियों की जनभागीदारी महत्वपूर्ण है। देश में इंदौर में गीले, सूखे कचरे के अलावा सेनेटरी वेस्ट, इलेक्ट्रानिक वेस्ट, कांच वेस्ट अलग-अलग कलेक्ट होकर ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचता है। सूरत ने भी इस सिस्टम पर इस बार ज्यादा मेहनत की हैै। मेयर पुष्य मित्र भार्गव का कहना है कि आठवीं बार भी इंदौर सफाई में नंबर वन रहेगा। डोर टू डोर कचरा कलेक्शन मजबूत हुआ है। इसके लिए हमने नए वाहन भी खरीदे हैै।
इन मामलों में कमजोर साबित हो रहा इंदौर
– सार्वजनिक शौचालय अब साफ नहीं रहते। उसके रखरखाव पर भी ध्यान नहीं।
– शहरवासियों में भी जागरुकता कम हुई। गलियों में कचरे के ढेर नजर आने लगे है।
-शहर की बेकलेन की सफाई व्यवस्था बिगड़ चुकी है। नालियों मेें गाद और गंदगी रहती है।
– शहर के नालों की सफाई ठीक से नहीं। पहले नालों को सूखाकर मैदान बना दिया गया था।
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