कैंसर अस्पताल के तलघर में की वाटर प्रूफिंग। – फोटो : amar ujala digital
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शहर के एकमात्र सरकारी कैंसल अस्पताल की बिल्डिंग बीते 20 सालों से जलजमाव की समस्या कायम थी। अफसर समझ नहीं पाते थे कि आखिर तलघर में बारिश के दिनों मे दो तीन फुट पानी कैसे भर जाता है। इससे बिल्डिंग के खतरनाक होने का खतरा भी बढ़ गया था और नींव भी कमजोर हो रही थी। इसके बाद मेडिकल काॅलेज प्रशासन ने इंदौर विकास प्राधिकरण से संपर्क कर काम करने को कहा था।
अफसरों ने जलजमाव की समस्या खोजी, बिल्डिंग के समय की प्लानिंग देखी।पुराने कर्मचारियों से बिल्डिंग के बारे में पूछा। तब पता चला कि परिसर में एक कुंआ है। जिसे ढक दिया गया और उस पर शौचालय बनाया गया है। कुंआ करीब 40 साल पुराना है और भीतर से उसकी दीवारें भी कमजोर हो चुकी है। बारिश के दिनों में कुआं भर जाता है और उसका पानी रिस कर तलघर में आता है, लेकिन कुएं के बारे में किसी को पता नहीं था।
अफसरों ने कुएं और बिल्डिंग के बीच एक दीवार बनाने का काम शुरू किया है, जो कुएं से तलघर तक आने वाले पानी को रोकेगी। इसके अलावा इमारत के पास ही जल निकासी लाइन बिछाई गई है। इससे भी पानी तलघर में आता था। अफसरों ने नगर निगम से कहा है कि बिल्डिंग से करीब 20 मीटर दूर इस लाइन को शिफ्ट किया जाए।
अब नहीं होगा जलजमाव
कैंसर अस्पताल के तलघर की हालत हमने देखी थी। उसमें दो-तीन फीट पानी भरा था। हमने कुएं से पानी आने की समस्या दूर कर दी। इसके बाद वाटर प्रूफिंग तीन स्तर पर की है। अब तलघर के कक्षों का उपयोग हो सकेगा। पानी भरने की समस्या 20 सालों से बनी हुई थी। करीब छह हजार वर्गफीट क्षेत्रफल में तल मंजिल का कायाकल्प आईडीए कर रहा है। इस पर 85 लाख रुपये की लागत आई है। -डीपी अहिरवार, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, आईडीए
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