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India Partition Heritage :भारत के इतिहास को सहेजने की इस कोशिश के विरासतों को मुंबई के हैमिल्टन स्टूडियो में रखा गया है. भारतीय इतिहास के लगभग 100 वर्षों तक के विरासत से जुड़ी 600,000 से अधिक वस्तुएं यहां रखी गई हैं. | August 21, 2024 11: 04 PM India Partition Heritage : भारत का विभाजन इतिहास की बहुत बड़ी घटना है और इस विभाजन के बाद के विरासतों को डिजिटल रूप में संरक्षित करने का जिम्मा यूके के प्रसिद्ध कोवेंट्री यूनिवर्सिटी ने उठाया है. वह इन विरासतों को संरक्षित करने की परियोजना का नेतृत्व कर रहा है. इस परियोजना के तहत भारत के विभाजन के बाद के दो दशकों की 20,000 से अधिक तस्वीरों,प्रिंट और दस्तावेजों को शोध के जरिए डिजिटल माध्यम में लाया जाएगा. इन नए शोध का नेतृत्व कोवेंट्री यूनिवर्सिटी कर रहा है. भारत के इतिहास को सहेजने की इस कोशिश के विरासतों को मुंबई के हैमिल्टन स्टूडियो में रखा गया है. भारतीय इतिहास के लगभग 100 वर्षों तक के विरासत से जुड़ी 600,000 से अधिक वस्तुएं यहां रखी गई हैं. इतिहास की जिस अवधि पर खास फोकस किया गया है वह 1947 से 1967 के बीच की अवधि है. यह समय विभाजन के बाद का काफी महत्वपूर्ण समय था. विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप की ऐसी घटना है, जिसने इस क्षेत्र के भूगोल को बदल दिया और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अंत के साथ ही दो देशों का भी जन्म हुआ-भारत और पाकिस्तान. भारत की सांस्कृतिक विरासत कोवेंट्री यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर फॉर क्रिएटिव इकोनॉमीज, डिजिटल हेरिटेज एंड कल्चर के एसोसिएट प्रोफेसर बेन काइन्सवुड इस ऐतिहासिक घटना का डिजिटलीकरण करने के लिए हैमिल्टन स्टूडियो और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिजाइन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हैमिल्टन स्टूडियो की स्थापना मुंबई में की गई है. यह स्टूडियो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स द्वारा वित पोषित है, जिसका उद्देश्य लाइब्रेरी लुप्तप्राय अभिलेखागार को नए तरीके से संरक्षित करना है. इस परियोजना का उद्देश्य ऐतिहासिक विभाजनों को भरना सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देना और यह बताना है कि विभाजन कैसे भारत और इसके लोगों की कहानियों को आकार दे रहा है. इस परियोजना में कई पुरानी तस्वीरों के संरक्षित किया गया है. इस डिजिटलीकरन के जरिए उस युग को जिंदा करने की कोशिशकी गई है. परियोजना के हेड बेन काइन्सवुड ने बताया कि कोवेंट्री यूनिवर्सिटी भारत की सांस्कृतिक कहानियों को संरक्षित करने का काम कर रहा है साथ ही उसका डिजिटलीकरण करके उसे शेयर भी कर रहा है, ताकि लोगों को उसके बारे मेंजानकारी मिले. मेरी यह कोशिश है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हो और उसका विस्तार भी किया जा सके. यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य हैं. Also Read : World News: Bangladesh Crisis : निरंतर घट रही है हिंदू आबादी, जानिए बांग्लादेश की स्थापना के समय कितने हिंदू रहते थे यहां

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India Partition Heritage :भारत के इतिहास को सहेजने की इस कोशिश के विरासतों को मुंबई के हैमिल्टन स्टूडियो में रखा गया है. भारतीय इतिहास के लगभग 100 वर्षों तक के विरासत से जुड़ी 600,000 से अधिक वस्तुएं यहां रखी गई हैं.

| August 21, 2024 11: 04 PM

India Partition Heritage : भारत का विभाजन इतिहास की बहुत बड़ी घटना है और इस विभाजन के बाद के विरासतों को डिजिटल रूप में संरक्षित करने का जिम्मा यूके के प्रसिद्ध कोवेंट्री यूनिवर्सिटी ने उठाया है. वह इन विरासतों को संरक्षित करने की परियोजना का नेतृत्व कर रहा है. इस परियोजना के तहत भारत के विभाजन के बाद के दो दशकों की 20,000 से अधिक तस्वीरों,प्रिंट और दस्तावेजों को शोध के जरिए डिजिटल माध्यम में लाया जाएगा. इन नए शोध का नेतृत्व कोवेंट्री यूनिवर्सिटी कर रहा है.

भारत के इतिहास को सहेजने की इस कोशिश के विरासतों को मुंबई के हैमिल्टन स्टूडियो में रखा गया है. भारतीय इतिहास के लगभग 100 वर्षों तक के विरासत से जुड़ी 600,000 से अधिक वस्तुएं यहां रखी गई हैं. इतिहास की जिस अवधि पर खास फोकस किया गया है वह 1947 से 1967 के बीच की अवधि है. यह समय विभाजन के बाद का काफी महत्वपूर्ण समय था. विभाजन भारतीय उपमहाद्वीप की ऐसी घटना है, जिसने इस क्षेत्र के भूगोल को बदल दिया और ब्रिटिश उपनिवेशवाद के अंत के साथ ही दो देशों का भी जन्म हुआ-भारत और पाकिस्तान.

भारत की सांस्कृतिक विरासत
कोवेंट्री यूनिवर्सिटी के रिसर्च सेंटर फॉर क्रिएटिव इकोनॉमीज, डिजिटल हेरिटेज एंड कल्चर के एसोसिएट प्रोफेसर बेन काइन्सवुड इस ऐतिहासिक घटना का डिजिटलीकरण करने के लिए हैमिल्टन स्टूडियो और नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर डिजाइन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. हैमिल्टन स्टूडियो की स्थापना मुंबई में की गई है. यह स्टूडियो कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय लॉस एंजिल्स द्वारा वित पोषित है, जिसका उद्देश्य लाइब्रेरी लुप्तप्राय अभिलेखागार को नए तरीके से संरक्षित करना है. इस परियोजना का उद्देश्य ऐतिहासिक विभाजनों को भरना सांस्कृतिक संरक्षण को बढ़ावा देना और यह बताना है कि विभाजन कैसे भारत और इसके लोगों की कहानियों को आकार दे रहा है. इस परियोजना में कई पुरानी तस्वीरों के संरक्षित किया गया है. इस डिजिटलीकरन के जरिए उस युग को जिंदा करने की कोशिशकी गई है.

परियोजना के हेड बेन काइन्सवुड ने बताया कि कोवेंट्री यूनिवर्सिटी भारत की सांस्कृतिक कहानियों को संरक्षित करने का काम कर रहा है साथ ही उसका डिजिटलीकरण करके उसे शेयर भी कर रहा है, ताकि लोगों को उसके बारे मेंजानकारी मिले. मेरी यह कोशिश है कि भारत की सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण हो और उसका विस्तार भी किया जा सके. यह विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए अमूल्य हैं.

Also Read : World News: Bangladesh Crisis : निरंतर घट रही है हिंदू आबादी, जानिए बांग्लादेश की स्थापना के समय कितने हिंदू रहते थे यहां