प्रीतिलता वादेदार का जन्म 5 मई, 1911 को चटगांव वर्तमान में पाकिस्तान में हुआ था. वे भारत की पहली महिला कही जाती है जिन्होंने हथियार उठाया और क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुईं. प्रीतिलता दीपाली संघ में शामिल हुईं, जो एक क्रांतिकारी संगठन था जो युवावस्था में महिलाओं को युद्ध का प्रशिक्षण प्रदान करता था. वे सूर्य सेन की भारतीय क्रांतिकारी सेना में शामिल होने के लिए उत्सुक थीं, लेकिन उन्हें विरोध का सामना करना पड़ा क्योंकि इसमें पुरुषों का वर्चस्व था. इन्होंने कई बार शस्त्र उठाया. 23 सितंबर 1932 की रात को पुरुष की तरह कपड़े पहनकर इन्होंने साहसपूर्वक हमले का नेतृत्व किया. लेकिन अंग्रेजों के साथ युद्ध में इन्हें पैर में गोली लगी, जिसकी वजह से ये भाग नहीं सकीं, लेकिन इन्होंने आत्मसमर्पण की बजाय साइनाइड की गोली खाकर खुद को देश पर कुर्बान कर दिया.
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