independence-day-2023:-देश-की-आजादी-की-याद-दिलाता-है-पीपल-का-ये-पेड़,-मध्यप्रदेश-की-धरती-पर-है-मौजूद
आजादी की याद दिलाता है पीपल का पेड़ - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us दमोह की ग्राम पंचायत घटेरा में आजादी के समय की एक विरासत मौजूद है। यहां 76 साल पहले देश की आजादी मिलने की खुशी में पीपल का पौधा रोपा गया था, जो आज पेड़ बनकर खड़ा है और देश की आजादी की याद दिला रहा है। 15 अगस्त 1947 को जब देश को आजादी मिली थी, उसी दिन जबेरा क्षेत्र के एकमात्र रेलवे स्टेशन घटेरा में आजादी का जश्न मनाते हुए पीपल का पौधा रोपकर वहीं तिरंगा झंडा फहराकर सलामी दी गई थी। उस दिन यहां पर पूरा गांव एकत्रित हुआ था और ध्वजारोहण कर राष्ट्रीय गान गाया गया था। सभी ग्रामीण और रेलवे कर्मचारियों ने तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया था। साल दर साल बीत गए और यह पीपल का पौधा आज विशालकाय पेड़ बनाकर खड़ा है और आजादी की याद दिला रहा है। कटनी-दमोह रेलवे सेक्शन के रेलवे स्टेशन घटेरा के कार्यालय और ब्यारमा नदी पर बने रेलवे पुल के बीच 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने की खुशी में पीपल का पौधा रोपा गया था। ग्रामीणों ने लकड़ी के सहारे तिरंगे झंडे को फहराकर सलामी दी थी। गांव के उम्रदराज बुजुर्ग ने बताया कि घटेरा में भी अंग्रेज रहा करते थे। जब देश आजाद हुआ तो यहां से चले गए और देश को आजादी मिलने की खुशी में ग्रामीणों ने पीपल का पौधा रोपा था।  उन्होंने बताया कि आज लोग इस इस अस्मरणीय पल को भूल गए हैं। गांव के लोग बताते हैं कि आज भी उस दिन को याद कर आंख में आंसू छलक आते हैं, जब पहली बार देश की आन बान शान कहे जाने वाले तिरंगे झंडे को यहां फहराया गया था।  आजादी के बीच यहां गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा फहराया जाता था, लेकिन आज इस ओर किसी का ध्यान नहीं है। साल 1935 में जन्मे गांव के बुजुर्ग जगन्नाथ लोधी ने बताया कि आजादी मिलने की खुशी में यहां पीपल का पौधा लगाया था, जो आज पेड़ बन गया है। आजादी मिलने के बाद वह लोग स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करने आते थे,  लेकिन नई पीढ़ी में यह प्रथा बंद हो गई और अब सिर्फ यादें ही शेष हैं।

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आजादी की याद दिलाता है पीपल का पेड़ – फोटो : अमर उजाला

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दमोह की ग्राम पंचायत घटेरा में आजादी के समय की एक विरासत मौजूद है। यहां 76 साल पहले देश की आजादी मिलने की खुशी में पीपल का पौधा रोपा गया था, जो आज पेड़ बनकर खड़ा है और देश की आजादी की याद दिला रहा है। 15 अगस्त 1947 को जब देश को आजादी मिली थी, उसी दिन जबेरा क्षेत्र के एकमात्र रेलवे स्टेशन घटेरा में आजादी का जश्न मनाते हुए पीपल का पौधा रोपकर वहीं तिरंगा झंडा फहराकर सलामी दी गई थी।

उस दिन यहां पर पूरा गांव एकत्रित हुआ था और ध्वजारोहण कर राष्ट्रीय गान गाया गया था। सभी ग्रामीण और रेलवे कर्मचारियों ने तिरंगा लहराकर आजादी का जश्न मनाया था। साल दर साल बीत गए और यह पीपल का पौधा आज विशालकाय पेड़ बनाकर खड़ा है और आजादी की याद दिला रहा है।

कटनी-दमोह रेलवे सेक्शन के रेलवे स्टेशन घटेरा के कार्यालय और ब्यारमा नदी पर बने रेलवे पुल के बीच 15 अगस्त 1947 को आजादी मिलने की खुशी में पीपल का पौधा रोपा गया था। ग्रामीणों ने लकड़ी के सहारे तिरंगे झंडे को फहराकर सलामी दी थी। गांव के उम्रदराज बुजुर्ग ने बताया कि घटेरा में भी अंग्रेज रहा करते थे। जब देश आजाद हुआ तो यहां से चले गए और देश को आजादी मिलने की खुशी में ग्रामीणों ने पीपल का पौधा रोपा था। 

उन्होंने बताया कि आज लोग इस इस अस्मरणीय पल को भूल गए हैं। गांव के लोग बताते हैं कि आज भी उस दिन को याद कर आंख में आंसू छलक आते हैं, जब पहली बार देश की आन बान शान कहे जाने वाले तिरंगे झंडे को यहां फहराया गया था।  आजादी के बीच यहां गणतंत्र दिवस एवं स्वतंत्रता दिवस पर तिरंगा झंडा फहराया जाता था, लेकिन आज इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

साल 1935 में जन्मे गांव के बुजुर्ग जगन्नाथ लोधी ने बताया कि आजादी मिलने की खुशी में यहां पीपल का पौधा लगाया था, जो आज पेड़ बन गया है। आजादी मिलने के बाद वह लोग स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर ध्वजारोहण करने आते थे,  लेकिन नई पीढ़ी में यह प्रथा बंद हो गई और अब सिर्फ यादें ही शेष हैं।

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