न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sun, 21 Jul 2024 08: 16 AM IST
दमोह में नीम वाले बाबा की दरगाह पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही अपने गुरु का पूजन करते हैं। यहां शंख और झालर की आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है। इस स्थान पर हिन्दू और मुस्लिम ने एकता की मिसाल कायम की है। बाबा साहब की दरगाह
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दमोह जिले का हटा ब्लॉक में गुरु पूर्णिमा पर्व अनोखे अंदाज में मनाया जाता है। यहां सैयद नीम वाले बाबा की दरगाह पर शंख और झालर की गूंज सुनाई देती है तो वहीं नातो सलाम पेश किए जाते हैं। यहां हिंदू और मुस्लिम दोनों मिलकर गुरु पूजन करते हैं।
कहते हैं गुरु हमेशा जोड़ने का कार्य करते हैं। वे जाति, धर्म से ऊपर उठकर मानव को एक सूत्र में पिरोते हैं। इसी तरह की गुरु शिष्य की परंपरा का निर्वहन दमोह जिले के हटा ब्लॉक में हो रहा है। जहां नीम वाले बाबा की दरगाह पर हिन्दू और मुस्लिम दोनों ही अपने गुरु का पूजन करते हैं। यहां शंख और झालर की आवाज दूर दूर तक सुनाई देती है। इस स्थान पर हिन्दू और मुस्लिम ने एकता की मिसाल कायम की है।
दमोह से 40 किमी दूर है दरगाह
दमोह जिला मुख्यालय से 40 किमी दूर हटा के हजारी वार्ड स्थापित हजरत सैय्यद नीम वाले बाबा साहब की दरगाह पर आने वाले श्रद्धालु बाबा को अपने गुरु के रूप में पूजते हैं तो मुस्लिम समाज के लोग अल्लाह के वली ओलिया के रूप मानते हैं। गुरु पूर्णिमा के दिन दरगाह पर एक ही समय घंटी और शंख का नाद सुनाई देता है तो दूसरी ओर नात सलाम कुरान की आयतें पड़ी जाती हैं। फिर सबके हक में अमन, चैन की दुआ मांगी जाती है। गुरुपूर्णिमा के अवसर पर बाबा को अपना गुरु मानकर दरगाह का दूध, गंगाजल, शहद, दही से शाही स्नान कराकर चन्दन का लेप किया जाता है। फिर लोभान, अगरबत्ती की धूनी, इत्र लगाकर नए वस्त्र पहनाए जाते हैं। दरगाह पर मंगल कलश सजे वंदनवार, रंगोली व दीप प्रज्जवलित किए जाते हैं।
पिछले 60 वर्षों से जारी है परंपरा
दरगाह पर मंगल कलश, सजे वंदनवार, रंगोली व दीप जलाया जाता है। बाबा के चाहने वाले भक्तों द्वारा इस अवसर पर हिन्दू परंपरा अनुसार अपने गुरु की मंगल आरती, भजन कीर्तन कर शंख व घंटा बजाकर गुरु का पूजन किया जाता है। इसके बाद मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा नातो सलाम पेश कर फातिहा पढ़ी जाती है और सबके हक में अमन चैन की दुआएं मांगी जाती हैं। साथ ही प्रसाद के रूप में मालपुआ का वितरण और आम भंडारे के आयोजन होता है। श्रद्धालुओं ने बताया कि बाबा साहब को गुरु के रूप में मानते हैं। यहां प्रतिवर्ष गुरुपूर्णिमा पर मिलाद पूजा अर्चना आरती भंडारे जैसे कई आयोजन आयोजित होते हैं। यह परंपरा पिछले 60 वर्षों से चली आ रही है। दरगाह पर आने वाले श्रद्धालु ऋषि सराफ, मन्नू लाल सेन ने बताया कि बाबा साहब को सभी लोग गुरु के रूप मानते हैं। यहां प्रतिवर्ष गुरुपूर्णिमा पर मिलाद, पूजा, अर्चना, आरती, भंडारे जैसे कई आयोजन होते हैं। शाहजाद हुसैन ने कहा बाबा की दरगाह पर हर धर्म के लोग अपने त्यौहार मिलकर मनाते हैं और गुरु पूर्णिमा पर यहां हिंदू, मुस्लिम दोनों बाबा साहब की पूजा गुरु के रूप में करते हैं।
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