guru-purnima:-पूर्णिमा-पर-उज्जैन-में-विशेष-आयोजन,-कैदियों-की-अज्ञानता-दूर-करने-भैरवगढ़-जेल-पहुंचे-कृष्णा-गुरु
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 22 Jul 2024 12: 32 PM IST गुरु पूर्णिमा पर उज्जैन में विशेष आयोजन हुआ। कैदियों की अज्ञानता दूर करने कृष्णा मिश्रा गुरु जी भैरवगढ़ जेल पहुंचे। गुरुजी ने कहा, जहां अज्ञानता है, वहां गुरु पहुंचते हैं। कृष्णा मिश्रा गुरुजी - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us सनातन धर्म में गुरु को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है। क्योंकि वह हमें इस संसार में जीने के तरीके और अंधकार से प्रकाश तक ले जाने का मार्ग दिखाते हैं। रविवार को वैसे तो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कहीं पर गुरुओं का पाद पूजन किया गया तो कहीं पर भजन कीर्तन के साथ भव्य भंडारे का आयोजन भी किया गया। लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में गुरु पूर्णिमा उत्सव पर एक ऐसा अनोखा कार्यक्रम हुआ, जिसमें अपने अपराधों का प्रायश्चित कर रहे कैदियों को व्याख्यान देने के लिए एक गुरु केंद्रीय भैरवगढ़ जेल पहुंचे। जहां उन्होंने मार्गदर्शन देने के साथ ही कैदियों को यह शपथ भी दिलाई की जो भी हुआ हो, अब जब तक वह जेल में रहेंगे तब तक यहां के नियमों का पालन करेंगे और यहां से मुक्त होने के बाद भी ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे कि उन्हें फिर से जेल आना पड़े। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि गुरु पूर्णिमा पर्व पर आध्यात्मिक गुरु कृष्णा मिश्रा द्वारा केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में 300 कैदियों के साथ मनाया गया। इस दौरान कृष्णा मिश्रा ने पहले कैदियों को व्याख्यान दिए उसके बाद इस उत्सव को मनाया। गुरु पूर्णिमा उत्सव पर कैदियों को व्याख्यान देते हुए कृष्णा गुरुजी ने कहा कि आप यहा कैदी बनने के पहले ही काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या की कैद में थे। आज कल जेल में सब सुविधा मिलती है, सिर्फ परिवार की कमी रहती है। आप अपनी अज्ञानता से यहां बंदी बने। जहा अज्ञानता है, वहा गुरु है।  आप अपने आपसे बात करके देखे आपका गुरु कोई था। कोई इंसान गलत कार्य नहीं करना चाहता उसकी मन की स्थिति क्रोध लोभ लालच बदले की भावना जिसका कारण प्रेम ही है। आज गुरु पूर्णिमा है मार्गदर्शक दिवस। जो हुआ उसे भूल आगे कोई कार्य ऐसा न करें, जिससे आपको फिर यहां आना पड़े। इस दौरान इंदौर से आए कृष्णा गुरु जी के अनुयायियों के साथ ही मनोज भटनागर, पिंकू यादव, अनिल मीना थे। इस दौरान जेलर डाबर साहब व उप जेलर गोयल जी ने गुरुजी का स्वागत किया। कैदियों ने लिया संकल्प नहीं करेंगे ऐसा कार्य जिससे फिर यहां आना पड़े सभी कैदी भाइयों ने संकल्प लिया कि जब तक जेल में हैं, तब तक जेल के नियम अनुशासन का पालन कर आगे से कोई कार्य ऐसा नहीं करेंगे की हमें दोबारा कैदी बनना पड़े। कृष्णा गुरुजी ने गुरुपूर्णिमा को मार्गदर्शक दिवस में भजन ध्यान करवाया एवं सभी बंदी भाइयों को प्रसाद वितरण किया, जिससे सभी बंदी भाइयों के चेहरे पर एक अलग ज्ञानमयी खुशी थी। व्याख्यान सुनने के बाद कैदियों ने यह कहा गुरु पूर्णिमा पर कृष्ण गुरु जी द्वारा दिए गए संदेश के बाद कैदियों ने अपने विचार भी प्रकट किए। बंदी सुनील पिता काशीराम ने कहा, एक अलग ऊर्जा ध्यान के दौरान महसूस की जब तक यहां है गुरुजी के दिलवाए संकल्प के साथ रहेंगे। इस आयोजन के दौरान एक विशेष बात देखने को यह मिली कि व्याख्यान के बाद जब कृष्णा गुरु ने कैदियों को कुछ भजन सुनाए तो जहां कैदी तालियां बजाकर इन भजनों को सुनते नजर आए वही कुछ कैदियों ने इंस्ट्रूमेंट भी बजाएं। याद रहे कि केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में कैदियों को उनकी रुचि के हिसाब से भी कुछ कार्य सिखाए जाते हैं, यह इसी बात का नमूना था कि आज कैदी गुरुजी के भजनों पर ढोलक के साथ ही अन्य इंस्ट्रूमेंट बजा रहे थे। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 22 Jul 2024 12: 32 PM IST

गुरु पूर्णिमा पर उज्जैन में विशेष आयोजन हुआ। कैदियों की अज्ञानता दूर करने कृष्णा मिश्रा गुरु जी भैरवगढ़ जेल पहुंचे। गुरुजी ने कहा, जहां अज्ञानता है, वहां गुरु पहुंचते हैं। कृष्णा मिश्रा गुरुजी – फोटो : अमर उजाला

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सनातन धर्म में गुरु को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है। क्योंकि वह हमें इस संसार में जीने के तरीके और अंधकार से प्रकाश तक ले जाने का मार्ग दिखाते हैं। रविवार को वैसे तो देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।

कहीं पर गुरुओं का पाद पूजन किया गया तो कहीं पर भजन कीर्तन के साथ भव्य भंडारे का आयोजन भी किया गया। लेकिन धार्मिक नगरी उज्जैन में गुरु पूर्णिमा उत्सव पर एक ऐसा अनोखा कार्यक्रम हुआ, जिसमें अपने अपराधों का प्रायश्चित कर रहे कैदियों को व्याख्यान देने के लिए एक गुरु केंद्रीय भैरवगढ़ जेल पहुंचे। जहां उन्होंने मार्गदर्शन देने के साथ ही कैदियों को यह शपथ भी दिलाई की जो भी हुआ हो, अब जब तक वह जेल में रहेंगे तब तक यहां के नियमों का पालन करेंगे और यहां से मुक्त होने के बाद भी ऐसा कोई काम नहीं करेंगे, जिससे कि उन्हें फिर से जेल आना पड़े।

आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी कि गुरु पूर्णिमा पर्व पर आध्यात्मिक गुरु कृष्णा मिश्रा द्वारा केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में 300 कैदियों के साथ मनाया गया। इस दौरान कृष्णा मिश्रा ने पहले कैदियों को व्याख्यान दिए उसके बाद इस उत्सव को मनाया। गुरु पूर्णिमा उत्सव पर कैदियों को व्याख्यान देते हुए कृष्णा गुरुजी ने कहा कि आप यहा कैदी बनने के पहले ही काम, क्रोध, लोभ, ईर्ष्या की कैद में थे। आज कल जेल में सब सुविधा मिलती है, सिर्फ परिवार की कमी रहती है। आप अपनी अज्ञानता से यहां बंदी बने। जहा अज्ञानता है, वहा गुरु है। 

आप अपने आपसे बात करके देखे आपका गुरु कोई था। कोई इंसान गलत कार्य नहीं करना चाहता उसकी मन की स्थिति क्रोध लोभ लालच बदले की भावना जिसका कारण प्रेम ही है। आज गुरु पूर्णिमा है मार्गदर्शक दिवस। जो हुआ उसे भूल आगे कोई कार्य ऐसा न करें, जिससे आपको फिर यहां आना पड़े। इस दौरान इंदौर से आए कृष्णा गुरु जी के अनुयायियों के साथ ही मनोज भटनागर, पिंकू यादव, अनिल मीना थे। इस दौरान जेलर डाबर साहब व उप जेलर गोयल जी ने गुरुजी का स्वागत किया।

कैदियों ने लिया संकल्प नहीं करेंगे ऐसा कार्य जिससे फिर यहां आना पड़े
सभी कैदी भाइयों ने संकल्प लिया कि जब तक जेल में हैं, तब तक जेल के नियम अनुशासन का पालन कर आगे से कोई कार्य ऐसा नहीं करेंगे की हमें दोबारा कैदी बनना पड़े। कृष्णा गुरुजी ने गुरुपूर्णिमा को मार्गदर्शक दिवस में भजन ध्यान करवाया एवं सभी बंदी भाइयों को प्रसाद वितरण किया, जिससे सभी बंदी भाइयों के चेहरे पर एक अलग ज्ञानमयी खुशी थी।

व्याख्यान सुनने के बाद कैदियों ने यह कहा
गुरु पूर्णिमा पर कृष्ण गुरु जी द्वारा दिए गए संदेश के बाद कैदियों ने अपने विचार भी प्रकट किए। बंदी सुनील पिता काशीराम ने कहा, एक अलग ऊर्जा ध्यान के दौरान महसूस की जब तक यहां है गुरुजी के दिलवाए संकल्प के साथ रहेंगे। इस आयोजन के दौरान एक विशेष बात देखने को यह मिली कि व्याख्यान के बाद जब कृष्णा गुरु ने कैदियों को कुछ भजन सुनाए तो जहां कैदी तालियां बजाकर इन भजनों को सुनते नजर आए वही कुछ कैदियों ने इंस्ट्रूमेंट भी बजाएं। याद रहे कि केंद्रीय भैरवगढ़ जेल में कैदियों को उनकी रुचि के हिसाब से भी कुछ कार्य सिखाए जाते हैं, यह इसी बात का नमूना था कि आज कैदी गुरुजी के भजनों पर ढोलक के साथ ही अन्य इंस्ट्रूमेंट बजा रहे थे।

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