Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 के चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग किये हुए एक सप्ताह हो गया है. इसको लेकर लगातार इसरो जानकारी साझा कर रहा है. सोमवार को जो इसरो की ओर से ताजा जानकारी दी गई उसके अनुसार, चंद्रमा की सतह पर अपने स्थान से कुछ मीटर पहले एक क्रेटर के सामने आने के बाद प्रज्ञान को अपने रास्ते पर वापस जाने का निर्देश दिया गया था. आपको बता दें कि एक चंद्र दिवस पूरा होने में 10 दिन से भी कम का समय रह गया है. अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने रविवार को कहा था कि चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान समय के साथ रेस लगा रहा है. इसरो वैज्ञानिक इस काम में लगे हुए हैं कि बचे हुए जितने भी दिन हैं उसमें रोवर ज्यादा से ज्यादा दूरी कवर कर ले. छह पहियों वाला रोवर दक्षिणी ध्रुव में दूरी नाप रहा है. चंद्रयान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ (Rover Pragyan) मून से हमें रोज नई-नई जानकारी भेज रहा है. 28 अगस्त को वह मून वॉक करते-करते अचानक गहरे गड्ढे के पास पहुंच गया. वो तो भला हो ISRO के वैज्ञानिकों का, जिन्होंने ऐन मौके पर उसे उस Crater में गिरने से बचा लिया. Crater काफी बड़ा था. 23 अगस्त को मून पर लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के पास अब रिसर्च और रोमिंग के लिए 10 दिन से भी कम समय बचा है. हालांकि वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि प्रज्ञान 14 दिन के बाद भी काम करेगा. बता दें कि लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक मून डे है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है. लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम ने 23 अगस्त की शाम करीब 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. मून वॉक के दौरान अब तक प्रज्ञान ने कई महत्वपूर्ण तथ्य जुटाए हैं, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार साझा कर रहा है. आइए जानते हैं इन सात दिनों में चंद्रयान-3 ने क्या क्या किया... 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के कुछ ही घंटों बाद, इसरो ने विक्रम लैंडर के कैमरे द्वारा कैप्चर की गई पहली तस्वीर साझा की थी. इसमें चंद्रयान -3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा नजर आ रहा था. तस्वीर में एक पैर और उसके साथ की परछाई भी दिखाई दे रही थी. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना है. इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान ली गई लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे की तस्वीरें भी जारी की थी. chandrayaan 3 latest newsisro 24 अगस्त की सुबह, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया कि भारत ने चंद्रमा पर सैर कर ली है, क्योंकि चंद्रयान -3 का रोबोटिक रोवर लैंडर से बाहर निकल गया है. यह भी कहा गया कि सभी लैंडर मॉड्यूल (एलएम) पेलोड चालू कर दिए गए हैं. एक पोस्ट में इसरो ने कहा कि सभी गतिविधियां तय समय पर हैं. सभी चीजें सामान्य हैं. लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE को चालू कर दिया गया है. रोवर मोबिलिटी संचालन शुरू हो चुका है. 25 अगस्त को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर से बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर चलने वाले प्रज्ञान रोवर का एक वीडियो इसरो द्वारा जारी किया गया. इसरो ने एक और वीडियो जारी किया और बताया कि कैसे दो सैगमेंट वाले रैंप ने प्रज्ञान को रोल-डाउन करने में मदद की. बताया गया कि एक सौर पैनल ने रोवर को बिजली पैदा करने में सक्षम बनाया. वीडियो में यह भी दिखाया गया कि रोवर के रोलडाउन से पहले रैंप और सौर पैनल की तेजी से तैनाती कैसे की गई. Rover Pragyan latest photoisro इसी दिन शाम को इसरो ने अपडेट किया कि चंद्रयान -3 मिशन के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी तय की है, और इसके पेलोड चालू कर दिए गए हैं. सभी पेलोड प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर सामान्य काम कर रहे हैं. 26 अगस्त को इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के तीन में से दो उद्देश्य हासिल कर लिए गए हैं, जबकि तीसरे उद्देश्य के तहत वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं. इसने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के सभी पेलोड सामान्य रूप से काम कर रहे हैं. चंद्रयान-3 मिशन को लेकर इसरो ने बताया कि मिशन के तीन उद्देश्यों में से, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन पूरा हो गया है. चंद्रमा पर रोवर के घूमने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. तीसरे उद्देश्य के तहत वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं. सभी पेलोड सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषिणा की चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की तारीख 23 अगस्त के दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा और जिस जगह पर इस यान का लैंडर ‘विक्रम’ उतरा, उस जगह को अब ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट के रूप में जाना जएगा. उन्होंने यह घोषणा भी की कि 2019 में चंद्रयान-2 ने जिस जगह पर अपने पदचिह्न छोड़े थे, चंद्रमा की उस जगह को अब ‘तिरंगा’ प्वाइंट के रूप में जाना जाएगा. Rover Pragyan/ moon photoisro 27 अगस्त को इसरो ने चांद के तापमान के संबंध में जानकारी दी. इसरो ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ इस दिन जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार कि चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा. इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा. ग्राफिक चित्रण के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा कि हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है. Rover Pragyan latest photoisro 28 अगस्त को ISRO ने सोशल मीडिया पर बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजा गया ‘रोवर’ प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक बड़े गड्ढे के करीब पहुंच गया था, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया. इसरो ने कहा कि वह अब दूसरे नए रूट पर बढ़ रहा है. इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे ‘चेस्ट’ उपकरण (पेलोड) ने वहां के तापमान एक ग्राफ जारी किया था. पेलोड में तापमान को मापने की एक मशीन लगी हुई है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है. आपको बता दें कि अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए 23 अगस्त को भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. क्या है बड़ी चुनौती बताया जा रहा है कि चांद पर सबसे बड़ी चुनौती भूकंप की है. लैंडर और रोवर दोनों के बीच कम्युनिकेशन बहुत ही जरूरी है. इसके बाद ही धरती पर सही आंकड़े आते रहेंगे. अध्ययन करने वालों की मानें तो चंद्रमा पर लगातार भूकंप आते रहते हैं. ऐसे में आपस में संपर्क बनाए रखना बहुत चुनौतीपूर्ण काम है. यही नहीं चंद्रमा पर कई बार उल्कापिंड भी टकरा जाते हैं जिससे सुरक्षित रहना भी एक चुनौती है. चांद पर वायुमंडल नहीं होने की वजह से उल्कापिंड रास्ते में नहीं नष्ट होते बल्कि सीधा सतह से टकरा जाते हैं. Rover Pragyan/ moon photoisro 14 दिन के बाद रोवर प्रज्ञान और लैंडर का क्या होगा? चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो इसमें 14 दिन का ही प्लान बनाया गया है. जब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर दिन रहेगा लैंडर और रोवर दोनों ही अपने लिए एनर्जी जनरेट करने का काम करेंगे और काम करते रहेंगे. चांद के उस हिस्से पर अंधेरा होने के बाद ये दोनों ही काम करने में विफल होंगे. हालांकि जब 14 दिन की रात के बाद दोबारा दिन होगा तो देखना होगा कि फिर से ये काम शुरू करते हैं या इनमें काम करने की क्षमता नष्ट हो चुकी होगी. यदि लैंडर और रोवर दोबारा ऐक्टिव हो जाते हैं तो यह इसरो के लिए दूसरी बड़ी उपलब्धि होगी जिसके बाद भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा, साथ ही पूरी दुनिया इसरो का लोहा मानने लगेगी. हालांकि इतने कम तापमान में इन दोनों का सुरक्षित रहना बेहद चुनौतीपूर्ण है.

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Chandrayaan-3 : चंद्रयान-3 के चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग किये हुए एक सप्ताह हो गया है. इसको लेकर लगातार इसरो जानकारी साझा कर रहा है. सोमवार को जो इसरो की ओर से ताजा जानकारी दी गई उसके अनुसार, चंद्रमा की सतह पर अपने स्थान से कुछ मीटर पहले एक क्रेटर के सामने आने के बाद प्रज्ञान को अपने रास्ते पर वापस जाने का निर्देश दिया गया था. आपको बता दें कि एक चंद्र दिवस पूरा होने में 10 दिन से भी कम का समय रह गया है. अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (एसएसी) के निदेशक नीलेश एम. देसाई ने रविवार को कहा था कि चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान समय के साथ रेस लगा रहा है. इसरो वैज्ञानिक इस काम में लगे हुए हैं कि बचे हुए जितने भी दिन हैं उसमें रोवर ज्यादा से ज्यादा दूरी कवर कर ले. छह पहियों वाला रोवर दक्षिणी ध्रुव में दूरी नाप रहा है.

चंद्रयान-3 का रोवर ‘प्रज्ञान’ (Rover Pragyan) मून से हमें रोज नई-नई जानकारी भेज रहा है. 28 अगस्त को वह मून वॉक करते-करते अचानक गहरे गड्ढे के पास पहुंच गया. वो तो भला हो ISRO के वैज्ञानिकों का, जिन्होंने ऐन मौके पर उसे उस Crater में गिरने से बचा लिया. Crater काफी बड़ा था. 23 अगस्त को मून पर लैंडिंग के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ के पास अब रिसर्च और रोमिंग के लिए 10 दिन से भी कम समय बचा है. हालांकि वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि प्रज्ञान 14 दिन के बाद भी काम करेगा.

बता दें कि लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक मून डे है, जो पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है. लैंडर ‘विक्रम’ और रोवर ‘प्रज्ञान’ से लैस एलएम ने 23 अगस्त की शाम करीब 6.04 बजे चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी. मून वॉक के दौरान अब तक प्रज्ञान ने कई महत्वपूर्ण तथ्य जुटाए हैं, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) लगातार साझा कर रहा है. आइए जानते हैं इन सात दिनों में चंद्रयान-3 ने क्या क्या किया…

23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के कुछ ही घंटों बाद, इसरो ने विक्रम लैंडर के कैमरे द्वारा कैप्चर की गई पहली तस्वीर साझा की थी. इसमें चंद्रयान -3 की लैंडिंग साइट का एक हिस्सा नजर आ रहा था. तस्वीर में एक पैर और उसके साथ की परछाई भी दिखाई दे रही थी. चंद्रयान-3 ने चंद्रमा की सतह पर अपेक्षाकृत समतल क्षेत्र चुना है. इसरो ने चंद्रमा की सतह पर उतरने के दौरान ली गई लैंडर हॉरिजॉन्टल वेलोसिटी कैमरे की तस्वीरें भी जारी की थी.

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24 अगस्त की सुबह, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया कि भारत ने चंद्रमा पर सैर कर ली है, क्योंकि चंद्रयान -3 का रोबोटिक रोवर लैंडर से बाहर निकल गया है. यह भी कहा गया कि सभी लैंडर मॉड्यूल (एलएम) पेलोड चालू कर दिए गए हैं. एक पोस्ट में इसरो ने कहा कि सभी गतिविधियां तय समय पर हैं. सभी चीजें सामान्य हैं. लैंडर मॉड्यूल पेलोड ILSA, RAMBHA और ChaSTE को चालू कर दिया गया है. रोवर मोबिलिटी संचालन शुरू हो चुका है.

25 अगस्त को चंद्रयान-3 विक्रम लैंडर से बाहर निकलकर चंद्रमा की सतह पर चलने वाले प्रज्ञान रोवर का एक वीडियो इसरो द्वारा जारी किया गया. इसरो ने एक और वीडियो जारी किया और बताया कि कैसे दो सैगमेंट वाले रैंप ने प्रज्ञान को रोल-डाउन करने में मदद की. बताया गया कि एक सौर पैनल ने रोवर को बिजली पैदा करने में सक्षम बनाया. वीडियो में यह भी दिखाया गया कि रोवर के रोलडाउन से पहले रैंप और सौर पैनल की तेजी से तैनाती कैसे की गई.

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इसी दिन शाम को इसरो ने अपडेट किया कि चंद्रयान -3 मिशन के प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर लगभग आठ मीटर की दूरी तय की है, और इसके पेलोड चालू कर दिए गए हैं. सभी पेलोड प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर मॉड्यूल और रोवर सामान्य काम कर रहे हैं.

26 अगस्त को इसरो ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के तीन में से दो उद्देश्य हासिल कर लिए गए हैं, जबकि तीसरे उद्देश्य के तहत वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं. इसने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के सभी पेलोड सामान्य रूप से काम कर रहे हैं. चंद्रयान-3 मिशन को लेकर इसरो ने बताया कि मिशन के तीन उद्देश्यों में से, चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग का प्रदर्शन पूरा हो गया है. चंद्रमा पर रोवर के घूमने का लक्ष्य हासिल कर लिया गया है. तीसरे उद्देश्य के तहत वैज्ञानिक प्रयोग जारी हैं. सभी पेलोड सामान्य रूप से कार्य कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने घोषिणा की चंद्रयान-3 की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ की तारीख 23 अगस्त के दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा और जिस जगह पर इस यान का लैंडर ‘विक्रम’ उतरा, उस जगह को अब ‘शिवशक्ति’ प्वाइंट के रूप में जाना जएगा. उन्होंने यह घोषणा भी की कि 2019 में चंद्रयान-2 ने जिस जगह पर अपने पदचिह्न छोड़े थे, चंद्रमा की उस जगह को अब ‘तिरंगा’ प्वाइंट के रूप में जाना जाएगा.

Rover Pragyan/ moon photoisro

27 अगस्त को इसरो ने चांद के तापमान के संबंध में जानकारी दी. इसरो ने चंद्रमा की सतह पर तापमान भिन्नता का एक ग्राफ इस दिन जारी किया और अंतरिक्ष एजेंसी के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने चंद्रमा पर दर्ज किए गए उच्च तापमान को लेकर आश्चर्य व्यक्त किया. राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार कि चंद्र सर्फेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा.

इसरो ने ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा कि यहां विक्रम लैंडर पर चेस्ट पेलोड के पहले अवलोकन हैं. चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, चेस्ट ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रालेख को मापा. ग्राफिक चित्रण के बारे में इसरो वैज्ञानिक बी. एच. एम. दारुकेशा ने कहा कि हम सभी मानते थे कि सतह पर तापमान 20 डिग्री सेंटीग्रेड से 30 डिग्री सेंटीग्रेड के आसपास हो सकता है, लेकिन यह 70 डिग्री सेंटीग्रेड है. यह आश्चर्यजनक रूप से हमारी अपेक्षा से अधिक है.

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28 अगस्त को ISRO ने सोशल मीडिया पर बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजा गया ‘रोवर’ प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक बड़े गड्ढे के करीब पहुंच गया था, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया. इसरो ने कहा कि वह अब दूसरे नए रूट पर बढ़ रहा है. इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे ‘चेस्ट’ उपकरण (पेलोड) ने वहां के तापमान एक ग्राफ जारी किया था. पेलोड में तापमान को मापने की एक मशीन लगी हुई है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है.

आपको बता दें कि अंतरिक्ष अभियान में बड़ी छलांग लगाते हुए 23 अगस्त को भारत का चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरा, जिससे देश चांद के इस क्षेत्र में उतरने वाला दुनिया का पहला तथा चंद्र सतह पर सफल ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया.

क्या है बड़ी चुनौती

बताया जा रहा है कि चांद पर सबसे बड़ी चुनौती भूकंप की है. लैंडर और रोवर दोनों के बीच कम्युनिकेशन बहुत ही जरूरी है. इसके बाद ही धरती पर सही आंकड़े आते रहेंगे. अध्ययन करने वालों की मानें तो चंद्रमा पर लगातार भूकंप आते रहते हैं. ऐसे में आपस में संपर्क बनाए रखना बहुत चुनौतीपूर्ण काम है. यही नहीं चंद्रमा पर कई बार उल्कापिंड भी टकरा जाते हैं जिससे सुरक्षित रहना भी एक चुनौती है. चांद पर वायुमंडल नहीं होने की वजह से उल्कापिंड रास्ते में नहीं नष्ट होते बल्कि सीधा सतह से टकरा जाते हैं.

Rover Pragyan/ moon photoisro

14 दिन के बाद रोवर प्रज्ञान और लैंडर का क्या होगा?

चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो इसमें 14 दिन का ही प्लान बनाया गया है. जब तक चांद के दक्षिणी ध्रुव पर दिन रहेगा लैंडर और रोवर दोनों ही अपने लिए एनर्जी जनरेट करने का काम करेंगे और काम करते रहेंगे. चांद के उस हिस्से पर अंधेरा होने के बाद ये दोनों ही काम करने में विफल होंगे. हालांकि जब 14 दिन की रात के बाद दोबारा दिन होगा तो देखना होगा कि फिर से ये काम शुरू करते हैं या इनमें काम करने की क्षमता नष्ट हो चुकी होगी. यदि लैंडर और रोवर दोबारा ऐक्टिव हो जाते हैं तो यह इसरो के लिए दूसरी बड़ी उपलब्धि होगी जिसके बाद भारत का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा, साथ ही पूरी दुनिया इसरो का लोहा मानने लगेगी. हालांकि इतने कम तापमान में इन दोनों का सुरक्षित रहना बेहद चुनौतीपूर्ण है.