election-2023:-mp-में-कितना-कामयाब-हो-पाएगा-अमित-शाह-का-फॉर्मूला?-सभी-को-साधना-आसान-नहीं
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें अमित शाह ने कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तैयारी और पार्टी को विजय दिलाने का आपरेशन अपने हाथ में ले लिया है। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को राज्य की राजनीति में उनकी भूमिका को शाह की रणनीतिक तैयारी के रूप में ही देखा जा रहा है। Amit Shah Bhopal Visit - फोटो : Agency विस्तार Follow Us केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 15 दिन के भीतर मध्य प्रदेश का दूसरी बार दौरा किया। इस बार भी उनका मकसद बस एक था। पहले पूरी पार्टी एकजुट हो जाए। सभी नेता बस कमल के फूल के साथ सुर मिलाकर एक लय में आ जाएं। सब अपने क्षेत्र में जी जान से जुट जाएं। केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज को जनता तक ले जाएं और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में फिर से भाजपा की सरकार बने। केंद्रीय गृहमंत्री अपने नेताओं से मिले, उनकी बातें सुनी। दो-दो नेताओं के समूह में भी मिलकर समझने की कोशिश की। अगस्त में उन्हें फिर मध्य प्रदेश जाना है। प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि न मेरा उधो से लेना न माधो को देना। संघ से भाजपा में आया और 40 साल राजनीति को देने के बाद कह सकता हूं कि दिल्ली के बादल भोपाल में बरसकर यहां मौसम को खुशगवार नहीं बना सकते। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री को चुनाव की रणनीति तैयार करने में महारथ हासिल है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भी उन्होंने अपना कौशल दिखाया था। अमित शाह चुनाव प्रबंधन में बड़ी रुचि लेते हैं। पन्ना प्रमुख, बूथ प्रबंधक, प्रत्याशी चयन समेत तमाम संगठनात्मक जिम्मेदारी के साथ परिणाम को अनुकूल बनाने की तरफ ले जाते हैं। इसी का संकेत देते हुए उन्होंने भोपाल में बड़ी उम्मीद के साथ मिलने गए एक नेता की 'उम्मीद' को थोड़ा ठंडा कर दिया है। इससे किसी और की उम्मीद को बड़ा बल मिला है। एक नेता को उम्मीद थी कि जिम्मेदारी समेत अन्य में बदलाव के जरिए अमित शाह, प्रभारी भूपेन्द्र यादव, सह प्रभारी अश्विन वैष्णव बड़ा संकेत देकर जाएंगे, लेकिन अभी यह संकेत अमित शाह और शीर्ष नेताओं की अगस्त में प्रस्तावित अगली बैठक पर टिक गया है। अभी गृह मंत्री ने यही संकेत दिया है कि वह म.प्र. भाजपा या राज्य सरकार में किसी बदलाव के पक्षधर नहीं है। अब समय बदलाव करने का नहीं है। बल्कि अपने कार्यकर्ताओं, नेताओं और सभी को एक करके चुनाव की तैयारी में जाने का है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News apps, iOS Hindi News apps और Amarujala Hindi News apps अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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अमित शाह ने कर्नाटक के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में तैयारी और पार्टी को विजय दिलाने का आपरेशन अपने हाथ में ले लिया है। केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को राज्य की राजनीति में उनकी भूमिका को शाह की रणनीतिक तैयारी के रूप में ही देखा जा रहा है। Amit Shah Bhopal Visit – फोटो : Agency

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 15 दिन के भीतर मध्य प्रदेश का दूसरी बार दौरा किया। इस बार भी उनका मकसद बस एक था। पहले पूरी पार्टी एकजुट हो जाए। सभी नेता बस कमल के फूल के साथ सुर मिलाकर एक लय में आ जाएं। सब अपने क्षेत्र में जी जान से जुट जाएं। केंद्र और राज्य सरकार के कामकाज को जनता तक ले जाएं और मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में फिर से भाजपा की सरकार बने। केंद्रीय गृहमंत्री अपने नेताओं से मिले, उनकी बातें सुनी। दो-दो नेताओं के समूह में भी मिलकर समझने की कोशिश की। अगस्त में उन्हें फिर मध्य प्रदेश जाना है।

प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि न मेरा उधो से लेना न माधो को देना। संघ से भाजपा में आया और 40 साल राजनीति को देने के बाद कह सकता हूं कि दिल्ली के बादल भोपाल में बरसकर यहां मौसम को खुशगवार नहीं बना सकते। हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्री को चुनाव की रणनीति तैयार करने में महारथ हासिल है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में भी उन्होंने अपना कौशल दिखाया था। अमित शाह चुनाव प्रबंधन में बड़ी रुचि लेते हैं। पन्ना प्रमुख, बूथ प्रबंधक, प्रत्याशी चयन समेत तमाम संगठनात्मक जिम्मेदारी के साथ परिणाम को अनुकूल बनाने की तरफ ले जाते हैं।

इसी का संकेत देते हुए उन्होंने भोपाल में बड़ी उम्मीद के साथ मिलने गए एक नेता की ‘उम्मीद’ को थोड़ा ठंडा कर दिया है। इससे किसी और की उम्मीद को बड़ा बल मिला है। एक नेता को उम्मीद थी कि जिम्मेदारी समेत अन्य में बदलाव के जरिए अमित शाह, प्रभारी भूपेन्द्र यादव, सह प्रभारी अश्विन वैष्णव बड़ा संकेत देकर जाएंगे, लेकिन अभी यह संकेत अमित शाह और शीर्ष नेताओं की अगस्त में प्रस्तावित अगली बैठक पर टिक गया है। अभी गृह मंत्री ने यही संकेत दिया है कि वह म.प्र. भाजपा या राज्य सरकार में किसी बदलाव के पक्षधर नहीं है। अब समय बदलाव करने का नहीं है। बल्कि अपने कार्यकर्ताओं, नेताओं और सभी को एक करके चुनाव की तैयारी में जाने का है।

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