earthquake-:-इंदौर-धार-बड़वानी-सहित-प्रदेश-के-15-जिले-भूकंप-के-हिसाब-से-माने-जाते-हैं-संवेदनशील
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Sun, 19 Feb 2023 06: 49 PM IST सार लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें मध्य प्रदेश ने अभी तक पांच से लेकर छह तीव्रता के तीन बड़े झटके झेले हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सोन नदी घाटी में 2 जून 1927 को भूकंप आया था। उसकी तीव्रता 6.5 थी। इसके बाद 1938 को पचमढ़ी में भूकंप आया था।  भूकंप के मान से इंदौर भी संवेदनशील जिलों में शामिल है। - फोटो : SOCIAL MEDIA विस्तार इंदौर की धरती के नीचे वैसे तो कभी साढ़े तीन की तीव्रता से ज्यादा का कंपन महसूस नहीं हुआ, लेकिन प्रदेश केे जिन 15 जिलों को भूकंप के हिसाब से संवेदनशील माना गया हैै, उसमें इंदौर भी शामिल हैै। भूकंप की संवेदनशीलता के हिसाब से देश के अलग-अलग हिस्सों को बांटने वाले जोन की लाइन मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी से गुजरती है। इंदौर नर्मदा घाटी के निकट का सबसे बड़ा शहर है और यहां बड़े निर्माण हैं, इसलिए इसे जोन तीन मेें रखा गया है। यहां के बड़े प्रोजेक्ट इस जोन को ध्यान में रखकर ही डिजाइन किए गए हैं। मेेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के पिलरों के निर्माण भी जोन-तीन के हिसाब से हो रहे हैं। इंदौर के अलावा जबलपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, देवास, धार, खरगोन, बड़वानी जिला भी भूकंप के मान से संवेदनशील माने जाते हैं। आपको बता देें कि रविवार को इंदौर सहित मालवा- निमाड़ के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस हुए, हालांकि झटकों के कारण जनहानि नहीं हुई। मध्य प्रदेश में भूकंप का इतिहास मध्य प्रदेश ने अभी तक पांच से लेकर छह तीव्रता के तीन बड़े झटके झेले हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सोन नदी घाटी में 2 जून 1927 को भूकंप आया था। उसकी तीव्रता 6.5 थी। इसके बाद 1938 को पचमढ़ी में में भूकंप आया था। 22 मार्च 1997 को 5.8 की तीव्रता का भूकंप जबलपुर में आया था। जिसमें 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जबलपुर को भी जोन 3 मेें रखा गया है। डेढ़ साल पहले नर्मदा घाटी में महाराष्ट्र के सीमावर्ती गांव में भी 3.5 की तीव्रता का झटका महसूस हुआ था। इंदौर में बड़े निर्माण भूकंप के हिसाब से होते हैं डिजाइन जीएसआईटीएस के एसोसिएट प्रोफेसर मिलिंद लागटे बतातेे हैं कि इंदौर जोन 3 में शामिल है। ज्यादार सरकारी भवनों को भूकंप रोधी बनाते हैं। आपदा प्रबंधन के समय सबसे ज्यादा सरकारी अमला ही मैदान में होता हैै। भूकंप के दौरान सरकारी भवनों में जनहानि न हो और शासकीयकर्मी ज्यादा प्रभावित न हों, इसलिए सरकारी भवनों की नींव मजबूत रखी जाती है। प्रो. लागटे के अनुसार अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन की बनावट में विशेष ध्यान रखा जाता है। भूकंप झेेलने के बाद यह भवन भरभरा कर न गिरें और खतरनाक साबित न हों, इस बात का ध्यान रखा जाता है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अभिषेक चेंडके Updated Sun, 19 Feb 2023 06: 49 PM IST

सार

लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें

मध्य प्रदेश ने अभी तक पांच से लेकर छह तीव्रता के तीन बड़े झटके झेले हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सोन नदी घाटी में 2 जून 1927 को भूकंप आया था। उसकी तीव्रता 6.5 थी। इसके बाद 1938 को पचमढ़ी में भूकंप आया था।  भूकंप के मान से इंदौर भी संवेदनशील जिलों में शामिल है। – फोटो : SOCIAL MEDIA

विस्तार इंदौर की धरती के नीचे वैसे तो कभी साढ़े तीन की तीव्रता से ज्यादा का कंपन महसूस नहीं हुआ, लेकिन प्रदेश केे जिन 15 जिलों को भूकंप के हिसाब से संवेदनशील माना गया हैै, उसमें इंदौर भी शामिल हैै। भूकंप की संवेदनशीलता के हिसाब से देश के अलग-अलग हिस्सों को बांटने वाले जोन की लाइन मध्य प्रदेश की नर्मदा घाटी से गुजरती है। इंदौर नर्मदा घाटी के निकट का सबसे बड़ा शहर है और यहां बड़े निर्माण हैं, इसलिए इसे जोन तीन मेें रखा गया है। यहां के बड़े प्रोजेक्ट इस जोन को ध्यान में रखकर ही डिजाइन किए गए हैं। मेेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट के पिलरों के निर्माण भी जोन-तीन के हिसाब से हो रहे हैं। इंदौर के अलावा जबलपुर, डिंडोरी, मंडला, सिवनी, छिंदवाड़ा, देवास, धार, खरगोन, बड़वानी जिला भी भूकंप के मान से संवेदनशील माने जाते हैं। आपको बता देें कि रविवार को इंदौर सहित मालवा- निमाड़ के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस हुए, हालांकि झटकों के कारण जनहानि नहीं हुई।

मध्य प्रदेश में भूकंप का इतिहास
मध्य प्रदेश ने अभी तक पांच से लेकर छह तीव्रता के तीन बड़े झटके झेले हैं। सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार सोन नदी घाटी में 2 जून 1927 को भूकंप आया था। उसकी तीव्रता 6.5 थी। इसके बाद 1938 को पचमढ़ी में में भूकंप आया था। 22 मार्च 1997 को 5.8 की तीव्रता का भूकंप जबलपुर में आया था। जिसमें 40 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। जबलपुर को भी जोन 3 मेें रखा गया है। डेढ़ साल पहले नर्मदा घाटी में महाराष्ट्र के सीमावर्ती गांव में भी 3.5 की तीव्रता का झटका महसूस हुआ था।

इंदौर में बड़े निर्माण भूकंप के हिसाब से होते हैं डिजाइन
जीएसआईटीएस के एसोसिएट प्रोफेसर मिलिंद लागटे बतातेे हैं कि इंदौर जोन 3 में शामिल है। ज्यादार सरकारी भवनों को भूकंप रोधी बनाते हैं। आपदा प्रबंधन के समय सबसे ज्यादा सरकारी अमला ही मैदान में होता हैै। भूकंप के दौरान सरकारी भवनों में जनहानि न हो और शासकीयकर्मी ज्यादा प्रभावित न हों, इसलिए सरकारी भवनों की नींव मजबूत रखी जाती है। प्रो. लागटे के अनुसार अस्पताल, स्कूल, रेलवे स्टेशन की बनावट में विशेष ध्यान रखा जाता है। भूकंप झेेलने के बाद यह भवन भरभरा कर न गिरें और खतरनाक साबित न हों, इस बात का ध्यान रखा जाता है।

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