न्यूज डेस्क, अमर उजाला, पटना Published by: आदित्य आनंद Updated Sat, 13 May 2023 07: 06 PM IST
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Bageshwar Baba ने कहा कि जब हनुमान जी लंका में मां सीता से मिलने जा रहे थे, तो कई तरह के व्यवधान उनके रास्ते में आने लगी। सुरसा सहित कई व्यवधानों को पार कर वह लंका पहुंचते हैं। गाना गाते हुए कहा कि जीवन तो भैया एक रेल है, कभी पैसेंजर कभी मेल है। पटना में पंडित धीरेंद्र शास्त्री। – फोटो : अमर उजाला
विस्तार पटना के नौबतपुर स्थित तरेत पाली मठ में बाबा बागेश्वर धाम वाले पंडित धीरेंद्र शास्त्री हनुमंत कथा वाचन कर रहे थे। 3 लाख स्क्वायर फीट में बने भव्य पंडाल में श्रद्धालु उनका प्रवचन सुन रहे थे। हनुंमत कथा की शुरुआत उन्होंने भजन से की। उन्होंने हरि नाम लेने की अपील लोगों से की। इसके बाद कहा- यह मां जानकी की धरती है। शून्य का आविष्कार भी यहीं हुआ। पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कथा के दौरान ही कुछ प्रसंग पेश किया। उदाहरण श्रद्धालुओं को कोई बात समझाना या विरोधियों को संदेश देना भी पंडित धीरेंद्र शास्त्री को बखूबी आता है। यह उन्होंने अपने कथा वाचन के दौरान सभी को बता दिया। अब लोग इस उदाहरण के अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं। जानिए, पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने क्या कहा…
कुछ कुत्ते भी हाथी के पीछे पड़कर भोंकना शुरू कर देते हैं
कथा वाचन के दौरान पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि जब अच्छे काम करोगे तो कई सारे व्यवधान उत्पन्न होंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि एक गांव में जब एक हाथी पहुंचता है तो कई लोग उसे केला, पूरी कई तरह के पकवान खिलाते हैं। बच्चे लोग हाथी को गणेश जी बोल कर उन्हें प्रणाम करते हैं। वहीं कुछ कुत्ते भी हाथी के पीछे पड़कर भोंकना शुरू कर देते हैं। अगर हाथी कुत्तों के भौंकने से उसके पीछे पड़ेगा तो फिर लोग उसे पागल हाथी करार देंगे। इसलिए हाथी अपनी चाल में मस्त होकर आगे की तरफ बढ़ता जाता है।
जीवन तो भैया एक रेल है कभी पैसेंजर कभी मेल है
बाबा ने आगे कहा कि जब हनुमान जी लंका में मां सीता से मिलने जा रहे थे, तो कई तरह के व्यवधान उनके रास्ते में आने लगी। सुरसा सहित कई व्यवधानों को पार कर वह लंका पहुंचते हैं। गाना गाते हुए कहा कि जीवन तो भैया एक रेल है, कभी पैसेंजर कभी मेल है। सुख-दुख की पटरी दौड़ लगाती है, मंजिल तक यह हमको पहुंचाती है। उन्होंने कहा कि मंजिल क्या है। परमात्मा के द्वार तक पहुंचना मंजिल है। सांसों मे जब तक इसमें तेल है। बेल गाड़ी की टिकट क्या है। अच्छे कर्मों की टिकट कटा लेना, पूछे जो टीटी उसे टिकट दिखा देना। बिना टिकट का सीधे जेल है जीवन तो भैया एक रेल है कभी पैसेंजर कभी मेल है। लोगों ने इस पर जमकर तालियां बजाई।
जो पहले प्रचार करते हैं और बाद में विचार करते हैं, वह फेल हो जाते
बागेश्वर धाम वाले बाबा धीरेंद्र शास्त्री ने बातचीत के क्रम में लोगों से बोला कि मेरा एक चेला है चंगी लाल, जो अभी पटना में रहता है। उनकी शादी पंजाब में हुई। लेकिन, चंगी लाल पढ़ा लिखा कम था। उनकी शादी पंजाब में मुन्नीबाई से हुई। उन्होंने बताया कि जब एक बार अपने ससुराल पहुंचे तो उनके साथ ससुर सभी लोग सम्मान पूर्वक उन्हें आइए कुवंर जी कहकर बुलाने लगे। चूंकि चंगीलाल पढ़ा लिखा कम था, इसलिए उसे लगा की ‘कु’ प्रयोग गलत शब्दों के लिए किया जाता है। उन्होंने अपने सास-ससुर और ससुराल वालों से कहा कि वह उन्हें कुंवर साहब ना करके सू का प्रयोग करें। चंगी लाल का यह मानना था कि सू का मतलब सुंदर होता है। ‘सु’ से सुंदर, सुशील तब उनके ससुराल वालों ने उन्हें आइए सूअर जी कहके बुलाया। तब चंगी लाल ने बोला कि हां यह ठीक है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि हनुमान जी पहले विचार करते हैं। उसके बाद प्रचार करते हैं। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो पहले प्रचार करते हैं और बाद में विचार करते हैं, वह फेल हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि हनुमान जी लंका में पहुंचने से पहले विचार किया था।
बाबा ने कहा कि जब हनुमान जी लंका में मां सीता से मिलने जा रहे थे, तो कई तरह के व्यवधान उनके रास्ते में आने लगी। सुरसा सहित कई व्यवधानों को पार कर वह लंका पहुंचते हैं। गाना गाते हुए कहा कि जीवन तो भैया एक रेल है, कभी पैसेंजर कभी मेल है।
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