dhar-bhojshala:-पहले-भी-भोजशाला-के-आसपास-निकल-चुके-है-पुरा-अवशेष,-उन्हें-भी-रिपोर्ट-में-किया-शामिल
धार भोजशाला - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us धार भोजशाला के आसपास के इलाका में भी नक्काशीदार पत्थर व अन्य पुरा अवशेष मिलते रहे हैै। उन्हें धार और मांडू किले में रखा जाता था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अफसरों ने उन्हें भी रिपोर्ट में शामिल किया है। 89 दिनों तक चले सर्वे में भोजशाला के पिछलेे हिस्से की खुदाई में काफी अवशेष मिले, इसके अलावा भोजशाला के भीतर एक कमरे को भी खोला गया था। उसमें प्राचीन खंडित प्रतिमा व उनके अवशेष मिले। सर्वे में दीवारों की सफाई की गई। टीम को भित्ति चित्र मिले। इसे अलावा जैन तीर्थकर को मूर्तियां भी मिली। जिनके अाधार पर जैन समाज ने भी भोजशाला पर हक जताया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर हुए सर्वे में एएसअाई ने कुछ मुस्लिम अधिकारियों को भी टीम में शामिल किया था, ताकि सर्वे में पारदर्शिता रहे। राजा भोज ने किया था भोजशाला का निर्माण एएसआई के सर्वे के बाद भोजशाला फिर सुर्खियों मेें है। भोजशाला का इतिहास परमार काल से जुड़ा है। सन 1034 में इसका निर्माण शुरू हुअा था। भोजशाला में वाग्देवी का मंदिर भी बनाया गया था। वसंत पंचमी पर भोजशाला में चार दिन का उत्सव आयोजित किया जाता था। प्राचीनकाल में मांडू, धार का इलाका काफी समृद्ध था। मांडू की सुरम्य वादियां मुस्लिम राजाअेां को पंसद आने लगी थी। वहां उन्होंने महलों व किलो का निर्माण शुरू कर दिया था। सन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर आक्रमण किया था। इसके बाद भोजशाला में बदलाव किए गए। वहां कमाल मौला की मस्जिद भी बनाई गई। वर्ष 1902 में वाग्देवी की मूर्ति भी अंग्रेज लंदन ले गए।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

धार भोजशाला – फोटो : अमर उजाला

विस्तार Follow Us

धार भोजशाला के आसपास के इलाका में भी नक्काशीदार पत्थर व अन्य पुरा अवशेष मिलते रहे हैै। उन्हें धार और मांडू किले में रखा जाता था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अफसरों ने उन्हें भी रिपोर्ट में शामिल किया है।

89 दिनों तक चले सर्वे में भोजशाला के पिछलेे हिस्से की खुदाई में काफी अवशेष मिले, इसके अलावा भोजशाला के भीतर एक कमरे को भी खोला गया था। उसमें प्राचीन खंडित प्रतिमा व उनके अवशेष मिले।

सर्वे में दीवारों की सफाई की गई। टीम को भित्ति चित्र मिले। इसे अलावा जैन तीर्थकर को मूर्तियां भी मिली। जिनके अाधार पर जैन समाज ने भी भोजशाला पर हक जताया था। हाईकोर्ट के निर्देश पर हुए सर्वे में एएसअाई ने कुछ मुस्लिम अधिकारियों को भी टीम में शामिल किया था, ताकि सर्वे में पारदर्शिता रहे।

राजा भोज ने किया था भोजशाला का निर्माण

एएसआई के सर्वे के बाद भोजशाला फिर सुर्खियों मेें है। भोजशाला का इतिहास परमार काल से जुड़ा है। सन 1034 में इसका निर्माण शुरू हुअा था। भोजशाला में वाग्देवी का मंदिर भी बनाया गया था।

वसंत पंचमी पर भोजशाला में चार दिन का उत्सव आयोजित किया जाता था। प्राचीनकाल में मांडू, धार का इलाका काफी समृद्ध था। मांडू की सुरम्य वादियां मुस्लिम राजाअेां को पंसद आने लगी थी। वहां उन्होंने महलों व किलो का निर्माण शुरू कर दिया था।

सन 1305 में अलाउद्दीन खिलजी ने भोजशाला पर आक्रमण किया था। इसके बाद भोजशाला में बदलाव किए गए। वहां कमाल मौला की मस्जिद भी बनाई गई। वर्ष 1902 में वाग्देवी की मूर्ति भी अंग्रेज लंदन ले गए।

Posted in MP