delhi-excise-policy-case:-सुप्रीम-कोर्ट-ने-मनीष-सिसोदिया-की-जमानत-याचिकाओं-पर-सीबीआई,-ईडी-से-जवाब-मांगा
Delhi excise policy case: आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है. Delhi excise policy case: सुप्रीम कोर्ट दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. मंगलवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिसोदिया की याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा. कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख तय की है. पीठ में न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं. पीठ जमानत देने का अनुरोध करने वाली मनीष सिसोदिया की याचिकाओं के साथ ही शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिं मामलों में उनकी याचिकाओं पर पुनर्विचार करने के अनुरोध पर भी सुनवाई कर रही है. मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबद्ध है जिसे अब रद्द किया जा चुका है.

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Delhi excise policy case: आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सुप्रीम कोर्ट सहमत हो गया है.

Delhi excise policy case: सुप्रीम कोर्ट दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में पूर्व मंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया की जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है. मंगलवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सिसोदिया की याचिकाओं पर सीबीआई और ईडी से जवाब मांगा. कोर्ट ने मामले पर अगली सुनवाई के लिए 29 जुलाई की तारीख तय की है.

पीठ में न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन भी शामिल हैं. पीठ जमानत देने का अनुरोध करने वाली मनीष सिसोदिया की याचिकाओं के साथ ही शराब नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिं मामलों में उनकी याचिकाओं पर पुनर्विचार करने के अनुरोध पर भी सुनवाई कर रही है.

मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग से संबद्ध है जिसे अब रद्द किया जा चुका है.