deepfake:-दिल्ली-हाईकोर्ट-ने-कहा-डीपफेक-तकनीक-गंभीर-सामाजिक-खतरा-बन-रही
Deepfake: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपफेक वीडियो और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर नियम बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. हाई कोर्ट ने कहा कि डीपफेक तकनीक समाज में एक गंभीर खतरा बनती जा रही है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर काम शुरू करना होगा. इस बारे में सोचना होगा. डीपफेक समाज में एक गंभीर खतरा बनने जा रहा है. बता दें, डीपफेक तकनीक के जरिए किसी तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति की जगह अन्य व्यक्ति की तस्वीर लगा दी जाती है. इसके तहत मूल व्यक्ति के शब्दों और कार्यों को बदलकर किसी को भी गुमराह किया जा सकता है और गलत सूचना फैलाई जा सकती है. डीपफेक के खिलाफ दो याचिकाओं पर सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट डीपफेक तकनीक पर नियम बनाने की मांग वाली दो याचिकाओं पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही थी. एक याचिका वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं को अपने सुझावों को शामिल करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. कोर्ट ने कहा है कि मामले में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी. वैश्विक है डीपफेक की समस्या याचिकाकर्ताओं का कहना है कि डीपफेक की समस्या वैश्विक है. उन्होंने कहा कि अगर डीपफेक वीडियो एक बार पोस्ट हो जाए और इससे नुकसान हो जाए तो हम शिकायत करते हैं. और इसपर 72 घंटे में कार्रवाई भी होती है, लेकिन तब तक वीडियो कई बार शेयर हो चुका होता है. ऐसे में डीपफेक विषय की गंभीरता को समझना होगा. इस पर  कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले डीपफेक तकनीक के उपयोग के खिलाफ बड़ी संख्या में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. वहीं, सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि चुनावों से पहले सरकार इस मुद्दे पर चिंतित थी लेकिन अब चीजें बदल गई हैं. कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से यह एक दुर्भावना है और हमारी भाव-भंगिमा बदल गई होगी, लेकिन हम अभी भी उतने ही चिंतित हैं जितने तब थे. केंद्र के वकील ने यह भी कहा कि अधिकारी मानते हैं कि यह ऐसी समस्या है जिससे निपटने की जरूरत है. उन्होंने दलील दी कि हम एआई विरोधी तकनीक का इस्तेमाल करके ऐसी स्थिति को खत्म कर सकते हैं, नहीं तो बहुत नुकसान हो सकता है. इन मुद्दों से निपटने के लिए चार चीजों की जरूरत है – पता लगाना, रोकथाम, शिकायत निवारण तंत्र और जागरूकता बढ़ाना. कोई भी कानून या सलाह बहुत असरकारी नहीं होगी.  इस पर पीठ ने जवाब दिया कि एआई के लिए केवल तकनीक ही उसकी काट होगी. तकनीक से होने वाले नुकसान को समझें – हाईकोर्ट अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलील पर पीठ ने कहा कि इस तकनीक से होने वाले नुकसान को समझें क्योंकि आप सरकार है. एक संस्था के रूप में हमारी कुछ सीमाएं होंगी. बता दें, इससे पहले हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जरिए दोनों याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था.  भाषा इनपुट के साथ Also Read: पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया जवाब, कहा- UPSC के आरोप में नहीं है सच्चाई पानागढ़ के जीटी रोड पर टायर जलाकर BJP ने राज्य सरकार के खिलाफ किया विरोध प्रदर्शन , देखें वीडियो

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Deepfake: दिल्ली हाईकोर्ट ने डीपफेक वीडियो और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर नियम बनाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. हाई कोर्ट ने कहा कि डीपफेक तकनीक समाज में एक गंभीर खतरा बनती जा रही है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला ने कहा कि केंद्र सरकार को इस पर काम शुरू करना होगा. इस बारे में सोचना होगा. डीपफेक समाज में एक गंभीर खतरा बनने जा रहा है. बता दें, डीपफेक तकनीक के जरिए किसी तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति की जगह अन्य व्यक्ति की तस्वीर लगा दी जाती है. इसके तहत मूल व्यक्ति के शब्दों और कार्यों को बदलकर किसी को भी गुमराह किया जा सकता है और गलत सूचना फैलाई जा सकती है.

डीपफेक के खिलाफ दो याचिकाओं पर सुनवाई
दिल्ली हाई कोर्ट डीपफेक तकनीक पर नियम बनाने की मांग वाली दो याचिकाओं पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही थी. एक याचिका वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा ने दायर की है जबकि दूसरी याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता चैतन्य रोहिल्ला ने दायर की है. कोर्ट ने दोनों याचिकाकर्ताओं को अपने सुझावों को शामिल करते हुए एक अतिरिक्त हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया. कोर्ट ने कहा है कि मामले में अगली सुनवाई 24 अक्टूबर को होगी.

वैश्विक है डीपफेक की समस्या
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि डीपफेक की समस्या वैश्विक है. उन्होंने कहा कि अगर डीपफेक वीडियो एक बार पोस्ट हो जाए और इससे नुकसान हो जाए तो हम शिकायत करते हैं. और इसपर 72 घंटे में कार्रवाई भी होती है, लेकिन तब तक वीडियो कई बार शेयर हो चुका होता है. ऐसे में डीपफेक विषय की गंभीरता को समझना होगा. इस पर  कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मनमोहन ने कहा कि चुनाव से ठीक पहले डीपफेक तकनीक के उपयोग के खिलाफ बड़ी संख्या में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं. वहीं, सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि चुनावों से पहले सरकार इस मुद्दे पर चिंतित थी लेकिन अब चीजें बदल गई हैं.

कोर्ट में केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि निश्चित रूप से यह एक दुर्भावना है और हमारी भाव-भंगिमा बदल गई होगी, लेकिन हम अभी भी उतने ही चिंतित हैं जितने तब थे. केंद्र के वकील ने यह भी कहा कि अधिकारी मानते हैं कि यह ऐसी समस्या है जिससे निपटने की जरूरत है. उन्होंने दलील दी कि हम एआई विरोधी तकनीक का इस्तेमाल करके ऐसी स्थिति को खत्म कर सकते हैं, नहीं तो बहुत नुकसान हो सकता है. इन मुद्दों से निपटने के लिए चार चीजों की जरूरत है – पता लगाना, रोकथाम, शिकायत निवारण तंत्र और जागरूकता बढ़ाना. कोई भी कानून या सलाह बहुत असरकारी नहीं होगी.  इस पर पीठ ने जवाब दिया कि एआई के लिए केवल तकनीक ही उसकी काट होगी.

तकनीक से होने वाले नुकसान को समझें – हाईकोर्ट
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल की दलील पर पीठ ने कहा कि इस तकनीक से होने वाले नुकसान को समझें क्योंकि आप सरकार है. एक संस्था के रूप में हमारी कुछ सीमाएं होंगी. बता दें, इससे पहले हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जरिए दोनों याचिकाओं पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा था.  भाषा इनपुट के साथ

Also Read: पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल किया जवाब, कहा- UPSC के आरोप में नहीं है सच्चाई

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