डीएवीवी कुलपति - फोटो : अमर उजाला, इंदौर विस्तार इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में चल रहा हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के स्कूल ऑफ लॉ की विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना रांका को हटाने की लंबे समय से मांग चल रही है। छात्रों के धरने और प्रदर्शन से डीएवीवी कुलपति रेणु जैन ने प्रो. अर्चना रांका को छुट्टी पर भेज दिया और उनकी जगह स्कूल ऑफ डेटा साइंस के हेड डॉ. विजय बाबू गुप्ता को प्रभारी बना दिया। अब एबीवीपी कुलपति के इस्तीफे पर भी अड़ गई है। एबीवीपी का कहना है कि इस मामले में कुलपति ने लेटलतीफी की और प्रो. रांका को हटाने का निर्णय बहुत देर से लिया। एबीवीपी का कहना है कि कुलपति की तरफ से लगातार कई मामलों में गलत निर्णय लिए गए जिससे छात्रों का नुकसान हुआ। इसलिए अब चरणबद्ध तरीके से कुलपति को हटाने की मांग पर आंदोलन चलाया जाएगा।  इस तरह देखा जाए तो स्कूल ऑफ लॉ की विभागाध्यक्ष पर निर्णय मामले में कुलपति की देरी ने नया मोड़ ले लिया है। एबीवीपी के छात्र अब कुलपति को हटाने की मांग पर अड़ गए हैं।  एबीवीबी का आरोप- निर्णय लेने में सक्षम नहीं कुलपति एबीवीपी के कार्यालय मंत्री घनश्याम सिंह ने कुलपति डॉ रेणु जैन पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कुलपति छात्र हित में निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी में लगातार शिक्षकों की कमी बैकलॉग के पदों पर नियुक्ति नहीं होना, परीक्षा विभाग में अव्यवस्थाएं, आरएनटी के यूनिवर्सिटी ऑफिस प्रमुख पदों पर अधिकारियों की मनमानी में आदि कई आरोप लगाए। घनश्याम सिंह ने कहा कि सोमवार से चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलेगा और कुलपति को हटाने की मांग की जाएगी। राजभवन तक छात्रों की इस मांग को भेजा जाएगा। क्या था लॉ कॉलेज का मामला प्रो. अर्चना रांका ने छात्रों को हर साल होने वाले स्पोट्र्स इवेंट की अनुमति नहीं दी थी। इसके साथ छात्र महिला दिवस के एक कार्यक्रम के लिए भी विभागाध्यक्ष से नाराज थे। छात्रों का कहना है कि उनका व्यवहार सही नहीं है। वह छात्रों से बेहद खराब व्यवहार करती हैं। एबीवीपी के कार्यालय मंत्री घनश्याम सिंह का कहना है कि प्रो. अर्चना रांका के परिवार वालों का यूनिवर्सिटी में दखल है।  कुछ नहीं करती जांच समितियां छात्र एक सप्ताह पहले से विभागाध्यक्ष प्रो. अर्चना रांका को हटाने की मांग कर रहे थे। कुलपति और अन्य वरिष्ठ प्रोफेसर उन्हें समझा रहे थे। इस बीच ट्विटर पर सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री से शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बाद कुलपति ने शनिवार को ताबड़तोड़ जांच समिति बना दी और उन्हें अवकाश पर भेज दिया लेकिन एबीवीपी के छात्र जांच समिति बनाने को लेकर नाराज हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी में कई बार समितियां बनती हैं लेकिन ठोस निर्णय नहीं होता और मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

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डीएवीवी कुलपति – फोटो : अमर उजाला, इंदौर

विस्तार इंदौर के देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में चल रहा हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के स्कूल ऑफ लॉ की विभागाध्यक्ष डॉ अर्चना रांका को हटाने की लंबे समय से मांग चल रही है। छात्रों के धरने और प्रदर्शन से डीएवीवी कुलपति रेणु जैन ने प्रो. अर्चना रांका को छुट्टी पर भेज दिया और उनकी जगह स्कूल ऑफ डेटा साइंस के हेड डॉ. विजय बाबू गुप्ता को प्रभारी बना दिया। अब एबीवीपी कुलपति के इस्तीफे पर भी अड़ गई है। एबीवीपी का कहना है कि इस मामले में कुलपति ने लेटलतीफी की और प्रो. रांका को हटाने का निर्णय बहुत देर से लिया। एबीवीपी का कहना है कि कुलपति की तरफ से लगातार कई मामलों में गलत निर्णय लिए गए जिससे छात्रों का नुकसान हुआ। इसलिए अब चरणबद्ध तरीके से कुलपति को हटाने की मांग पर आंदोलन चलाया जाएगा। 

इस तरह देखा जाए तो स्कूल ऑफ लॉ की विभागाध्यक्ष पर निर्णय मामले में कुलपति की देरी ने नया मोड़ ले लिया है। एबीवीपी के छात्र अब कुलपति को हटाने की मांग पर अड़ गए हैं। 

एबीवीबी का आरोप- निर्णय लेने में सक्षम नहीं कुलपति
एबीवीपी के कार्यालय मंत्री घनश्याम सिंह ने कुलपति डॉ रेणु जैन पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि कुलपति छात्र हित में निर्णय लेने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी में लगातार शिक्षकों की कमी बैकलॉग के पदों पर नियुक्ति नहीं होना, परीक्षा विभाग में अव्यवस्थाएं, आरएनटी के यूनिवर्सिटी ऑफिस प्रमुख पदों पर अधिकारियों की मनमानी में आदि कई आरोप लगाए। घनश्याम सिंह ने कहा कि सोमवार से चरणबद्ध तरीके से आंदोलन चलेगा और कुलपति को हटाने की मांग की जाएगी। राजभवन तक छात्रों की इस मांग को भेजा जाएगा।

क्या था लॉ कॉलेज का मामला
प्रो. अर्चना रांका ने छात्रों को हर साल होने वाले स्पोट्र्स इवेंट की अनुमति नहीं दी थी। इसके साथ छात्र महिला दिवस के एक कार्यक्रम के लिए भी विभागाध्यक्ष से नाराज थे। छात्रों का कहना है कि उनका व्यवहार सही नहीं है। वह छात्रों से बेहद खराब व्यवहार करती हैं। एबीवीपी के कार्यालय मंत्री घनश्याम सिंह का कहना है कि प्रो. अर्चना रांका के परिवार वालों का यूनिवर्सिटी में दखल है। 

कुछ नहीं करती जांच समितियां
छात्र एक सप्ताह पहले से विभागाध्यक्ष प्रो. अर्चना रांका को हटाने की मांग कर रहे थे। कुलपति और अन्य वरिष्ठ प्रोफेसर उन्हें समझा रहे थे। इस बीच ट्विटर पर सीएम, उच्च शिक्षा मंत्री से शिकायत दर्ज कराई गई। इसके बाद कुलपति ने शनिवार को ताबड़तोड़ जांच समिति बना दी और उन्हें अवकाश पर भेज दिया लेकिन एबीवीपी के छात्र जांच समिति बनाने को लेकर नाराज हैं। उनका कहना है कि यूनिवर्सिटी में कई बार समितियां बनती हैं लेकिन ठोस निर्णय नहीं होता और मामला रफा-दफा कर दिया जाता है।

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