न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: रवींद्र भजनी Updated Sat, 12 Aug 2023 04: 21 PM IST
दमोह में अनोखा मामला सामने आया है। 14 साल पहले लापता महिला की तेरहवीं उसके परिजनों ने यह सोचकर कर दी थी कि वह अब जीवित नहीं है। अचानक से उसके जीवित होने की जानकारी मिलने पर परिजन खुश होने से ज्यादा हैरान हो गए। इस बात पर भरोसा करना मुश्किल हो गया लेकिन जब महिला को जीवित देखा तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दमोह की इमलिया पुलिस की मदद से वह वृद्ध महिला अपने घर आ सकी।
दमोह जिले के जबेरा थाना क्षेत्र के गैलपुरा गांव निवासी 60 वर्षीय महिला कमलरानी पति चंदू ठाकुर की 14 वर्ष पहले मानसिक हालत ठीक नहीं थी। वह अचानक लापता हो गई थीं। परिजनों ने खोजबीन की लेकिन कोई सुराग नहीं लगा। कोरोना की लहर के समय परिजनों ने उसे मृत समझकर आत्मा की शांति के लिए तेरहवीं कार्यक्रम कर दिया। हालांकि, महिला जीवित थी और गुजरात के आश्रम में रह रही थी।
इस तरह हुई खोज
तेजगढ़ थाना क्षेत्र में इमलिया चौकी प्रभारी आनंद कुमार ने बताया कि जबेरा थाना क्षेत्र के ग्राम गैलपुरा निवासी कमलरानी पति चंदू ठाकुर मानसिक रूप से कमजोर थी। करीब 14 साल पहले वह लापता हो गई थीं। परिवार के लोगों ने सभी जगह खोजबीन की। उनका कोई पता नहीं चला। परिजनों ने उन्हें मृत मान लिया और विधि-विधान से तेरहवीं भी कर दी थी। पिछले दिनों गुजरात के मानव ज्योति आश्रम ने एक महिला की फोटो सोशल मीडिया पर जारी की। इसमें बताया गया कि यह महिला मानसिक रूप से विक्षिप्त है । वह स्वयं को दमोह जिले का रहना बता रही है। चौकी प्रभारी ने आश्रम से संपर्क किया। महिला की फोटो मंगाई। जिले के सभी थाना क्षेत्र में पता किया। पता चला कि वह महिला गैलपुरा गांव की है। गांव में परिजनों से मुलाकात की। महिला की फोटो दिखाई जिसे उन्होंने पहचान लिया। इसके बाद परिजनों को गुजरात ले गए। आश्रम के लोगों ने महिला से एक-एक कर परिजनों की पहचान कराई तो उसने भी सबको पहचान लिया। शुक्रवार शाम महिला को दमोह लाया गया और परिजनों के सुपुर्द किया गया।
परिजनों ने दिया पुलिस को धन्यवाद
परिजनों ने एएसआई आनंद अहिरवार के प्रति आभार प्रकट किया है। उनकी मेहनत की वजह से ही मां अपने बच्चों से मिल सकी। परिजन झल्लू ठाकुर ने बताया कि वह लोग उम्मीद छोड़ चुके थे। बड़ी मां की तेरहवीं भी कर दी थी। एएसआई आनंद अहिरवार ने 14 साल पहले बिछड़ी मां को खोजा जिससे परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं है। इस काम के लिए पूरा परिवार उन्हें धन्यवाद देता है। कुछ दिन पहले भी आनंद अहिरवार ने इमलिया लांजी गांव निवासी एक महिला को इसी तरह खोजा था और परिजनों से मिलवाया था।
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