damoh-news:-सेवानिवृत्ति-की-उम्र-में-अधिकारी-मांग-रहे-जन्म-प्रमाण-पत्र,-21-माह-से-नहीं-मिला-वेतन
विस्तार Follow Us दमोह जिले के हटा ब्लाक आने वाले रजपुरा आंगनवाड़ी केंद्र में पदस्थ सहायका को नोकरी करते हुए 29 साल बीत गए और अब सेवानिवृत्ति की आयु में शासन के द्वारा जन्म प्रमाण पत्र ओर पढ़ाई के कागज मांगे जा रहे हैं। जिससे सहायिका काफी परेशान है। 21 माह से वेतन भी नहीं मिला है जिसके चलते आर्थिक रूप से परेशान और बीमार होने पर दवा खरीदने के तक लिए महिला के पास पैसे नहीं है। 59 वर्षीय जनकरानी रैकवार हटा ब्लॉक अंतर्गत रजपुरा आगनवाड़ी केंद्र में सहायिका के पद पर पदस्थ है। जनकरानी रैकवार ने बताया की 21 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। विभागीय अधिकारियों सहित कलेक्टर से गुहार लगा चुके है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। आर्थिक तंगी का सामना कर रही हूं। बीमार होने पर दवा के लिए भी रुपए नहीं है। वेतन न मिलने से कर्ज हो गया है, जिसे साहूकार मांग रहे हैं। प्रशासनिक लचरता का दंश भोग रही जनकरानी रैकवार अब भी नियमित नौकरी करने में जुटी हुई ओर आस लगाए हैं, कि उसको वेतन मिलेगा और कर्ज उतर जाएगा। 160 रुपए से शुरू की थी नौकरी जनकरानी रैकवार ने बताया की लगभग 29 साल पहले उसने रजपुरा आगनवाड़ी केंद्र में 160 रुपए प्रतिमाह में नौकरी शुरू की थी। उस समय किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं मांगे गए थे। 27 साल तक वेतन मिलती रही, लेकिन अब बंद हो गई। इस संबंध में रजपुरा केंद्र में पदस्थ आगनवाड़ी कार्यकर्ता गायत्री साहू ने बताया कि यह सच है कि सहायिका को 21 माह से वेतन नहीं मिला। सहायिका के संबंध में आवश्यक जानकारी और कार्रवाई होने की सूचना है, लेकिन कब तक वेतन मिलेगा यह नहीं कह सकते हैं। उपस्थिति भेजी जा रही है।

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दमोह जिले के हटा ब्लाक आने वाले रजपुरा आंगनवाड़ी केंद्र में पदस्थ सहायका को नोकरी करते हुए 29 साल बीत गए और अब सेवानिवृत्ति की आयु में शासन के द्वारा जन्म प्रमाण पत्र ओर पढ़ाई के कागज मांगे जा रहे हैं। जिससे सहायिका काफी परेशान है।

21 माह से वेतन भी नहीं मिला है जिसके चलते आर्थिक रूप से परेशान और बीमार होने पर दवा खरीदने के तक लिए महिला के पास पैसे नहीं है। 59 वर्षीय जनकरानी रैकवार हटा ब्लॉक अंतर्गत रजपुरा आगनवाड़ी केंद्र में सहायिका के पद पर पदस्थ है। जनकरानी रैकवार ने बताया की 21 माह से वेतन नहीं मिल रहा है। विभागीय अधिकारियों सहित कलेक्टर से गुहार लगा चुके है, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। आर्थिक तंगी का सामना कर रही हूं। बीमार होने पर दवा के लिए भी रुपए नहीं है। वेतन न मिलने से कर्ज हो गया है, जिसे साहूकार मांग रहे हैं। प्रशासनिक लचरता का दंश भोग रही जनकरानी रैकवार अब भी नियमित नौकरी करने में जुटी हुई ओर आस लगाए हैं, कि उसको वेतन मिलेगा और कर्ज उतर जाएगा।

160 रुपए से शुरू की थी नौकरी
जनकरानी रैकवार ने बताया की लगभग 29 साल पहले उसने रजपुरा आगनवाड़ी केंद्र में 160 रुपए प्रतिमाह में नौकरी शुरू की थी। उस समय किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं मांगे गए थे। 27 साल तक वेतन मिलती रही, लेकिन अब बंद हो गई। इस संबंध में रजपुरा केंद्र में पदस्थ आगनवाड़ी कार्यकर्ता गायत्री साहू ने बताया कि यह सच है कि सहायिका को 21 माह से वेतन नहीं मिला। सहायिका के संबंध में आवश्यक जानकारी और कार्रवाई होने की सूचना है, लेकिन कब तक वेतन मिलेगा यह नहीं कह सकते हैं। उपस्थिति भेजी जा रही है।

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