damoh-news:-सरकारी-स्कूल-की-छत-से-टपक-रहे-पानी-को-रोकने-बांधी-पॉलीथिन,-बारिश-में-किताबें-भी-भीगी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sat, 31 Aug 2024 09: 09 AM IST स्कूल के प्राचार्य इंद्रा ठाकुर ने बताया कि अधिकांश कक्ष पूरी तरह छतिग्रस्त हैं। बच्चे गीले में बैठने मजबूर हैं। दो, तीन पहले बारिश होने से किताबें भीग गई थीं। कक्षाओं में पानी भरने को लेकर अभिभावकों ने नाराजगी भी जाहिर की थी। सूखने के लिए टंगी किताबें विस्तार Follow Us दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक में ग्रामीण इलाकों में कई शासकीय स्कूल जर्जर हालत में हैं। नगरीय क्षेत्रों में भी इसी तरह के हालात हैं। नगर के वार्ड दो में संचालित शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन के छप्पर से बारिश का पानी टपक रहा है, जिसे रोकने के लिए पॉलिथीन बांधी जा रही है। वहीं, स्कूल में रखी किताबें पानी में भीग जाने के कारण उन्हें रस्सी पर सुखाया जा रहा है। स्कूल भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, जिसके कारण यहां पढ़ने वाले बच्चे भय के साए में रहते हैं। ऐसे में बीते शुक्रवार को अभिभावक स्कूल पहुंचे और कक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की हालत देखी। स्कूल का छप्पर पूरी तरह टूट गया है, जगह-जगह से पानी गिरता है। कक्षाओं की फर्श पर सीलन है, और उसी जगह पर बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं। दीवारें भी गीली हैं और हल्की सी बारिश में कमरों में पानी भर जाता है। स्कूल को देखकर ऐसा लगता है जैसे वर्षों से इसकी मरम्मत के लिए कोई राशि न आई हो। यहां पदस्थ शिक्षकों का कहना है कि ऐसी स्थिति पहली बार नहीं बल्कि हर वर्ष बनती है। कई कक्ष तो इस हालत में हैं, जिन्हें देखकर लगता है जैसे यहां मवेशी बांधे जाते हों। भीग गई पुस्तकें नगर के वार्ड दो में संचालित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई करने वाले अधिकांश छात्रों के घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, इस कारण स्कूल की जर्जर स्थिति के बारे में कभी कोई जानकारी सामने नहीं आई। शुक्रवार को कुछ अभिभावक जब स्कूल पहुंचे तो वहां उन्हें छात्रों के लिए आई किताबें भीगी मिलीं, जो रस्सी पर सूख रही थीं। 200 से अधिक है दर्ज संख्या स्कूल भवन करीब 50 वर्ष पुराना है और इसकी कभी मरम्मत नहीं की गई। प्राचार्य कक्ष में भी बारिश का पानी टपकता है, जिसके बचाव के लिए छप्पर में त्रिपाल लगाई गई है। स्कूल की प्राचार्य इंद्रा ठाकुर ने बताया कि अधिकांश कक्ष पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। इसकी जानकारी लिखित रूप में भी भेजी गई है। बच्चे गीले में बैठने को मजबूर हैं। दो-तीन दिन पहले बारिश होने से पुस्तकें भीग गई थीं और कक्षाओं में पानी भर जाने के बाद अभिभावकों की नाराजगी सामने आई थी। वर्तमान में कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में 212 बच्चे दर्ज हैं। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sat, 31 Aug 2024 09: 09 AM IST

स्कूल के प्राचार्य इंद्रा ठाकुर ने बताया कि अधिकांश कक्ष पूरी तरह छतिग्रस्त हैं। बच्चे गीले में बैठने मजबूर हैं। दो, तीन पहले बारिश होने से किताबें भीग गई थीं। कक्षाओं में पानी भरने को लेकर अभिभावकों ने नाराजगी भी जाहिर की थी। सूखने के लिए टंगी किताबें

विस्तार Follow Us

दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक में ग्रामीण इलाकों में कई शासकीय स्कूल जर्जर हालत में हैं। नगरीय क्षेत्रों में भी इसी तरह के हालात हैं। नगर के वार्ड दो में संचालित शासकीय प्राथमिक स्कूल भवन के छप्पर से बारिश का पानी टपक रहा है, जिसे रोकने के लिए पॉलिथीन बांधी जा रही है। वहीं, स्कूल में रखी किताबें पानी में भीग जाने के कारण उन्हें रस्सी पर सुखाया जा रहा है।

स्कूल भवन पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, जिसके कारण यहां पढ़ने वाले बच्चे भय के साए में रहते हैं। ऐसे में बीते शुक्रवार को अभिभावक स्कूल पहुंचे और कक्षाओं में बैठने वाले छात्रों की हालत देखी। स्कूल का छप्पर पूरी तरह टूट गया है, जगह-जगह से पानी गिरता है। कक्षाओं की फर्श पर सीलन है, और उसी जगह पर बच्चे बैठकर पढ़ाई करते हैं। दीवारें भी गीली हैं और हल्की सी बारिश में कमरों में पानी भर जाता है। स्कूल को देखकर ऐसा लगता है जैसे वर्षों से इसकी मरम्मत के लिए कोई राशि न आई हो। यहां पदस्थ शिक्षकों का कहना है कि ऐसी स्थिति पहली बार नहीं बल्कि हर वर्ष बनती है। कई कक्ष तो इस हालत में हैं, जिन्हें देखकर लगता है जैसे यहां मवेशी बांधे जाते हों।

भीग गई पुस्तकें
नगर के वार्ड दो में संचालित शासकीय प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई करने वाले अधिकांश छात्रों के घर की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है, इस कारण स्कूल की जर्जर स्थिति के बारे में कभी कोई जानकारी सामने नहीं आई। शुक्रवार को कुछ अभिभावक जब स्कूल पहुंचे तो वहां उन्हें छात्रों के लिए आई किताबें भीगी मिलीं, जो रस्सी पर सूख रही थीं।

200 से अधिक है दर्ज संख्या
स्कूल भवन करीब 50 वर्ष पुराना है और इसकी कभी मरम्मत नहीं की गई। प्राचार्य कक्ष में भी बारिश का पानी टपकता है, जिसके बचाव के लिए छप्पर में त्रिपाल लगाई गई है। स्कूल की प्राचार्य इंद्रा ठाकुर ने बताया कि अधिकांश कक्ष पूरी तरह क्षतिग्रस्त हैं। इसकी जानकारी लिखित रूप में भी भेजी गई है। बच्चे गीले में बैठने को मजबूर हैं। दो-तीन दिन पहले बारिश होने से पुस्तकें भीग गई थीं और कक्षाओं में पानी भर जाने के बाद अभिभावकों की नाराजगी सामने आई थी। वर्तमान में कक्षा एक से पांच तक की कक्षाओं में 212 बच्चे दर्ज हैं।

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