न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Sun, 08 Sep 2024 05: 37 PM IST
दमोह के सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश ने बांग्लादेशी नागरिक विश्वजीत विश्वास को कूटरचित दस्तावेजों (आधार कार्ड, पैन कार्ड, पासपोर्ट) के आधार पर सात वर्ष की सजा सुनाई है। विश्वजीत विश्वास 2012 में मजदूरी के लिए भारत आया था और उसने दमोह जिले में फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए थे। 2018 में बांग्लादेश लौटने के प्रयास के दौरान पासपोर्ट जांच में उसकी धोखाधड़ी उजागर हुई। दमोह जिला न्यायालय। – फोटो : अमर उजाला
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दमोह के सप्तम अपर सत्र न्यायाधीश ने कूट रचित दस्तावेज बनाकर दमोह ने रहने वाले बांग्लादेशी युवक विश्वजीत विश्वास को सात वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। तेजगढ़ थाने में युवक के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। बांग्लादेश जाने के लिए पासपोर्ट चेकिंग के दौरान आरोपी पर शक हुआ था।
दमोह पुलिस के अनुसार आरोपी का नाम विश्वजीत विश्वास पिता गोलोक विश्वास है और इसका जन्म भओया खाली जिला नडायल बांग्लादेश में हुआ था। आरोपी पढ़ाई करने के बाद 2012 में मजदूरी करने के लिए पश्चिम बंगाल आ गया। कुछ दिन पश्चिम बंगाल में रहने के बाद वर्ष 2012 में दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक के ग्राम झलौन में डॉक्टर रंजन विश्वास के यहां रहने लगा। वहां से इसने अपना नाम विश्वजीत विश्वास पिता गोलोक विश्वास रख लिया। वर्ष 2018 में मां की तबीयत खराब होने से बांग्लादेश जाने के लिए पासपोर्ट की आवश्यकता थी। इसलिए आरोपी ने स्थाई निवासी के लिए स्वप्रमाणित घोषणा पत्र लोक सेवा केन्द्र में जमा कर दिया। जिससे इसका स्थाई निवास प्रमाण पत्र बन गया। इसके आधार पर विश्वजीत विश्वास ने अन्य दस्तावेज (आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आई-डी) तैयार करवा ली। इसके बाद विश्वजीत ने पासपोर्ट के लिये आवेदन किया। सभी दस्तावेज होने से थाना स्तर पर अनुशंषा कर पासपोर्ट कार्यालय भेज दिया गया। वहां से विश्वजीत विश्वास का पासपोर्ट तैयार हो गया और उसी पासपोर्ट की मदद से बांग्लादेश जा रहा था।
बांग्लादेश बार्डर पर इमीग्रेशन विभाग द्वारा शक होने पर विश्वजीत विश्वास से पूछताछ की गई। वहां से वापस भेजकर पासपोर्ट को रिवेरीफाईड के लिए मिनिस्ट्री आफ एक्सटर्नल अफेयर्स रीजनल पासपोर्ट आफिस भेजा गया। इसके आधार पर जांच कर वर्ष 2021 में थाना तेजगढ़ में धारा 199,467,471 विदेशी विषयक अधिनियम 1946 की धारा 14 एवं पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12 के तहत मामला दर्ज कर विवेचना में लिया गया।
विवेचना के दौरान आरोपी विश्वजीत विश्वास को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया। मामले में विवेचना पूर्ण होने पर आरोपी के विरूद्ध अभियोग पत्र तैयार कर न्यायालय पेश किया गया।
अभियुक्त के विरूद्ध उसके द्वारा घटना दिनांक 01/01/12 से दिनांक 16/10/2021 के मध्य लोकसेवा केन्द्र तेंदूखेड़ा में बांग्लादेशी नागरिक होते हुए भारत में रहकर स्वयं का झूठा घोषणा पत्र, स्थानीय निवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड एवं पैनकार्ड बनवाकर कूटरचना करने एवं उक्त दस्तावेज जो कि फर्जी अथवा कूटरचित है इसका असल के रूप में उपयोग किए जाने का अपराध प्रमाणित पाया गया है। इस स्थिति में आरोपी के कृत्य, अपराध से संबंधित समस्त तथ्यों व परिस्थितियों और अपराध की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने आरोपी विश्वजीत विश्वास को भारतीय दंड संहिता की धारा 199,467 एवं 471 के तहत सात वर्ष के कारावास की सजा से दंडित किया।
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