damoh-news:-दमोह-में-सामने-आया-सड़क-का-घोटाला,-कागजों-पर-ही-बन-गई-सड़क,-ठेकेदार-को-भुगतान-भी-हो-गया
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Thu, 01 Aug 2024 02: 09 PM IST दमोह जिले के तेंदुखेड़ा में भी उज्जैन जैसा मामला सामने आया है। 2012 के बाद से जो सड़क नहीं बनी थी, वह कागजों पर दो बार बन गई। इसके लिए ठेकेदार को भुगतान भी हो चुका है।   कीचड़ से होकर निकलते ग्रामीण विस्तार Follow Us दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के खखरियाकला गांव में ग्रामीण कीचड़ से भरी सड़क से आवागमन कर रहे हैं। वे लंबे समय से इस सड़क के निर्माण की मांग कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें पता चला है कि यह सड़क तो कागजों में पहले ही बन चुकी है और इसका कुछ भुगतान भी हो चुका है। यह सुनकर ग्रामीण हैरान हैं और सवाल उठा रहे हैं कि तेंदूखेड़ा ब्लॉक में निर्माण कार्य कब और कहां होता है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती। दरअसल, कुछ समय पहले उज्जैन के तराना से भी ऐसी ही खबर आई थी। 15 साल से जिस सड़क पर कोई काम नहीं हुआ, वह कागजों पर बन गई और भुगतान भी हो गया। मेंटेनेंस के नाम पर फिर खर्च करने की तैयारी हो रही थी।  मामला क्या है?  खखरियाकला गांव की सड़क 2012 में बनी थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से दलदल में बदल चुकी है। ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को इस कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। हाल ही में हुई बारिश के बाद स्थिति और भी खराब हो गई है। एक कार भी कीचड़ में फंस गई थी, जिसे ग्रामीणों ने मिलकर निकाला। उन्होंने बताया कि 2012 के बाद से सड़क पर कोई मरम्मत कार्य नहीं हुआ है।  इस वर्ष क्यों बढ़ी समस्या?  खखरियाकला गांव के लिए पहले दो रास्ते थे—एक जंगली क्षेत्र से होकर और दूसरा मुख्यमंत्री सड़क योजना से बना मार्ग। पहले ग्रामीण जंगली क्षेत्र वाले रास्ते का उपयोग करते थे, लेकिन इस वर्ष वन विभाग ने वहां प्लांटेशन कर दिया, जिससे वह रास्ता बंद हो गया। अब केवल मुख्यमंत्री सड़क योजना वाला मार्ग ही बचा है, जो कच्चा और दलदली हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क पर कोई बड़ा वाहन नहीं आ सकता, खासकर बारिश के दौरान। निर्माण कार्य की स्थिति  खखरियाकला निवासी पूर्व जनपद सदस्य विजय घोसी का आरोप है कि कच्ची सड़क का निर्माण आरईएस विभाग द्वारा कागजों में दो बार हो चुका है। तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ के पास शिकायत दर्ज करने पर जानकारी मिली कि इस सड़क पर 23 से 24 लाख रुपये खर्च होने हैं। पांच से छह लाख रुपये का भुगतान भी हो चुका है। हालांकि, हकीकत में सड़क पर 2012 के बाद से कोई मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। आरईएस विभाग के एसडीओ शिवाजी गोंड ने बताया कि दो वर्ष पूर्व ठेकेदार ने कुछ मुरमीकरण कार्य किया था, जिसका भुगतान किया गया है। बाकी कार्य अभी लंबित है।   उज्जैन में भी सामने आया था ऐसा मामला मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत उज्जैन के तराना ब्लॉक में दो सड़कें जवासिया से बेलारी और जवासिया से बोरदा धाकड़ को 2009 में मंजूरी मिली थी। रिकॉर्ड में यह दोनों सड़कें 2014 में बन चुकी है लेकिन हकीकत यह है कि वहां कोई सड़क नहीं बनी है। ठेकेदार को भुगतान भी हो चुका है।   रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, दमोह Published by: दमोह ब्यूरो Updated Thu, 01 Aug 2024 02: 09 PM IST

दमोह जिले के तेंदुखेड़ा में भी उज्जैन जैसा मामला सामने आया है। 2012 के बाद से जो सड़क नहीं बनी थी, वह कागजों पर दो बार बन गई। इसके लिए ठेकेदार को भुगतान भी हो चुका है।   कीचड़ से होकर निकलते ग्रामीण

विस्तार Follow Us

दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के खखरियाकला गांव में ग्रामीण कीचड़ से भरी सड़क से आवागमन कर रहे हैं। वे लंबे समय से इस सड़क के निर्माण की मांग कर रहे थे, लेकिन अब उन्हें पता चला है कि यह सड़क तो कागजों में पहले ही बन चुकी है और इसका कुछ भुगतान भी हो चुका है। यह सुनकर ग्रामीण हैरान हैं और सवाल उठा रहे हैं कि तेंदूखेड़ा ब्लॉक में निर्माण कार्य कब और कहां होता है, इसकी कोई जानकारी नहीं मिलती। दरअसल, कुछ समय पहले उज्जैन के तराना से भी ऐसी ही खबर आई थी। 15 साल से जिस सड़क पर कोई काम नहीं हुआ, वह कागजों पर बन गई और भुगतान भी हो गया। मेंटेनेंस के नाम पर फिर खर्च करने की तैयारी हो रही थी। 

मामला क्या है? 
खखरियाकला गांव की सड़क 2012 में बनी थी, लेकिन अब यह पूरी तरह से दलदल में बदल चुकी है। ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को इस कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है, जिससे उन्हें काफी परेशानी होती है। हाल ही में हुई बारिश के बाद स्थिति और भी खराब हो गई है। एक कार भी कीचड़ में फंस गई थी, जिसे ग्रामीणों ने मिलकर निकाला। उन्होंने बताया कि 2012 के बाद से सड़क पर कोई मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। 

इस वर्ष क्यों बढ़ी समस्या? 
खखरियाकला गांव के लिए पहले दो रास्ते थे—एक जंगली क्षेत्र से होकर और दूसरा मुख्यमंत्री सड़क योजना से बना मार्ग। पहले ग्रामीण जंगली क्षेत्र वाले रास्ते का उपयोग करते थे, लेकिन इस वर्ष वन विभाग ने वहां प्लांटेशन कर दिया, जिससे वह रास्ता बंद हो गया। अब केवल मुख्यमंत्री सड़क योजना वाला मार्ग ही बचा है, जो कच्चा और दलदली हो चुका है। ग्रामीणों का कहना है कि इस सड़क पर कोई बड़ा वाहन नहीं आ सकता, खासकर बारिश के दौरान।

निर्माण कार्य की स्थिति 
खखरियाकला निवासी पूर्व जनपद सदस्य विजय घोसी का आरोप है कि कच्ची सड़क का निर्माण आरईएस विभाग द्वारा कागजों में दो बार हो चुका है। तेंदूखेड़ा जनपद सीईओ के पास शिकायत दर्ज करने पर जानकारी मिली कि इस सड़क पर 23 से 24 लाख रुपये खर्च होने हैं। पांच से छह लाख रुपये का भुगतान भी हो चुका है। हालांकि, हकीकत में सड़क पर 2012 के बाद से कोई मरम्मत कार्य नहीं हुआ है। आरईएस विभाग के एसडीओ शिवाजी गोंड ने बताया कि दो वर्ष पूर्व ठेकेदार ने कुछ मुरमीकरण कार्य किया था, जिसका भुगतान किया गया है। बाकी कार्य अभी लंबित है।  

उज्जैन में भी सामने आया था ऐसा मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत उज्जैन के तराना ब्लॉक में दो सड़कें जवासिया से बेलारी और जवासिया से बोरदा धाकड़ को 2009 में मंजूरी मिली थी। रिकॉर्ड में यह दोनों सड़कें 2014 में बन चुकी है लेकिन हकीकत यह है कि वहां कोई सड़क नहीं बनी है। ठेकेदार को भुगतान भी हो चुका है।  

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