तालाब के नजदीक रखा पिंजरा
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दमोह जिले के जबेरा ब्लाक की ग्राम पंचायत मुड़ारी में बकरे को शिकार बनाने वाले मगरमच्छ को पकड़ लिया गया। इसके लिए तालाब किनारे पिंजरे के अंदर मुर्गे को रखा गया उसके बाद रेस्क्यू कर मगरमच्छ को पकड़ा गया। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ मगरमच्छ को देखने के लिए लगी रही।
बस्ती के समीप छोटे तालाब में बीते दो तीन दिन आंख मिचौली कर रहे मगरमच्छ को वन विभाग ने शुक्रवार शाम पकड़ लिया। वन विभाग ने उसे पिंजरे में फंसाने के लिए चारे के तौर पर मुर्गा बांधकर कर रखा था। दोपहर 12 बजे से तालाब में रखे पिंजरे में मांस के टुकड़े खाकर मगरमच्छ पिंजरे से बाहर निकल जाता था, क्योंकि पिंजरे में लगा ऑटोमेटिक लॉक का गेट मगरमच्छ के अंदर जाने के बाद भी नहीं लगता था और मगरमच्छ पिंजरे के अंदर जाकर मांस खाकर बाहर निकल जाता था।
काफी देर परेशान होने के बाद जब मगरमच्छ पिंजरे में कैद नहीं हुआ तो डिप्टी रेंजर नेक नारायण खरे ने पिंजरे के गेट पर एक रस्सी बांधकर तालाब से बहुत दूर बैठ गए और जैसे ही मगरमच्छ मुर्गा के मांस के टुकड़े खाने के लिए तीसरी बार पिंजरे के अंदर गया तो रस्सी खींचकर पिंजरे का गेट बंद कर दिया गया और मगरमच्छ पिंजरे में कैद हो गया। बता दें दो-तीन दिन से बस्ती के समीप छोटे तालाब में एक मगरमच्छ आ गया था, जिसने पानी पीने गए एक बकरे को भी अपना शिकार बनाया था। इसके बाद लोगों में मगरमच्छ की दहशत बनी हुई थी और इसकी सूचना वन विभाग की टीम को दी गई थी। इसके बाद मगरमच्छ को पकड़ने के लिए वन विभाग की टीम के द्वारा रेस्क्यू अभियान के चलते तालाब के पास पिंजरा रखा गया था और 6 घंटे चले रेस्क्यू अभियान के बाद आखिरकार मगरमच्छ पिंजरे में कैद हो गया।
डिप्टी रेंजर नेक नारायण खरे ने बताया तेजगढ़ रेंज के अंतर्गत मुड़ारी गांव के समीप एक तालाब में मगरमच्छ होने की सूचना पर मगरमच्छ को पकड़ने के लिए शुक्रवार दोपहर तालाब में पिंजरा रखा गया था, लेकिन पिंजरे का ऑटोमेटिक गेट खराब होने की वजह से मगरमच्छ चारे के तौर पर पिंजरे में रखा मुर्ग के मांस का टुकड़ा खाकर दो बार बाहर निकल गया था। जिसके बाद पिंजरे के गेट में रस्सी बांधकर पुनः पिंजरे के अंदर मुर्गा के मांस के टुकड़े रखे गए और जैसे ही तीसरी बार मगरमच्छ पिंजरा के अंदर घुसा तो गेट में बंधी रस्सी खींच दी गई और मगरमच्छ पिंजरे में कैद हो गया।
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