जमीन पर बैठे पंचायत समिति के सदस्य। – फोटो : Amar Ujala Digital
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दमोह जिला पंचायत कार्यालय में शुक्रवार को सामान्य सभा की बैठक के दौरान जमकर हंगामा हुआ। यहां पहुंचे जिला पंचायत सदस्यों को कुर्सी नहीं मिली तो जिला पंचायत सदस्य मनीष तंतवाय और जिला पंचायत सदस्य रजनी ठाकुर सहित अन्य सदस्य गुस्सा होकर जमीन पर बैठ गए। साथ ही जिला पंचायत प्रबंधन पर कई गंभीर आरोप लगाए। सदस्यों के समर्थन में जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि गौरव पटेल भी जमीन पर बैठ गए और सरकार से मांग करने लगे कि पंचायती राज व्यवस्था को सही बनाने के लिए सभापति के पास खुद का चेंबर होना चाहिए।
कुर्सी, चेंबर नहीं कैसे सुने समस्याएं
जिला पंचायत सदस्य मनीष तंतवाय ने कहा जिला पंचायत में हमारे नाम की कुर्सी नहीं है, चेंबर नहीं है, फिर कहां बैठें। एक भृत्य के लिए भी कुर्सी रहती है, लेकिन हमारे लिए नहीं है इसलिए धरती में बैठे हैं। सरकार भी चाह रही है कि तुम्हारे लिए धरती है इसलिए धरती पर बैठ गए। मनीष तंतवाय ने आरोप लगाते हुए कहा कि पिछली बार आयोजित बैठक में यह मुद्दा उठाया था कि जिला पंचायत सदस्य के लिए अलग से कुर्सी उपलब्ध कराई जाए।
उस दौरान तात्कालीन जिला पंचायत सीईओ ने यह कहा था कि 15 जिला पंचायत क्षेत्रों में जो कार्य योजना बनाई जा रही है, उसमें अलग से बैठक कक्ष बनाए दे रहे हैं। तब हमने कहा था कि यह अच्छी बात है। जो जिला पंचायत सदस्य 50 हजार मतों से जीतकर आ रहा है उसके बैठने के लिए भी व्यवस्था नहीं है यह तो हमारे साथ अन्याय है। क्षेत्र में हम विकास कार्य नहीं करवा रहे, लोगों की समस्या नहीं सुन पा रहे। आज भी सामान्य सभा की बैठक में अलग से कुर्सी नहीं थी। इसलिए हम लोग जमीन पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत में पांचवे वित्त की जानकारी नहीं दी जा रही। सदन से वित्त भी गोल कर दिए गए। बैठक के दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष रंजीता गौरव पटेल, उपाध्यक्ष मंजू कटारे के साथ जिला पंचायत सीईओ अर्पित वर्मा और अन्य जिला पंचायत सदस्यों की मौजूदगी रही।
बैठक कक्ष में जमीन पर बैठने के पहले जिला पंचायत सदस्य कार्यालय के मुख्य गेट पर जमीन पर बैठे थे। इसी दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष प्रतिनिधि गौरव पटैल भी उनके साथ जमीन पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि हमारे सदस्य जो सभापति हैं उनके लिए अलग से कुर्सी और चैंबर की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि वह बैठकर काम कर सकें और लोगों की समस्याओं काे हल कर सकें।सरकार को पंचायती राज व्यवस्था को मजबूर करना है तो जिला पंचायत सदस्यों के लिए इस प्रकार की व्यवस्थाएं करवानी चाहिए तभी विकास कार्य संभव है।
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