damoh:-घुटनों-तक-पानी-कीचड़-से-आवागमन-बना-इस-गांव-की-मजबूरी,-बारिश-में-जूते-चप्पल-नहीं-पहनते-ग्रामीण-और-बच्चे
कीचड़ से होकर निकलते ग्रामीण दमोह जिले की बटियागढ़ तहसील अंतर्गत आने वाली मेनवार ग्राम पंचायत के मोटेहार गांव में सड़क का अभाव है। जिससे यहां घुटनों तक पानी और कीचड़ से आवागमन करना ग्रामीणों के साथ स्कूली छात्रों की मजबूरी है। आलम यह है कि गांव के लोग और स्कूली बच्चे बारिश के मौसम में जूते-चप्पल नहीं पहन सकते, क्योंकि कीचड़ से निकलते समय वह उसी में दब जाएंगी। Trending Videos सरकार भले ही गांव के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है। ग्राम पंचायत मेनवार के गांव मोटेहार में ग्रामीण और स्कूली बच्चे घुटनों तक भरे कीचड़ से होकर गुजरते हैं। आलम यह है कि यह बच्चे पैरों में जूते और चप्पल भी नहीं पहन सकते। नंगे पैर ही स्कूल जाना पड़ता है, क्योंकि यदि यह चप्पल पहनकर कीचड़ से गुजरेंगे तो चपल टूट जाएगी और जूते पहनकर जाएंगे तो वह जूते कीचड़ में ही फंस जाएंगे। बारिश के चार महीने यहां लोगों को संघर्ष करना पड़ता है। ज्यादा तेज बारिश हो गई तो कीचड़ दलदल में तब्दील हो जाता है जिससे कभी भी यह बच्चे दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। आलम यह है कि बच्चे बारिश के मौसम में हफ्ते में दो तीन दिन ही स्कूल जा पाते हैं। 800 मीटर के रास्ते में है कीचड़ मोटेहार में करीब 15- 16 परिवार निवास करते हैं जिनके सदस्यों की संख्या 40- 45 के आसपास है। गांव के बच्चे शासकीय मिडिल स्कूल मेनवार में पढ़ने जाते हैं और मोटेहार से गांव की दूरी 800 मीटर है। इसमें कीचड़ भरा है। स्कूली बच्चों ने बताया कि बारिश के दिनों में यहां कीचड़ हो जाता है और वह इस कीचड़ से होकर स्कूल जाने मजबूर हैं। ये बच्चे कंधे पर बैग टांग कर बिना जूते-चप्पल के इस कीचड़ से होकर गुजरते हैं। पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच द्वारा कई कार्य किए गए, लेकिन जिस कार्य की आवश्यकता थी वह कार्य नहीं किया गया है। छात्राओं ने बताई समस्या छात्रा रामदेवी ने कहा कि यहां पर सड़क का निर्माण हो जाए ताकि वह सुगम तरीके से स्कूल जा सकें और अपने पैरों में जूते- चप्पल भी पहन सकें। छात्रा सुहानी लोधी ने कहा हम बच्चों की समस्या पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए ताकि हम स्कूल में पढ़ाई कर अपना भविष्य बना सकें। ग्रामीणों की परेशानी ग्रामीण महिला कली बाई ने कहा हम लोग जव भी नगे पैर इस कीचड़ से होकर गुजरते हैं तो पत्थर, कांच के टुकड़े और अन्य नुकीले तार उनके पैर में चुभ जाते हैंं जिससे वह घायल भी होते हैं। ग्रामीण बबलू सिंह लोधी ने बताया कि मोटेहार में कई सालों से 15 परिवार के 40- 45 सदस्य निवासरत हैं। गांव के बच्चे शासकीय मिडिल स्कूल मेनवार में पढ़ने जाते हैं, जिन्हें बारिश के चार महीने इसी दलदल और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। इस संबंध में बटियागढ़ जनपद सीईओ अश्वनी सिंह ने कहा कि सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक से जानकारी लेकर सड़क स्वीकृत करने के लिए प्रयास करते हैं। सरपंच प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह लोधी का कहना है कि मेनवार गांव से मोटेहार तक आने-जाने में बड़ी समस्या होती है। 800 मीटर का रास्ता कीचड़ में तब्दील है, जिससे वहां के लोगों को आने-जाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। कुछ किसानों की निजी जमीन आती है यदि उन्हें कोई दिक्कत नही है तो हम बरसात के बाद मुरमीकरण की फाइल बनवा देते हैं। अभी दलदल कीचड़ से निपटने के लिए कुछ उपाय करते हैं। सचिव मनोज अवस्थी का कहना है कि मोटेहार की तरफ वाले रास्ते में कुछ किसानों की निजी जमीन पड़ती है। यदि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है तो बरसात के बाद सड़क की फाइल बनवा देंगे। ताकि कीचड़ भरे रास्ते से छुटकारा मिल सके।   

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कीचड़ से होकर निकलते ग्रामीण

दमोह जिले की बटियागढ़ तहसील अंतर्गत आने वाली मेनवार ग्राम पंचायत के मोटेहार गांव में सड़क का अभाव है। जिससे यहां घुटनों तक पानी और कीचड़ से आवागमन करना ग्रामीणों के साथ स्कूली छात्रों की मजबूरी है। आलम यह है कि गांव के लोग और स्कूली बच्चे बारिश के मौसम में जूते-चप्पल नहीं पहन सकते, क्योंकि कीचड़ से निकलते समय वह उसी में दब जाएंगी।

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सरकार भले ही गांव के विकास के लिए अनेक योजनाएं बनाती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर बयां करती है। ग्राम पंचायत मेनवार के गांव मोटेहार में ग्रामीण और स्कूली बच्चे घुटनों तक भरे कीचड़ से होकर गुजरते हैं। आलम यह है कि यह बच्चे पैरों में जूते और चप्पल भी नहीं पहन सकते। नंगे पैर ही स्कूल जाना पड़ता है, क्योंकि यदि यह चप्पल पहनकर कीचड़ से गुजरेंगे तो चपल टूट जाएगी और जूते पहनकर जाएंगे तो वह जूते कीचड़ में ही फंस जाएंगे। बारिश के चार महीने यहां लोगों को संघर्ष करना पड़ता है। ज्यादा तेज बारिश हो गई तो कीचड़ दलदल में तब्दील हो जाता है जिससे कभी भी यह बच्चे दुर्घटना के शिकार हो सकते हैं। आलम यह है कि बच्चे बारिश के मौसम में हफ्ते में दो तीन दिन ही स्कूल जा पाते हैं।

800 मीटर के रास्ते में है कीचड़
मोटेहार में करीब 15- 16 परिवार निवास करते हैं जिनके सदस्यों की संख्या 40- 45 के आसपास है। गांव के बच्चे शासकीय मिडिल स्कूल मेनवार में पढ़ने जाते हैं और मोटेहार से गांव की दूरी 800 मीटर है। इसमें कीचड़ भरा है। स्कूली बच्चों ने बताया कि बारिश के दिनों में यहां कीचड़ हो जाता है और वह इस कीचड़ से होकर स्कूल जाने मजबूर हैं। ये बच्चे कंधे पर बैग टांग कर बिना जूते-चप्पल के इस कीचड़ से होकर गुजरते हैं। पूर्व सरपंच और वर्तमान सरपंच द्वारा कई कार्य किए गए, लेकिन जिस कार्य की आवश्यकता थी वह कार्य नहीं किया गया है।

छात्राओं ने बताई समस्या
छात्रा रामदेवी ने कहा कि यहां पर सड़क का निर्माण हो जाए ताकि वह सुगम तरीके से स्कूल जा सकें और अपने पैरों में जूते- चप्पल भी पहन सकें। छात्रा सुहानी लोधी ने कहा हम बच्चों की समस्या पर गंभीरता से ध्यान दिया जाए ताकि हम स्कूल में पढ़ाई कर अपना भविष्य बना सकें।

ग्रामीणों की परेशानी
ग्रामीण महिला कली बाई ने कहा हम लोग जव भी नगे पैर इस कीचड़ से होकर गुजरते हैं तो पत्थर, कांच के टुकड़े और अन्य नुकीले तार उनके पैर में चुभ जाते हैंं जिससे वह घायल भी होते हैं। ग्रामीण बबलू सिंह लोधी ने बताया कि मोटेहार में कई सालों से 15 परिवार के 40- 45 सदस्य निवासरत हैं। गांव के बच्चे शासकीय मिडिल स्कूल मेनवार में पढ़ने जाते हैं, जिन्हें बारिश के चार महीने इसी दलदल और कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। इस संबंध में बटियागढ़ जनपद सीईओ अश्वनी सिंह ने कहा कि सरपंच, सचिव एवं रोजगार सहायक से जानकारी लेकर सड़क स्वीकृत करने के लिए प्रयास करते हैं।

सरपंच प्रतिनिधि धर्मेंद्र सिंह लोधी का कहना है कि मेनवार गांव से मोटेहार तक आने-जाने में बड़ी समस्या होती है। 800 मीटर का रास्ता कीचड़ में तब्दील है, जिससे वहां के लोगों को आने-जाने में बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है। कुछ किसानों की निजी जमीन आती है यदि उन्हें कोई दिक्कत नही है तो हम बरसात के बाद मुरमीकरण की फाइल बनवा देते हैं। अभी दलदल कीचड़ से निपटने के लिए कुछ उपाय करते हैं। सचिव मनोज अवस्थी का कहना है कि मोटेहार की तरफ वाले रास्ते में कुछ किसानों की निजी जमीन पड़ती है। यदि उन्हें कोई दिक्कत नहीं है तो बरसात के बाद सड़क की फाइल बनवा देंगे। ताकि कीचड़ भरे रास्ते से छुटकारा मिल सके। 
 

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