court-news:-आदेश-का-परिपालन-नहीं-हुआ-तो-उपस्थित-रहें-सचिव,-अवमानना-याचिका-पर-हाईकोर्ट-ने-दिए-निर्देश
जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश का परिपालन नहीं किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने इसे सख्ती से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई में परिपालन रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो स्पष्टीकरण पेश करने के लिए जनजाति कल्याण विभाग की सचिव पल्लवी जैन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें। वह उपस्थित नहीं हुईं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। याचिकाकर्ता राजकुमार चतुर्वेदी सहित अन्य छह की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि वह अनुदान प्राप्त विष्णु आदर्श शिशु शिक्षा समिति में शिक्षक के पद पर पदस्थ थे। प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त स्कूलों को अनुदान राशि को बंद कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने साल 2007 में अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को वेतन भुगतान के आदेश जारी किए थे, जिसके खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट द्वारा साल 2013 को अपील खारिज कर दी गई थी। जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालीय ने याचिका दायर की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उनके स्कूल का संचालन आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा किया जाता था। आर्थिक आभाव के कारण साल 2014 में स्कूल का संचालक बंद कर दिया गया था। याचिका में कहा गया था कि अभी तक स्कूल के शिक्षक को वेतन भुगतान के लिए अनुदान का प्रदान नहीं की गई है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शहडोल को तलब किया था। याचिका की सुनवाई के दौरान सहायक आयुक्त के तबादले की जानकारी एकलपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गयी थी। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अमृत रूपराह ने पैरवी की।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

जबलपुर हाईकोर्ट – फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार Follow Us

जबलपुर हाईकोर्ट के आदेश का परिपालन नहीं किए जाने को लेकर हाईकोर्ट ने इसे सख्ती से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस संजय द्विवेदी ने अपने आदेश में कहा है कि अगली सुनवाई में परिपालन रिपोर्ट पेश नहीं की गई तो स्पष्टीकरण पेश करने के लिए जनजाति कल्याण विभाग की सचिव पल्लवी जैन व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहें। वह उपस्थित नहीं हुईं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा।

याचिकाकर्ता राजकुमार चतुर्वेदी सहित अन्य छह की तरफ से दायर अवमानना याचिका में कहा गया था कि वह अनुदान प्राप्त विष्णु आदर्श शिशु शिक्षा समिति में शिक्षक के पद पर पदस्थ थे। प्रदेश सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त स्कूलों को अनुदान राशि को बंद कर दिया गया था, जिसके खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी। उच्च न्यायालय ने साल 2007 में अनुदान प्राप्त स्कूलों के शिक्षकों को वेतन भुगतान के आदेश जारी किए थे, जिसके खिलाफ राज्य सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में अपील दायर की गई थी। हाईकोर्ट द्वारा साल 2013 को अपील खारिज कर दी गई थी।

जिसके खिलाफ प्रदेश सरकार की तरफ से सर्वोच्च न्यायालीय ने याचिका दायर की गई थी। सर्वोच्च न्यायालय ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी थी। उनके स्कूल का संचालन आदिवासी कल्याण विभाग द्वारा किया जाता था। आर्थिक आभाव के कारण साल 2014 में स्कूल का संचालक बंद कर दिया गया था।

याचिका में कहा गया था कि अभी तक स्कूल के शिक्षक को वेतन भुगतान के लिए अनुदान का प्रदान नहीं की गई है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास शहडोल को तलब किया था। याचिका की सुनवाई के दौरान सहायक आयुक्त के तबादले की जानकारी एकलपीठ के समक्ष प्रस्तुत की गयी थी। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद उक्त आदेश जारी किए। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता अमृत रूपराह ने पैरवी की।

Posted in MP