'cop33-समिट-की-मेजबानी-के-लिए-भारत-तैयार',-यूएई-में-पीएम-मोदी-ने-रखा-यह-प्रस्ताव
इस दौरान, काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर के सीईओ डॉ अरुणाभा घोष ने कहा कि "भारत के प्रधानमंत्री ने ग्रीन क्रेडिट पहल के माध्यम से वैश्विक सहयोग के लिए अति-महत्वपूर्ण तंत्र की रूपरेखा खींच कर कॉप-28 में विजन को सामने रखा है. भारत की हालिया प्रतिबद्धताओं को ग्रीन क्रेडिट योजना के रूप में आगे बढ़ाते हुए, कार्बन उत्सर्जन शमन, जैव विविधता और अनुकूलन मुद्दों के बीच के अंतरसंबंधों पर जोर दिया गया है. इस पर वैश्विक सहयोग के लिए पूरे विश्व को आमंत्रित किया गया है. सतत जीवनशैली पर दोबारा जोर देना भी समान रूप से उल्लेखनीय है, जो मिशनलाइफ के तहत पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने की पीएम की 2021 ग्लासगो अपील को प्रतिबिंबित करता है. सीईईडब्ल्यू का अध्ययन बताता है कि भारत और ब्राजील जैसे विकासशील देशों में शीर्ष 10 प्रतिशत अमीरों का कार्बन फुटप्रिंट विकसित देशों के औसत व्यक्ति की तुलना में काफी कम है. जब तक हम जलवायु कार्रवाई के मूल स्तंभों के रूप में सतत जीवनशैली, उत्पादन और खपत के बारे में सोचना शुरू नहीं करते हैं, तब तक हम सामने अधिक अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों इत्यादि की आपूर्ति का दबाव रहेगा और उत्सर्जन की मात्रा व रफ्तार में भी कोई कमी नहीं आएगी. अंत में, 2028 में भारत में जलवायु सम्मेलन की मेजबानी करने की योजना इस साल जी20 अध्यक्षता की तरह देश के लिए ग्लोबल साउथ और जलवायु न्याय के मुद्दों को, एक कार्रवाई उन्मुख कॉप33 के दृष्टिकोण के साथ, सामने और केंद में रखने का अवसर है."

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इस दौरान, काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर के सीईओ डॉ अरुणाभा घोष ने कहा कि “भारत के प्रधानमंत्री ने ग्रीन क्रेडिट पहल के माध्यम से वैश्विक सहयोग के लिए अति-महत्वपूर्ण तंत्र की रूपरेखा खींच कर कॉप-28 में विजन को सामने रखा है. भारत की हालिया प्रतिबद्धताओं को ग्रीन क्रेडिट योजना के रूप में आगे बढ़ाते हुए, कार्बन उत्सर्जन शमन, जैव विविधता और अनुकूलन मुद्दों के बीच के अंतरसंबंधों पर जोर दिया गया है. इस पर वैश्विक सहयोग के लिए पूरे विश्व को आमंत्रित किया गया है. सतत जीवनशैली पर दोबारा जोर देना भी समान रूप से उल्लेखनीय है, जो मिशनलाइफ के तहत पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने की पीएम की 2021 ग्लासगो अपील को प्रतिबिंबित करता है. सीईईडब्ल्यू का अध्ययन बताता है कि भारत और ब्राजील जैसे विकासशील देशों में शीर्ष 10 प्रतिशत अमीरों का कार्बन फुटप्रिंट विकसित देशों के औसत व्यक्ति की तुलना में काफी कम है. जब तक हम जलवायु कार्रवाई के मूल स्तंभों के रूप में सतत जीवनशैली, उत्पादन और खपत के बारे में सोचना शुरू नहीं करते हैं, तब तक हम सामने अधिक अक्षय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों इत्यादि की आपूर्ति का दबाव रहेगा और उत्सर्जन की मात्रा व रफ्तार में भी कोई कमी नहीं आएगी. अंत में, 2028 में भारत में जलवायु सम्मेलन की मेजबानी करने की योजना इस साल जी20 अध्यक्षता की तरह देश के लिए ग्लोबल साउथ और जलवायु न्याय के मुद्दों को, एक कार्रवाई उन्मुख कॉप33 के दृष्टिकोण के साथ, सामने और केंद में रखने का अवसर है.”