chinese-ev:-चीन-ने-स्थानीय-कार-निर्माताओं-से-कहा-भारत-में-ऑटो-से-संबंधित-निवेश-न-करें,-रिपोर्ट-में-खुलासा
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Thu, 12 Sep 2024 06: 19 PM IST चीनी सरकार ने कथित तौर पर देश के स्थानीय ऑटोमोबाइल ब्रांडों से भारत में ऑटोमोटिव से संबंधित कोई भी निवेश नहीं करने को कहा है। BYD Cars - फोटो : BYD विस्तार Follow Us चीनी सरकार ने कथित तौर पर देश के स्थानीय ऑटोमोबाइल ब्रांडों से भारत में ऑटोमोटिव से संबंधित कोई भी निवेश नहीं करने को कहा है। चीनी ईवी या इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के ज्ञान को सहेज कर रखने के लिए, निर्माताओं को एडवांस्ड ईवी-संबंधित टेक्नोलॉजी को अपने देश तक ही सीमित रखने के लिए भी कहा गया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने जुलाई में चीनी ऑटोमोबाइल ब्रांडों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी। जिसमें उन्हें भारत में ऑटोमोबाइल संबंधित निवेश नहीं करने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट में 'मामले से परिचित लोगों' को इस जानकारी का सूत्र बताया गया है।  चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार और ऑटोमोबाइल निर्माता है। वहीं भारत भी अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बनने की दौड़ में आगे निकल गया है। हाल के वर्षों में भारत से ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल से जुड़े कलपुर्जों का निर्यात कई गुना बढ़ गया है। और जबकि घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों के मामले में चीन और भारत के बीच अभी भी काफी अंतर है। चीनी ऑटोमोबाइल ब्रांडों को भारत में निवेश न करने के लिए कहना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बाजार से बीजिंग की खतरे की धारणा का संकेत हो सकता है।  हालांकि, जब ऑटोमोबाइल की बात आती है तो यह सिर्फ चीन बनाम भारत का मुकाबला नहीं है। कई चीनी कंपनियां हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं, जिनमें से BYD अब टेस्ला को चुनौती दे रही है। कुछ समय से स्थानीय बाजार में तेजी देखी जा रही है, चीनी कंपनियां सीमाओं से परे मैन्युफेक्चरिंग बेस (विनिर्माण आधार) स्थापित करने की तलाश में हैं। BYD पहले से ही भारत में मौजूद है और वर्तमान में तीन मॉडल पेश करती है। इसका प्रभाव क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी क्षेत्रों तक भी फैला हुआ है।  चेरी ऑटोमोबाइल भी यूरोप में और प्लांट लगाने पर विचार कर रही है। लेकिन यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में चीन निर्मित ईवी पर टैरिफ बढ़ोतरी की हालिया घोषणाएं इन ब्रांडों के लिए संभावित खतरा बन गई हैं। भारत में भी, सरकार की ईवी नीति भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों की ऑटोमोटिव कंपनियों के आवेदनों की गहन जांच करेगी। लेकिन क्या चीनी ईवी की बढ़ती लोकप्रियता को रोका जा सकता है?  चीनी ईवी कंपनियों के लिए पैमाना एक बड़ा सहयोगी है। जबकि चीनी सरकार की ओर से इंसेंटिव (प्रोत्साहन) और सब्सिडी भी मैन्युफेक्चरिंग (विनिर्माण) लागत को कम रखने में मदद करती है। इससे ब्रांड स्थानीय स्तर पर ईवी बना सकते हैं और उन्हें विदेशी धरती पर ऐसी कीमतों पर बेच सकते हैं, जिसका वैश्विक प्रतिद्वंद्वी मुकाबला नहीं कर सकते। कम से कम, अभी तो नहीं।  चीनी निर्माताओं की मदद करने वाले अन्य महत्वपूर्ण कारक उनके उत्पादों में टेक्नोलॉजी से भरपूर कंपोनेंट्स हैं। साथ ही वे धीरे-धीरे अपने ऑटोमोबाइल की गुणवत्ता में सुधार कर रहे हैं। जिससे हाल के दिनों में 'मेड-इन-चाइना' उत्पादों पर विश्वास बढ़ा है।

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ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Thu, 12 Sep 2024 06: 19 PM IST

चीनी सरकार ने कथित तौर पर देश के स्थानीय ऑटोमोबाइल ब्रांडों से भारत में ऑटोमोटिव से संबंधित कोई भी निवेश नहीं करने को कहा है। BYD Cars – फोटो : BYD

विस्तार Follow Us

चीनी सरकार ने कथित तौर पर देश के स्थानीय ऑटोमोबाइल ब्रांडों से भारत में ऑटोमोटिव से संबंधित कोई भी निवेश नहीं करने को कहा है। चीनी ईवी या इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के ज्ञान को सहेज कर रखने के लिए, निर्माताओं को एडवांस्ड ईवी-संबंधित टेक्नोलॉजी को अपने देश तक ही सीमित रखने के लिए भी कहा गया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, चीन के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों ने जुलाई में चीनी ऑटोमोबाइल ब्रांडों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक की थी। जिसमें उन्हें भारत में ऑटोमोबाइल संबंधित निवेश नहीं करने के लिए कहा गया था। रिपोर्ट में ‘मामले से परिचित लोगों’ को इस जानकारी का सूत्र बताया गया है। 

चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार बाजार और ऑटोमोबाइल निर्माता है। वहीं भारत भी अमेरिका के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार बनने की दौड़ में आगे निकल गया है। हाल के वर्षों में भारत से ऑटोमोबाइल और ऑटोमोबाइल से जुड़े कलपुर्जों का निर्यात कई गुना बढ़ गया है। और जबकि घरेलू बिक्री और निर्यात दोनों के मामले में चीन और भारत के बीच अभी भी काफी अंतर है। चीनी ऑटोमोबाइल ब्रांडों को भारत में निवेश न करने के लिए कहना दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बाजार से बीजिंग की खतरे की धारणा का संकेत हो सकता है। 

हालांकि, जब ऑटोमोबाइल की बात आती है तो यह सिर्फ चीन बनाम भारत का मुकाबला नहीं है। कई चीनी कंपनियां हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ी हैं, जिनमें से BYD अब टेस्ला को चुनौती दे रही है। कुछ समय से स्थानीय बाजार में तेजी देखी जा रही है, चीनी कंपनियां सीमाओं से परे मैन्युफेक्चरिंग बेस (विनिर्माण आधार) स्थापित करने की तलाश में हैं। BYD पहले से ही भारत में मौजूद है और वर्तमान में तीन मॉडल पेश करती है। इसका प्रभाव क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी क्षेत्रों तक भी फैला हुआ है। 

चेरी ऑटोमोबाइल भी यूरोप में और प्लांट लगाने पर विचार कर रही है। लेकिन यूरोप और संयुक्त राज्य अमेरिका में चीन निर्मित ईवी पर टैरिफ बढ़ोतरी की हालिया घोषणाएं इन ब्रांडों के लिए संभावित खतरा बन गई हैं। भारत में भी, सरकार की ईवी नीति भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों की ऑटोमोटिव कंपनियों के आवेदनों की गहन जांच करेगी।

लेकिन क्या चीनी ईवी की बढ़ती लोकप्रियता को रोका जा सकता है? 
चीनी ईवी कंपनियों के लिए पैमाना एक बड़ा सहयोगी है। जबकि चीनी सरकार की ओर से इंसेंटिव (प्रोत्साहन) और सब्सिडी भी मैन्युफेक्चरिंग (विनिर्माण) लागत को कम रखने में मदद करती है। इससे ब्रांड स्थानीय स्तर पर ईवी बना सकते हैं और उन्हें विदेशी धरती पर ऐसी कीमतों पर बेच सकते हैं, जिसका वैश्विक प्रतिद्वंद्वी मुकाबला नहीं कर सकते। कम से कम, अभी तो नहीं। 

चीनी निर्माताओं की मदद करने वाले अन्य महत्वपूर्ण कारक उनके उत्पादों में टेक्नोलॉजी से भरपूर कंपोनेंट्स हैं। साथ ही वे धीरे-धीरे अपने ऑटोमोबाइल की गुणवत्ता में सुधार कर रहे हैं। जिससे हाल के दिनों में ‘मेड-इन-चाइना’ उत्पादों पर विश्वास बढ़ा है।