मैडम दफ्तर आती ही नहीं – फोटो : अमर उजाला
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छतरपुर जिले के बक्सवाहा उप पंजीयक कार्यालय में चल रही अनियमितताओं ने किसानों और आम जनता की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। उप पंजीयक कार्यालय में पदस्थ रजिस्ट्रार प्रीति सिंह चंद्रा अपने मनमाने ढंग से काम करने के कारण चर्चा में हैं।
बता दें कि सप्ताह भर कार्यालय तो खुलता है पर मैडम के न आने से कामकाज सिर्फ मंगलवार और शुक्रवार को ही होता है और दस्तावेजों का पंजीकरण होता है। जबकि शेष पांच दिन कार्यालय में कामकाज बंद रहता है। इस वजह से किसानों और आम नागरिकों को बार-बार कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं।
किसानों की शिकायतें
किसान प्रकाश का आरोप है कि प्रीति सिंह चंद्रा प्रत्येक रजिस्ट्री के पंजीकरण में मोटी रकम वसूलती हैं। इसके अलावा किसानों का कहना है कि उनकी जमीन असिंचित होने के बावजूद उप पंजीयक महोदया उनसे सिंचित जमीन की स्टॉम्प ड्यूटी वसूलने को कहती हैं। यदि किसी को असिंचित जमीन के लिए पंजीकरण कराना हो तो मैडम का ‘खर्चा’ देना होता है। यह स्थिति किसानों के लिए अत्यधिक परेशानियों का कारण बन गई है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और अधिक खराब हो रही है।
समय और पैसे की बर्बादी
किसान और आम नागरिक अपनी खेती और अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को छोड़कर बार-बार रजिस्ट्रार कार्यालय जाते हैं। लेकिन उन्हें हर बार निराशा ही हाथ लगती है। इसके चलते न केवल उनका समय बर्बाद होता है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी होता है। किसानों को बार-बार चक्कर काटने के कारण उनके कृषि कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
सिंचित और असिंचित जमीन का खेल
रजिस्ट्रार कार्यालय की अनियमितता के कारण सिंचित और असिंचित जमीन के मामले भी लंबित पड़े हैं। किसानों को अपनी सिंचित जमीन के पंजीकरण और स्थानांतरण के लिए भी इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे उनकी खेती प्रभावित हो रही है। वहीं, असिंचित जमीन के मामलों में भी देरी हो रही है, जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
कार्यालय की अनियमितता के कारण
कार्यालय के कर्मचारियों की कमी, संसाधनों की अपर्याप्तता और प्रशासनिक लापरवाही जैसे कई कारण इस स्थिति के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं। बक्सवाहा तहसीलदार भरत पांडे ने उप पंजीयक कार्यालय की अनियमितताओं को देखते हुए प्रीति सिंह चंद्रा को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया था। लेकिन मैडम ने उसका भी जवाब तहसीलदार के समक्ष पेश नहीं किया।
पोर्टल पर प्रमाण
रजिस्ट्रार कार्यालय के कामकाज की अनियमितता का प्रमाण पोर्टल पर भी उपलब्ध है। सप्ताह में केवल दो दिन रजिस्ट्री की प्रक्रिया पूरी होती है, जबकि बाकी दिनों में पोर्टल खुद प्रतीक्षा करता रहता है। यह स्थिति अपने आप में एक बड़ा प्रमाण है कि कार्यालय का कामकाज अनियमित है। पोर्टल पर रजिस्ट्री के आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि सप्ताह में केवल दो दिन ही रजिस्ट्री की जाती है।
समाधान की मांग
जनता ने प्रशासन से मांग की है कि उप पंजीयक कार्यालय को सप्ताह में कम से कम पांच दिन खुला रखा जाए और कार्यालय में पर्याप्त कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए। डिजिटल पंजीकरण और ऑनलाइन सेवाओं को बढ़ावा देकर भी इस समस्या का समाधान निकाला जा सकता है। किसानों का कहना है कि रजिस्ट्रार मैडम की पदस्थापना के बाद से रजिस्ट्री के कार्य में लंबा इंतजार करना पड़ रहा है, जिससे उनके कृषि कार्य प्रभावित हो रहे हैं और आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ रहा है।
प्रशासन का रुख
प्रशासन की ओर से इस मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। हालांकि, जनता की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही प्रशासन इस दिशा में कोई सार्थक कदम उठाएगा। रजिस्टार कार्यालय की अनियमितता ने आम जनता के जीवन को प्रभावित किया है। इस समस्या का त्वरित समाधान निकालना आवश्यक है, ताकि लोग बिना किसी बाधा के अपने दस्तावेज़ संबंधी कार्य पूरे कर सकें और उन्हें अनावश्यक परेशानी का सामना न करना पड़े। प्रशासन को इस दिशा में तुरंत कदम उठाने की जरूरत है, ताकि किसानों और आम जनता को राहत मिल सके। इस मामले मे तहसीलदार भरत पांडे का कहना है, अगर किसान परेशान हैं तो जांच कर कार्रवाई की जाएगी और वरिष्ठ अधिकारियों को प्रतिवेदन भेजेंगे।
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