इसरो के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने हाल में कहा था कि लैंडिंग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा लैंडर के वेग को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है और यान को क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में स्थानांतरित करने की क्षमता वह प्रक्रिया है जहां हमें अपनी काबिलियत दिखानी होगी. सोमनाथ ने कहा, लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत में वेग लगभग 1.68 किलोमीटर प्रति सेकंड है, लेकिन यह गति चंद्रमा की सतह के क्षैतिज है. यहां चंद्रयान-3 लगभग 90 डिग्री झुका हुआ है, इसे लंबवत करना होगा. क्षैतिज से ऊर्ध्वाधर दिशा में बदलने की यह पूरी प्रक्रिया गणितीय रूप से एक बहुत ही दिलचस्प गणना है. हमने कई बार इस प्रक्रिया को दोहराया है. यहीं पर हमें पिछली बार (चंद्रयान-2) समस्या हुई थी. उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह सुनिश्चित करना होगा कि ईंधन की खपत कम हो, दूरी की गणना सही हो और सभी गणितीय मानक ठीक हों. सोमनाथ ने कहा कि व्यापक सिमुलेशन (अभ्यास) किए गए हैं, मार्गदर्शन डिजाइन बदल दिए गए हैं. इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने का प्रयास करने के लिए बहुत सारे एल्गोरिदम लगाए गए हैं.
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