न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 19 Aug 2023 06: 50 PM IST
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दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस के लिए इंदौर पहुंचे देशभर के सीए, करदाताओं की समस्याएं बताई, सरकार से कई सुधारों की मांग की, सीए जो गलती कर रहे उन पर भी चर्चा हुई
नेशनल सीए कॉन्फ्रेंस – फोटो : अमर उजाला, इंदौर
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आईसीएआई की इंदौर सीए शाखा के द्वारा दिल्ली की जीएसटी एवं इनडायरेक्ट टैक्स कमिटी के तत्वाधान में दो दिवसीय नेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया। इंदौर शाखा के चेयरमैन सीए मौसम राठी ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि जीएसटी कानून को आए 6 वर्ष हो गए है, जब से यह कानून लागू किया गया तभी से लेकर आज तक 1500 से भी अधिक नोटिफिकेशन और सर्कुलर और क्लियरिफिकेशन आ चुके हैं। विभाग के अधिकारी, सीए, कर सलाहकार एवं व्यापारी सभी अपने अपने स्तर पर कानून को समझकर इसका पालन करने और करवाने में पूर्ण प्रयास कर रहे हैं। 6 साल के बाद भी कई प्रावधान ऐसे हैं जिनके व्यावहारिक पालन में समस्याएं हैं और उनमें कई सुधार की आवश्यकता है।
15,000 से ज्यादा केस ट्रिब्यूनल में लंबित, न्याय की गुहार में उच्च न्यायालय जाना पड़ता है
बंगलौर से आए सीए एस वेंकटरामनी ने जीएसटी के संदर्भ में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिए गए फैसलों का विश्लेषण किया। उन्होंने यह बताया की जीएसटी में केस कानूनी आधार से ज्यादा तथ्यामक आधार पर जीते गए हैं। उन्होंने यह भी कहा की जीएसटी में अभी तक ट्रिब्यूनल चालू नहीं हुई, अभी भी पूरे भारत में 15,000 केस ट्रिब्यूनल में लंबित हैं। न्याय की मांग में सीधे हाई कोर्ट जाना पड़ता है, जिससे निचले स्तर पर मिल जाने वाला न्याय उच्च स्तरीय कोर्ट में मिलता है, यह करदाता के लिए न्याय संगत नहीं है। उन्होंने कहा कई महत्वपूर्ण केस जैसे रेडियंट एंटरप्राइज में कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि ज्वाइंट कमिश्नर अपील में रखे गए मुद्दों के अलावा कोई और मुद्दे पर आदेश पारित नहीं कर सकते। सफारी रिट्रीट का ओरिसा हाई कोर्ट, मनीष मंजुल भट्ट गुजरात हाई कोर्ट, मोहित मिनरल्स सुप्रीम कोर्ट ने फैसलों को गहराई से समझा और न्यायसंगत फैसला सुनाया।
कई बार सीए गलत सर्टिफिकेट दे रहे
सीए असीम त्रिवेदी ने कोड ऑफ एथिक्स पर बोलते हुए कहा कि कई बार क्लाइंट या वित्तीय संस्थान के मांगे जाने पर हम ऐसे सर्टिफिकेट दे देते हैं जिसकी सभी जानकारी सही होने के बावजूद भी सर्टिफिकेट देना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है। बैंक लोन के समय भी तीन वर्ष के रिटर्न सीए से सर्टिफाय करवा कर मांगे जाते हैं, एक ओरिजिनल कागज देखकर सत्यापित प्रतिलिपि देना सीए के अधिकार में नहीं आता है, सीए कुछ ही प्रकार के सर्टिफिकेट दे सकता है। ऐसे मे तीन साल के रिटर्न पर सील साइन करना गलत है, अलग से जारी सर्टिफिकेट के माध्यम से रिटर्न की जानकारी सर्टिफाय की जा सकती है। फ्यूचर यूज ऑफ लोन अमाउंट के लिए सीए को सर्टिफिकेट देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता, लोन मिलने के बाद, उसके यूज होने के बाद, सभी अनिवार्य दस्तावेज देख कर ही सीए सर्टिफिकेट दे सकते हैं।
गलत नोटिस भी दे रहा विभाग
जयपुर से आए सीए यश ढड्डा ने बताया कि विभाग द्वारा कई ऐसे नोटिस दिए जाते हैं जिसमें डायरेक्टर द्वारा कंपनी के लोन के लिए दी गई पर्सनल गारंटी पर रिवर्स चार्ज की देयता आती है परंतु कानूनन इस पर कोई रिवर्स चार्ज की आवश्यकता नहीं बनती है क्योंकि यह सप्लाई नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि यदि कोई कमर्शियल गाड़ी की खरीदी के वक्त व्यवसाई ने आईटीसी क्लेम करी है तो उसे बेचते समय कम्पनसेशन सेस लगाना पड़ेगा।
जीएसटी में सबसे ज्यादा लिटिगेशन आईटीसी के
रीजन सचिव सीए कीर्ति जोशी ने कहा कि जीएसटी में सबसे ज्यादा लिटिगेशन आईटीसी से संबंधित सामने आ रहे हैं। जब जीएसटी आया था तब करदाता, सलाहकार और अधिकारी सभी पूर्ण रूप से पारंगत नहीं थे परंतु आज कर निर्धारण / ऑडिट में छोटी गलती पकड़ आने पर भी व्यावसायी को उसकी भरपाई करना पड़ती है ऐसे में मानवीय भूल मानकर थोड़ा नर्म रुख रखना चाहिए। कार्यक्रम के विभिन्न सत्रों का संचालन सचिव सीए स्वर्णिम गुप्ता, पूर्व अध्यक्ष सीए आनंद जैन एवं सीए अमितेश जैन ने किया एवं आभार सीए अतिशय खासगीवाला और सीए रजत धानुका ने माना। कार्यक्रम में सीए एम पी अग्रवाल, सीए यश खण्डेलवाल, सीए उमेश गोयल, सीए शैलेन्द्र पोरवाल आदि सहित सीए सदस्य उपस्थित थे।
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