budget-2024-25-analysis:-9-सालों-में-अर्थव्यवस्था-विश्व-में-दसवें-पायदान-से-उठकर-पांचवें-स्थान-पर
आलोक पुराणिक (आर्थिक विशेषज्ञ) : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 के भाषण में अपनी सरकार की करीब 10 साल की उपलब्धियां गिनवायीं और कोई नया बड़ा प्रस्ताव पेश नहीं किया. यूं अगर वह चाहतीं, तो थोड़ी-बहुत राहत कर आदि के मामले में खासकर मध्य वर्गीय करदाताओं को दे सकती थीं. जिस आत्मविश्वास से बजट में आने वाले कई सालों की बात की गयी है, उससे लगता है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आश्वस्त हैं कि अगली कई सरकारें उन्हीं के गठबंधन की होंगी. अंतरिम बजट के मौके का बखूबी इस्तेमाल किया सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए. यूं यह भी कहा जा सकता है कि सरकार ने आयकर देने वालों की जेब से और कर नहीं खींचा है, तो इसे सकारात्मक ही मानना चाहिए. सरकार अगर आपसे कुछ नया नहीं ले रही है, तो समझिये कि आपको दे ही रही है. यह एक दृष्टिकोण है स्थितियों को समझने का. अंतरिम बजट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहेगा. अगले वित्त वर्ष में यह घाटा 5.1 प्रतिशत रहने के अनुमान हैं. वर्ष 2025-26 में यह राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान हैं. भारत और मालदीव के बीच हाल में एक विवाद खड़ा हो गया था. मालदीव सरकार के कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे पर आपत्ति जतायी थी. अब अंतरिम बजट में पर्यटन विकास की बात कही गयी है. पर्यटन एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, उस पर जल्दी काम होना चाहिए, पर यह सिर्फ केंद्र सरकार की इच्छा का मसला नहीं है. राज्य सरकारों का सहयोग भी जरूरी है. देश में प्रति व्यक्ति आय करीब नौ सालों में दोगुनी होकर 1.97 लाख रुपये हो गयी है. नौ सालों में अर्थव्यवस्था विश्व में दसवें पायदान से उठकर पांचवें स्थान पर आ गयी. स्वच्छ भारत मिशन के तहत 11.7 करोड़ शौचालय निर्मित हुए. उज्ज्वला योजना में करीब 9.6 करोड़ गैस कनेक्शन दिये गये. पीएम जन धन योजना में 47.8 करोड़ बैंक खाते खोले गये. किसान सम्मान निधि के रूप में 11.40 करोड़ किसानों को 2.2 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित हुए. यानी अंतरिम बजट में जो मुख्य बिंदु बताये गये हैं, वे दरअसल चुनाव बिंदु हैं, और चुनाव के बाद असल में बजट के असली प्रावधान पेश किये जायेंगे. इस तरह से अंतरिम बजट को हद से हद एक घोषणापत्र ही कहा जा सकता है. घोषणा बाद में बदल सकती है. पर एक महत्वपूर्ण घोषणा यह है कि पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की जायेगी, इसे 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया गया है, जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है. यह निश्चित ही बहुत बड़ी बढ़ोतरी है. पूंजीगत व्यय से आशय ऐसे व्यय से है, जिसमें पुल, सड़क आदि बनते हैं. अर्थव्यवस्था में कंस्ट्रक्शन होता है, तो अर्थव्यवस्था में चौतरफा सकारात्मक असर होता है. चालीस हजार सामान्य रेल डिब्बों को ‘वंदे भारत’ मानकों के अनुरूप बदला जायेगा. यह बहुत बड़ा कदम है. अंतरिम बजट में सरकार ने अपनी पीठ थपथपायी यह बताकर कि देश में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गयी है और यह 149 पर पहुंच गयी है तथा 517 नये हवाई मार्ग 1.3 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्य पर पहुंचा रहे हैं. देश की विमानन कंपनियों ने 1000 से ज्यादा नये विमानों के आर्डर दिये हैं. देश का नागरिक विमानन पक्के तौर पर एक नयी कहानी लिख रहा है. निर्माण ठीक है, पर गुणवत्ता वाला निर्माण जरूरी है. कर रिटर्न प्रोसेस करने की औसत समय-सीमा 2013-14 में 93 दिन थी, जो घटकर दस दिन रह गयी. तकनीक के मामले में इस सरकार का रिपोर्ट कार्ड जोरदार रहा है. बजट में राजनीति साफ दिखती है, जब बजट में श्वेत पत्र लाने की बात होती है कि हम 2014 में कहां थे और 2024 में कहां हैं. (ये लेखक के निजी विचार हैं.) Narendra ModiNirmala Sitharamanbudget sessionBudget 2024Published Date Fri, Feb 2, 2024, 4: 33 PM IST

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आलोक पुराणिक (आर्थिक विशेषज्ञ) : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट 2024-25 के भाषण में अपनी सरकार की करीब 10 साल की उपलब्धियां गिनवायीं और कोई नया बड़ा प्रस्ताव पेश नहीं किया. यूं अगर वह चाहतीं, तो थोड़ी-बहुत राहत कर आदि के मामले में खासकर मध्य वर्गीय करदाताओं को दे सकती थीं. जिस आत्मविश्वास से बजट में आने वाले कई सालों की बात की गयी है, उससे लगता है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आश्वस्त हैं कि अगली कई सरकारें उन्हीं के गठबंधन की होंगी.

अंतरिम बजट के मौके का बखूबी इस्तेमाल किया सरकार ने अपनी उपलब्धियां गिनाने के लिए. यूं यह भी कहा जा सकता है कि सरकार ने आयकर देने वालों की जेब से और कर नहीं खींचा है, तो इसे सकारात्मक ही मानना चाहिए. सरकार अगर आपसे कुछ नया नहीं ले रही है, तो समझिये कि आपको दे ही रही है. यह एक दृष्टिकोण है स्थितियों को समझने का. अंतरिम बजट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) का 5.8 प्रतिशत रहेगा. अगले वित्त वर्ष में यह घाटा 5.1 प्रतिशत रहने के अनुमान हैं. वर्ष 2025-26 में यह राजकोषीय घाटा 4.5 प्रतिशत रहने के अनुमान हैं.

भारत और मालदीव के बीच हाल में एक विवाद खड़ा हो गया था. मालदीव सरकार के कुछ महत्वपूर्ण लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे पर आपत्ति जतायी थी. अब अंतरिम बजट में पर्यटन विकास की बात कही गयी है. पर्यटन एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, उस पर जल्दी काम होना चाहिए, पर यह सिर्फ केंद्र सरकार की इच्छा का मसला नहीं है. राज्य सरकारों का सहयोग भी जरूरी है. देश में प्रति व्यक्ति आय करीब नौ सालों में दोगुनी होकर 1.97 लाख रुपये हो गयी है. नौ सालों में अर्थव्यवस्था विश्व में दसवें पायदान से उठकर पांचवें स्थान पर आ गयी. स्वच्छ भारत मिशन के तहत 11.7 करोड़ शौचालय निर्मित हुए. उज्ज्वला योजना में करीब 9.6 करोड़ गैस कनेक्शन दिये गये. पीएम जन धन योजना में 47.8 करोड़ बैंक खाते खोले गये. किसान सम्मान निधि के रूप में 11.40 करोड़ किसानों को 2.2 लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित हुए.

यानी अंतरिम बजट में जो मुख्य बिंदु बताये गये हैं, वे दरअसल चुनाव बिंदु हैं, और चुनाव के बाद असल में बजट के असली प्रावधान पेश किये जायेंगे. इस तरह से अंतरिम बजट को हद से हद एक घोषणापत्र ही कहा जा सकता है. घोषणा बाद में बदल सकती है. पर एक महत्वपूर्ण घोषणा यह है कि पूंजीगत व्यय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की जायेगी, इसे 11.1 प्रतिशत बढ़ाकर 11,11,111 करोड़ रुपये किया गया है, जो जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है. यह निश्चित ही बहुत बड़ी बढ़ोतरी है. पूंजीगत व्यय से आशय ऐसे व्यय से है, जिसमें पुल, सड़क आदि बनते हैं. अर्थव्यवस्था में कंस्ट्रक्शन होता है, तो अर्थव्यवस्था में चौतरफा सकारात्मक असर होता है. चालीस हजार सामान्य रेल डिब्बों को ‘वंदे भारत’ मानकों के अनुरूप बदला जायेगा. यह बहुत बड़ा कदम है.

अंतरिम बजट में सरकार ने अपनी पीठ थपथपायी यह बताकर कि देश में हवाई अड्डों की संख्या दोगुनी हो गयी है और यह 149 पर पहुंच गयी है तथा 517 नये हवाई मार्ग 1.3 करोड़ यात्रियों को उनके गंतव्य पर पहुंचा रहे हैं. देश की विमानन कंपनियों ने 1000 से ज्यादा नये विमानों के आर्डर दिये हैं. देश का नागरिक विमानन पक्के तौर पर एक नयी कहानी लिख रहा है. निर्माण ठीक है, पर गुणवत्ता वाला निर्माण जरूरी है. कर रिटर्न प्रोसेस करने की औसत समय-सीमा 2013-14 में 93 दिन थी, जो घटकर दस दिन रह गयी. तकनीक के मामले में इस सरकार का रिपोर्ट कार्ड जोरदार रहा है. बजट में राजनीति साफ दिखती है, जब बजट में श्वेत पत्र लाने की बात होती है कि हम 2014 में कहां थे और 2024 में कहां हैं.

(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Narendra ModiNirmala Sitharamanbudget sessionBudget 2024Published Date

Fri, Feb 2, 2024, 4: 33 PM IST